Thursday, September 19, 2024
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जैन शास्त्रों के स्वाध्याय की प्रवृति डालें :आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर

  • बुराइयों से बचने के लिए शास्त्रों का अध्ययन जरूरी, बच्चों में डाले धार्मिक संस्कार

जनवाणी संवाददाता |

नजीबाबाद: श्री दिगम्बर जैन आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज ने जैन अनुयायियों से प्रवचन के दौरान कहा कि जैन धर्म काफी सहज और सरल है। उन्होंने बच्चों को बचपन से ही जैन शास्त्रों के स्वाध्याय की प्रवृति डालने का आह्वान किया। वहीं सभी जैन अनुयायियों से नियमित मंदिर आने व अन्य धार्मिक कार्यों के लिए नियम लेने को कहा।

गुरुवार को नजीबाबाद से हरिद्वार के लिए विहार करने से पूर्व श्री दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर में जैन अनुयायियों को संबोधित करते हुए आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज ने कहा कि जैन धर्म के अनुयायी को अपने बच्चों में जैन धर्म के संस्कार उत्पन्न करने चाहिए।

उन्होंने कहा कि बचपन से जैन धर्म के ग्रंथों, शास्त्रों का अध्ययन करने पर व्यक्ति बुराइयों से दूर रहता है। इसलिए जैन समाज के लोगों को चाहिए कि वे अपने बच्चों में जैन शास्त्रों के स्वाध्याय की प्रवृति डाले। वर्तमान युग में खान-पान के प्रति विशेष रूप से सजग रहने की आवश्कता है। नशीले पदार्थों,जमीकंद, इत्यादि का सेवन न करें। साथ ही बच्चों से भी इससे दूरी रखने का आह्वान करें।

उन्होंने कहा कि जैन धर्म त्याग का धर्म है। इसलिए बच्चो को जिन वस्तुओं के त्याग की प्रेरणा देते हैं उसका कारण भी शास्त्र व वैज्ञानिक तर्क से उन्हें बताए।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में शिक्षा ले रहे विद्यार्थी सभी चीजों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण की कसौटी पर कस कर देखना चाहते हैं। इसलिए बच्चों को जिन वस्तुओं के प्रयोग के लिए धर्म के अनुसार मना किया जा रहा है, उसका कारण भी अवश्य बताएं।

सिर्फ उपयोग न करने का दबाव न बनाएं। कारण स्पष्ट करने से भ्रांति समाप्त हो जाती है। जैन शास्त्रों के अध्ययन से क्या करें और क्या न करें समझ में आने पर बच्चे इसे स्वयं ही समझ लेंगे और उनसे बार-बार कहना नहीं पड़ेगा। स्वाध्याय के अभाव में और पूर्ण रूप से ज्ञान न ले पाने के कारण ही जैन धर्म कठिन प्रतीत होता है, जबकि जैन धर्म सबसे सहज और सरल है।

उन्होंने कहा कि बेशक आप रोजाना मंदिर आते हों और एक माला या उससे अधिक का जप करते हों परंतु धार्मिक कार्य करने के लिए नियम अवश्य लें। नियम लिए बिना धार्मिक कर्म करने से उस कर्म का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। आचार्यश्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज खंड गिरी उदयगिरि सिद्धक्षेत्र कटक उड़ीसा से राजस्थान, मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के नगर नगर होते हुए उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम से भी ऊंचाई पर स्थित अष्टापद तीर्थ यात्रा के लिए जा रहे हैं।

उन्होंने श्री दिगम्बर जैन मंदिर से हरिद्वार जाने को विहार किया। उनके दर्शनों के लिए जितेन्द्र जैन, अजय जैन, संजय जैन, पंडित पंकज जैन, मनीष जैन, नीशू जैन, अरनव जैन, अशोक जैन, दीपक जैन, नीरज जैन, ज्ञान चंद जैन, स्वाति जैन, कुमकुम जैन, छवि जैन, अलका जैन आदि मंदिर पहुंचे।

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