Saturday, July 27, 2024
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ई-फाइलिंग के विरोध में अधिवक्ताओं ने रखी भूख हड़ताल

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  • जमकर किया विरोध प्रदर्शन

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: उच्चतम न्यायालय की नीतियों पर उत्तर प्रदेश में प्रत्येक जिले स्तर पर ई-फाइलिंग करने की हाईकोर्ट द्वारा घोषणा किए जाने के बाद उस पर रोक लगाई जाने पर मेरठ बार एसोसिएशन और जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने बुधवार को भूख हड़ताल पर रहें। बुधवार को कचहरी स्थित प्याऊ चौपाल पर टेंट लगाकर अधिवक्ताओं ने भूख हड़ताल पर रहकर प्रदर्शन किया। जिसमें अधिवक्ताओं ने ई-फाइलिंग का निर्णय हाईकोर्ट द्वारा वापस लिए जाने पर बेहद नाराजगी जताई।

उन्होंने हाईकोर्ट के इस निर्णय को पूरे प्रदेश के न्यायिक पीड़ितों के साथ अन्याय करना बताया। अधिवक्ताओं ने कहा कि देश की आजादी से लेकर वर्तमान तक लगातार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की मांग चली आ रही है। जिसमें पीड़ितों को सहूलियत देते हुए पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर ई-फाइलिंग करने की सुविधा दी गई थी और उसे शीघ्र चालू करने की घोषणा कर दी गई थी।

परंतु इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा तत्काल रूप से उसे रोक दिया गया, जिस पर अधिवक्ताओं में बेहद आक्रोश है। बुधवार को मेरठ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कुंवरपाल शर्मा महामंत्री विनोद चौधरी जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवदत्त जोशी महामंत्री विमल तोमर की अगुवाई में सैकड़ों अधिवक्ताओं ने भूख हड़ताल पर रहते हुए विरोध प्रदर्शन किया। साथ ही विरोध में पुतला दहन भी किया। इस मांग को पूरा कराए जाने के लिए आगामी रणनीति बनाने और सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने का विचार अधिवक्ताओं द्वारा दिए गए।

वाजपेयी का वेस्ट के वकीलों को आश्वासन

ई-फाइलिंग सेंटरों को स्थापित करने की प्रक्रिया को स्थगित करने के हाईकोर्ट के फैसले पर वेस्ट के वकीलों की नाराजगी पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने वकीलों को आश्वासन दिया है कि इसको लेकर सुप्रीमकोर्ट पहले ही आदेश दे चुका है। संभवत: हाईकोर्ट इलाहाबाद की बार के दबाव में थे, जिसके चलते ई-फाइलिंग सेंटरों को स्थापित करने की प्रक्रिया को स्थगित किया गया हो।

डा. वाजपेयी ने मेरठ बार एसोसिएशन और मेरठ जिला बार के सभी पदाधिकारियों द्वारा हड़ताल समाप्त कर काम पर वापस लौटने के निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि मेरा यह मत था कि हमको किसी भी स्थिति में हड़ताल की स्थिति नहीं बनानी चाहिए थी। इस प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा निर्णय करके और 6 अक्टूबर 2023 को अपने फैसले में भी स्पष्ट किया गया था कि 15 दिन के अंदर यह निर्णय सभी हाई कोर्ट को मानना होगा और कोई हाईकोर्ट, कोई बार इस हियरिंग को मना नहीं कर सकेगी।

इतने स्पष्ट निर्देश के बाद हाईकोर्ट इलाहाबाद की बार के दबाव में थे। संभवत: इसके चलते ई-फाइलिंग सेंटरों को स्थापित करने की प्रक्रिया को स्थगित किया गया। प्रथम दृष्टया यह देखा जाए तो यह सर्वोच्च न्यायालय और इलाहाबाद हाईकोर्ट और उसकी बार एसोसिएशन के बीच का था, हम तो कहीं बीच में थे भी नहीं। अगर आज स्थगित किया है तो बहुत जल्दी यह लागू भी होगा। यह निर्णय कोई उत्तर प्रदेश का नहीं है सारे देश में इसे ई-फाइलिंग केंद्र स्थापित होने जा रहे हैं

एक इलाहाबाद के विरोध के कारण अगर स्थगित करने की प्रक्रिया हुई है, तो यह मानकर चलिए कि यह उचित नहीं था जो इलाहाबाद ने किया, लेकिन कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक स्थापित होने वाले ई-फाईलिंग सेंटर जोकि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय है उसके विरुद्ध कोई कदम उठाना सर्वोच्च न्यायालय के अवमानना जैसा है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के न्याय और निर्णय पर हम विश्वास रखें ई-फाइलिंग सेंटर स्थापित भी होंगे चलेंगे भी और जनता को सस्ता न्याय सुलभ न्याय वादकारी का हित सर्वोच्च के सिद्धांत का पालन होगा।

वकीलों ने बार एसोसिएशन इलाहाबाद का पुतला भी फूंका

सरधना: ई-फाइलिंग पर हाईकोर्ट के स्थगनादेश के विरोध में बुधवार को तहसील सरधना में अधिवक्ताओं ने हड़ताल रखी। सरधना बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मलखान सैनी और महामंत्री अरविंद प्रताप ने बताया कि प्रदेश में जिला मुख्यालय पर ई-फाइलिंग व्यवस्था शुरू होने के आदेश पर रोक लगा दी गई है। इसके लिए हाईकोर्ट ने स्थगनादेश जारी किया है। हाईकोर्ट के स्थगनादेश के विरोध में बुधवार को सरधना बार एसोसिएशन के अधिवक्ता न्यायिक कार्यों से विरत रहे। इसको लेकर जिला बार के सभागार में हुई बैठक में अधिवक्ताओं ने ई-फाइलिंग व्यवस्था को लागू करने की मांग उठाई।

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जिसके बाद अधिवक्ताओं ने तहसील परिसर में पहुंचकर बार एसोसिएशन इलाहाबाद का पुतला फूंका और विरोध में नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि ई-फाइलिंग व्यवस्था लागू होने से लोगों को काफी सुविधा मिलेगी। उन्होंने मांगों को लेकर आंदोलन करने की भी चेतावनी दी। इसके उपरांत प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट, हाइकोर्ट इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश सरकार, जनपद न्यायाधीश और संघर्ष समिति को भेजा। इस दौरान बार अध्यक्ष मलखान सैनी, अरविन्द प्रताप सिंह, राजेश कुमार, मनीष कुमार, हिमेन्द्र सिंह सैनी, मोहम्मद दीन, शबाना मलिक, अरुण कुमार, दीपक तालियान, राकेश कुमार, शबाना मलिक, सुकरमपाल सिंह, विनोद आदि मौजूद रहे।

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