- बेखबर डीईओ, बड़े स्तर पर बंगलों में भूमाफियाओं ने काट डाली अवैध कालोनियां, फ्लैट बनाकर भी बेच डाले
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: वेस्ट एंड रोड/साउथ एंड रोड स्थित डीईओ (रक्षा संपदा अधिकारी) के अधिकार क्षेत्र के छह बंगले और उनमें 800 अवैध निर्माण उसके बाद भी यदि डीईओ कहें कि जानकारी नहीं तो हैरानी होना लाजिमी है और हुआ भी ऐसा ही। छावनी क्षेत्र का साउथ एंड स्थित डीईओ के कहलाए जाने वाले छह ऐसे बंगले हैं। जिनमें बड़े स्तर पर अवैध निर्माण हुए हैं। इनमें कुछ बंगलों में भूमाफियाओं ने अवैध कालोनियां तक काट दी हैं।
कुछ में फ्लैट बनाकर बेच दिए गए हैं और कई में अवैध निर्माण जारी है। यह सब कोई एक दिन में नहीं हो गया, बीते करीब छह सालों के दौरान डीईओ के इन छह बंगलों में बड़े स्तर पर अवैध निर्माण कराए गए हैं। कुछ समय पहले एक अवैध निर्माण कैंट बोर्ड के दस्ते ने जाकर सील भी किया था, सील के नाम पर जो कार्रवाई की गई, उसको अवैध निर्माण के खिलाफ कैंट बोर्ड की रस्म अदायगी से ज्यादा कुछ नहीं बताया जा सकता।
अवैध निर्माण के नाम पर खानापूर्ति का यह हश्र हुआ कि डीईओ के छह बंगलों में अवैध निर्माणों की संख्या 800 जा पहुंची है। यदि ईमानदारी से स्टाफ ने कार्रवाई की होती तो 800 तो दूर की बात, वहां कोई अवैध निर्माण नहीं हो पाता। जब इसको लेकर डीईओ से सवाल किया तो उन्होंने जानकारी से अनभिज्ञता जाहिर की। साथ ही यह भी कि स्टॉफ के स्तर से भी कोई जानकारी अभी नहीं दी गयी है।
इन बंगलों के अवैध निर्माणों ने शहर को आग में झोंकने का काम किया था, लेकिन उसके बाद भी दोनों बड़े अफसरों का स्टॉफ नींद में रहा। 6 मार्च, 2019 की घटना के बाद भी बड़े स्तर पर डीईओ के तमाम बंगलों में अवैध निर्माण जारी रहा। यहां तक कि इस आगजनी पर अगले ही दिन डायरेक्टर एनएन गुप्ता व डीजी डिफेंस आफिस से अतिरिक्त डायरेक्टर जरनल एडीजी सोनम यंगटोल मेरठ आए थे। यहां इसको लेकर चार-पांच दिन तक अफरा-तफरी रही थी।
प्रशासन ने चुकाई थी बड़ी कीमत
उक्त तमाम बंगलों में किए गए अवैध निर्माणों को लेकर डीईओ व सीईओ आफिस की कारगुजारी की कीमत 6 मार्च साल 2019 में पुलिस प्रशासन तथा अन्य महकमों के अफसरों को चुकानी पड़ी। अवैध निर्माणों को लेकर डीईओ व सीईओ आफिस का कार्रवाई का ना किए जाने का नतीजा यह हुआ कि महताब व दिल्ली रोड का इलाका हिंसा की चपेट में आ गया। जमकर आगजनी, पथराव व लूटपाट की गयी। बवालियों ने शहर को आग को झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी। रोडवेज बसों के यात्रियों व राहगीरों से जमकर लूटपाट हुई। तब पुलिस वालों तक को नहीं बख्शा गया था।
सीईओ ने दी थी तहरीर
कैंट बोर्ड के सीईओ प्रसाद चव्हाण की तरफ से सदर बाजार थाने में एफआईआर दर्ज करायी गयी थी। इसमें आरोप है कि बंगला संख्या 201, साउथ एंड रोड (भूसा मंडी) मेरठ छावनी में अवैध निर्माण ढहाने के लिए टीम पहुंची थी। अवैध निर्माणकर्ताओं व उनके साथियों द्वारा सरकारी कर्मचारियों पर जानलेवा हमला किया गया। हमले में कैंट बोर्ड के कई कर्मचारी घायल हो गए थे। निर्माण ढहाने के दौरान स्थानीय लोगों ने सरिये, लाठी-डंडे, र्इंट, हथौड़े व धारदार हथियार से जानलेवा हमला कर दिया था और चार कर्मचारियों को बंधक बना लिया था।
डीईओ के ये बंगले हैं सबसे बदनाम
कैंट के साउथ में स्थित भूसा मंडी के डीईओ के जिन बंगलों का यहां जिक्र किया जा रहा है। उनमें बंगला 198, 199, 200, 201, 202 व 240 शामिल हैं। इन बंगलों में अवैध निर्माणों संगठित होकर कैंट अफसरों की कार्रवाई के बजाए भूमाफियाओं ने संगठित होकर अवैध निर्माण कराए। भारत सरकार की यह संपत्ति खुर्दबुर्द की जाती रही। कैंट अफसर जिसमें सीईओ और डीईओ दोनों ही बराबर के जिम्मेदार हैं, सिर्फ तमाश भर देखते रहे।
- अवैध निर्माणों की जानकारी नहीं
भूसा मंडी स्थित बंगलों के अवैध निर्माण की जानकारी नहीं। कुछ समय पहले ही चार्ज लिया है। यहां आए ज्यादा वक्त नहीं हुआ है। अभी धीरे-धीरे इलाका देख रहे हैं। -विनीत कुमार, रक्षा संपदा अधिकारी।