- नई आरक्षण सूची को लेकर अटकलें लगनी शुरू
- राजनीतिक दलों में भी बेचैनियां बढ़ी, नये समीकरण फिर बनेंगे
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: त्रिस्तरीय पंचायतों के आरक्षण की सूची पर हाईकोर्ट के रोक लगाने के बाद अब लोगों की सारी तैयारियां धरी रह गई है। प्रत्याशियों की तैयारियां भी धरी रह गई और उनकी टेंशन इसलिये बढ़ गई है कि जीत हासिल करने के लिये उनकी जेबें ढीली होने लगी थी।
अब आरक्षण की व्यवस्था 2015 के शासनादेश के हिसाब से होगी इस कारण फिर से नये समीकरण बनेंगे। फिलहाल लोगों की उम्मीदें नई आरक्षण सूची पर आकर टिक गई है।
जनपद में ग्राम पंचायतों की संख्या 479, ग्राम पंचायत सदस्यों की संख्या 6373, क्षेत्र पंचायतों की संख्या 824 और जिला पंचायत वार्डों की संख्या 33 है। इनके लिये शासन ने 1995 की आरक्षण व्यवस्था के हिसाब से आरक्षण की व्यवस्था की थी।
अंतिम सूची जारी होने से पहले हाईकोर्ट में शिकायत कर दी गई और सोमवार को हाईकोर्ट ने शासन की तैयारियों पर रोक लगाकर 2015 के आरक्षण के हिसाब से सूची बनाने के निर्देश दिये हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद जनपद के सभी 479 गांवों में हलचल मच गई है और अब नये समीकरण उभरना शुरू हो जाएंगे।
आरक्षण बदलने के कारण जिन गांवों में लोगों के सपने टूटे अब उन लोगों में एक बार फिर से उम्मीदें जाग गई है। दरअसल गांवों में पंचायत चुनावों की तैयारियां तो कई महीने पहले शुरू हो गई थी। वोटरों को लुभाने के लिये शराब पार्टी लंबे समय से चल ही थी।
वहीं, दूसरे गुट में सेंध लगाने के लिये गांवों में गुटबाजी बढ़ने लगी थी। जैसे ही प्रशासन ने आरक्षण का ऐलान किया था तभी से तमाम प्रत्याशियों ने बैनर पोस्टर और दीवारें पुतवानी शुरू कर दी थी। कुछ लोगों ने संभावित प्रत्याशी के बोर्ड तक लगवा दिये थे।
हाईकोर्ट के आदेश ने इनके सपनों को धराशायी कर दिया। दरअसल, आरक्षण सूची जारी होने के बाद आपत्तियां मांगी गई थी और उनके निस्तारण की प्रक्रिया चलने के दौरान ही हाईकोर्ट में रिट दाखिल हो गई थी। ऐसे में उन संभावित प्रत्याशियों के चेहरों पर रौनक आ गई है जो आरक्षण बदल जाने के कारण मायूस हो गए थे।
हापुड़ अड्डे के पास प्रचार की सामग्री लेने आए अब्दुल जब्बार और सोनू गूर्जर ने बताया कि 10 दिन में काफी सामग्री खरीद ली थी, लेकिन अब नई सूची जारी होगी उसमें चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा कि नहीं। दुकानदार नईम कुरैशी ने बताया कि 10 दिन से काफी आर्डर आ रहे हैं।
सबसे ज्यादा ग्राम प्रधानी के चुनाव के लिये लोग बैनर बनवाने के लिये आ रहे हैं। अभी चुनाव चिह्न घोषित नहीं हुए है ऐसे में उसे आर्डर अभी नही आ रहे हैं।
कलक्ट्रेट में लोगों की भीड़
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद विकास भवन स्थित डीपीआरओ आलोक सिन्हा के पास लोगों के आने का तांता लगना शुरू हो गया।
हर कोई नये आदेश के बाद की स्थिति जानने का प्रयास कर रहे थे। लोग यही जानना चाह रहे थे कि जिन गांवों में पहले से आरक्षण नहीं चल रहा था, क्या वो भी इस आदेश के दायरे में आ जाएंगे। ग्रामीणों का यह भी कहना था कि उनको उम्मीद थी कि जिस तरह से आरक्षण में हीला हवाली की गई है, उससे बवाल तो होगा ही।
सपने हुए ध्वस्त
पंचायत चुनाव की तैयारी में जुटे दावेदारों के सपनों को शासन द्वारा निर्धारित आरक्षण प्रक्रिया ने ध्वस्त कर दिया। निराश हुए दावेदारों को आपत्ति के रूप में पतवार मिली, लेकिन उचित तर्क तलाशने में नाकाम रहे दावेदारों का सहारा भी आपत्ति निरस्तीकरण की मझधार में डूबता नजर आया।
उधर, जिला प्रशासन की कमेटी ने 479 ग्राम पंचायतों से प्राप्त 475 आपत्तियों का 12 मार्च तक निस्तारण कर लिया था। शुक्रवार को हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह प्रक्रिया रोक दी गई। हाईकोर्ट द्वारा आरक्षण की अंतिम सूची के प्रकाशन पर रोक लगने से निराश हो चुके दावेदारों को उम्मीद है कि अब आरक्षण प्रक्रिया में कुछ बदलाव जरूर होगा।
