- पांच माह पहले निलंबित, अब तक चार्ज शीट नहीं
- अंधेरगर्दी: नगर निगम में सब चल रहा है राम भरोसे
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: क्या ऐसा हो सकता है कि गबन में कर्मचारी निलंबित हो जाए और फिर पांच माह तक कर्मचारी को न तो चार्ज शीट दी जाये और न ही उसको निलंबन अवधि का वेतन दिया जाये। सोने पे सुहागा यह कि इसी निलंबित कर्मचारी की लोकसभा चुनाव में ड्यूटी लगा दी जाती है। नगर निगम में सब कुछ रामभरोसे ही चल रहा है। निगम की माया भी अपरंपार है। यहां एक गबन रुकता नहीं कि दूसरा शुरू हो जाता। यहां अनुभाग ही इतने हैं कि कहीं न कहीं घोटाला होता ही रहता है।
इन पर कड़ी कार्रवाई की जगह दबाने की कवायद ही जाती है। फिलहाल जिस निलंबित कर्मचारी की हम बात कर रहे हैं, उसका नाम अर्जुन है। नगर निगम के नियमित कर्मचारियों में शुमार अर्जुन की नगर निगम में नियुक्ति 26 वर्ष पूर्व हुई थी। पहले वह वार्ड-32 में सफाई कर्मचारी के पद पर कार्यरत था, लेकिन बाद में शैक्षणिक योग्यता के आधार पर उसकी ड्यूटी कर निर्धारण अधिकारी के साथ लगा दी गई। अर्जुन के जिम्मे यह काम था कि हाउस टैक्स के बकायेदारों से किस्तों में पैसे लेकर आता था। फिर वह इस बकाया बिल की धनराशि को किस्तों में नगर निगम के खजाने में जमा करा देता था।
नगर निगम के आउट सोर्स कर्मचरियों में पूनम गोयल तथा तारिक मतीन ने नगर आयुक्त से शिकायत की कि अर्जुन ने फील्ड से क्रमश: 56 हजार रुपये तथा दो लाख रुपये बकायेदारों से वसूल तो किये हैं, लेकिन उस धनराशि को नगर निगम के खजाने में जमा नहीं कराया है। नगर आयुक्त ने इस शिकायत मिलने के बाद सीधे 14 दिसंबर 2023 को अर्जुन को निलंबित कर दिया तथा मुख्यालय जोन से हटाकर परतापुर गोशाला से संबद्ध कर दिया।
कर्मचारी को किस आरोप में उसको निलंबित किया जा रहा है। इसके लिए कोई चार्जशीट नहीं दी गई। न ही उसको अपनी सफाई का मौका ही दिया गया। साथ ही इस निलंबन में एक कारनामा यह भी अंजाम दिया गया कि निलंबन पत्र में इस बात का भी कोई उल्लेख नहीं किया गया कि जांच अधिकारी किस को बनाया गया है।
निलंबन के बावजूद चुनाव में ड्यूटी
अब बड़ा खेल इस निलंबन अवधि में यह किया गया कि लोकसभा चुनाव में नगर निगम के कर्मचारियों की ड्यूटियां लगाई गर्इं। इसमें चुनाव ड्यूटी का निर्धारण करने वाले मतदान अधिकारी ने अर्जुन की ड्यूटी बागपत लोकसभा के अन्तर्गत आने वाली सिवाल खास विधान सभा में लगा दी। अर्जुन को बाकायदा इसके लिए निर्देश दिये गये कि चुनाव ड्यूटी पर पहुंचे। जबकि निलंबित कर्मचारी को इस प्रकार चुनाव ड्यूटी या सीधे किसी दूसरे कार्य में तब तक नहीं लगाया जा सकता है।
अर्जुन ने चुनाव ड्यूटी पर पहुंचकर मतदान कार्य में सहयोग दिया। इसके बाद अब भी उसको न तो ड्यूटी पर लिया जा रहा है और न ही निलंबन पत्र दिया जा रहा है। पांच माह से अर्जुन को न तो वेतन मिल रहा है और न ही उसे अपनी सफाई पेश करने का अवसर ही दिया जा रहा है। मामला बनते न देख उसने जिलाधिकारी व कमिश्नर से भी शिकायत की है। फिलहाल उसके बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है।