हाईकोर्ट की रोक के बाद आपत्ति निरस्त करने के साथ अंतिम सूची बनाने का काम रोक दिया गया था। अधिकारी सोमवार को सरकार द्वारा हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखने और अदालत के निर्णय के इंतजार में थे। डीपीआरओ आलोक सिन्हा ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय के बाद आपत्ति निस्तारण कार्य रोक दिया गया है। अब आगे की प्रक्रिया के लिए शासन के आदेश का इंतजार है।
पंचायती चुनाव: अब नये सिरे से तैयार होगी आरक्षण सूची
त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव को लेकर पदों के आवंटन के आरक्षण की सभी तैयारी धरी रह गई। हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 को आधार मानकर चुनावी प्रक्रिया पूरी कराने के निर्देश दिये हैं, जिसके चलते जिला स्तर पर ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य पदों के आवंटन की सूची को फिर से तैयार किया जाएगा। हालांकि जिला प्रशासन के पास इस संबंध में अभी शासनादेश नहीं पहुंचा है, लेकिन आज आदेश आने की संभावना है। इसको लेकर जिला स्तर पर तैयारी शुरू कर दी गई है।
मेरठ में त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव को लेकर जिला पंचायती राज अधिकारी कार्यालय में लगभग पूरी तैयारी कर ली गई थी। बता दें कि इस बार 479 ग्राम पंचायतों, 6373 ग्राम पंचायत के वार्डों, 824 क्षेत्र पंचायतों के वार्डों और 33 जिला पंचायत सदस्यों के पद पर चुनाव होना है।
पदों के आरक्षण के आवंटन की सूची 14 मार्च को जारी होनी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने सूची के अंतिम प्रकाशन पर रोक लगा दी है और वर्ष 2015 को आधार मानकर पदों के आरक्षण का आवंटन करने के लिये सूची का प्रकाशन करने के आदेश दिये हैं। जिसके बाद विभाग की ओर से भी नये सिरे से तैयारी शुरू कर दी गई है।
नये सिरे से करनी होगी सारी तैयारी
जिला पंचायती राज अधिकारी आलोक कुमार सिन्हा का कहना है कि इस संबंध में हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी प्राप्त हुई है। इसके आधार पर विभाग को आरक्षण सूची को नये सिरे से बनाना होगा। सारी तैयारी नये सिरे से करनी होगी। हालांकि अभी शासन की ओर से कोई आदेश नहीं आया है।
आज विभाग को आदेश प्राप्त हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि कोर्ट की ओर से प्रक्रिया को पूरी करने के लिये 10 दिनों का समय दिया गया है। शासनादेश प्राप्त होने का इंतजार है विभाग की ओर से कार्य शुरू कर दिया जाएगा। आरक्षण किस आधार पर किया जाएगा यह शासनादेश आने के बाद ही पता चल पायेगा।
प्रधान संगठन ने जताया धन्यवाद
1995 के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था से जहां सामान्य सीट होनी चाहिए थी वहां पर ओबीसी कर दी गई और जहां ओबीसी होनी चाहिए थी वा एससी के लिये आरक्षित कर दी गई। इससे चुनाव लड़ने वालों में निराशा थी। प्रधान संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा का कहना है हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था करने के निर्देश दिये हैं।
वह हाईकोर्ट के इस निर्णय का स्वागत करते हैं और हाईकोट का धन्यवाद व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था होने से चक्रानुक्रम के आधार पर आरक्षण तय हो सकता है जिससे जो सीट आरक्षित थी वह नहीं रहेगी। इसके अलावा जो सीटे बचेंगी वहां जनसंख्या के आधार पर आरक्षण तय किया जा सकता है। हालांकि शासनादेश आने के बाद ही स्थिति पूरी साफ हो पाएगी।
और बढ़ा संभावित प्रत्याशियों का इंतजार
आरक्षण सूची में बदलाव की जानकारी मिलते ही संभावित प्रत्याशियों के होश उड़ गये हैं। अब तक जिस आरक्षण सूची के आधार पर दावेदार चुनाव प्रचार में जुटे थे वह बदलने वाली है। अब देखना यह होगा कि ऊंट किसी करवट बैठता है। यह स्थिति 10 दिन के बाद साफ होगी।
इससे संभावित प्रत्याशियों का इंतजार 10 दिन के लिये और बढ़ गया है। अगले 10-15 दिनों तक सभी भावी प्रत्याशियों की राशि पर शनि की दशा व दिशा पूर्ण रूप से भारी पड़ती नजर आ रही है। ऐसा लगता है मानों भूल-भुल्लैया का खेल शुरू हो गया है रास्ता किसको मिलेगा किसको नहीं यह किसी को नहीं पता। यानि किसकी किस्मत जागेगी किसी को नहीं पता।