Saturday, July 27, 2024
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नियुक्तियां भी जांच के दायरे में

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  • डीएन पॉलीटेक्निक का मामला: फीस घोटाला ही नहीं और भी है कई घोटाले
  • कमेटी कालातीत फिर भी कर दी गयी छह की नियुक्ति
  • बगैर अनुमोदन के कर दी गयी नियुक्तियां, शासन को भेजी शिकायत

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शासन स्तर की दो-दो जांचों में फंसे डीएन पॉलिटेक्निक परतापुर में करोड़ों रुपए को खुर्द-बुर्द मसलन शासन की अनुमति के बगैर खर्च कर दिए जाने से भी बड़ा मामला निकलकर सामने आया है। इसकी शिकायत शासन को भेजी गयी है। यह मामला नियुक्तियों को लेकर है। डीएन पॉलिटेक्निक के गड़बड़ घोटालों की जांच कराने वालों का कहना है कि फीस से भी बड़ा मामला तो शासन की अनुमति लिए बगैर की गयी नियुक्तियों का है।

संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिम क्षेत्र दौराला मेरठ से शासन की अनुमति लिए बगैर की गई उक्त छह नियुक्तियों की भी जांच कराए जाने का आग्रह फीस के संबंध में संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिम क्षेत्र दौराला को एक पत्र भी भेजा गया है। पत्र में छह नियुक्तियों का भी विस्तार से उल्लेख किया गया है। साथ ही मामले की जानकारी शासन को भी दी गयी है। आरटीआई एक्टिविस्ट कुलदीप शर्मा ने बताया कि शासन ने प्रथम दृष्टया नियुक्तियों को संदिग्ध माना है।

शासन से अनुमोदित नहीं

डीएन पॉलीटेक्निक परतापुर में उक्त जिन 23 नियुक्तियों (छह प्रवक्ता व छह तृतीय श्रेणी के पद) की बात जांच समिति के अध्यक्ष संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिम क्षेत्र दौराला के समक्ष प्रमुखता से उठायी गयी है, उनके संबंध में पत्र में कहा गया है कि 20 मार्च 2016 को की गयीं इन नियुक्तियों के लिए शासन से अनुमोदन तक नहीं लिया गया। आरटीआई एक्टिविस्ट कुलदीप शर्मा ने बताया कि इसका साक्ष्य भी दिया गया है

जिसमें अध्यक्ष प्रबंध समिति के अनुमोदन न होने का प्रपत्र नत्थी किया गया है। यह भी कहा गया है कि तत्कालीन अध्यक्ष प्रबंध समिति दयानंद गुप्ता द्वारा विज्ञापन कराया गया था। उक्त तिथि में अध्यक्ष प्रबंध समिति शासन से अनुमोदित न होते हुए भी ये छह नियुक्ति कर ली गयीं। इन 12 नियुक्तियों की भी जांच कराए जाने का आग्रह किया गया है। साथ ही शासन को भी अवगत कराया गय है।

कालातीत है प्रबंध समिति

डीएन पॉलीटैक्निक परतापुर की प्रबंध समिति अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 30 जून 2020 को समाप्त हो गया था। संस्था के प्रबंध तंत्र व प्रधानाचार्य के विरुद्ध नियुक्तियों में कथित तौर पर भ्रष्टाचार किए जाने के कारण अध्यक्ष प्रबंध समिति का कार्यकाल तक नहीं बढ़ाया जा सका। मेरठ स्थित डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटीज मेरठ से आरटीआई के तहत मांगी गयी जानकारी में सबसे चौंकाने वाला व भयंकर खुलासा यह हुआ है कि साल 2010 से 2023 तक प्रबंध कार्यकारिणी डिप्टी रजिस्ट्रार फार्म्स सोसाइटी के यहां रजिस्टर्ड नहीं है। सोसाइटी के संशोधित बायलाज सन 1982 की धारा की धारा 11 के अनुसार अध्यक्ष/सदस्य प्रबंध सोसाइटी कालातीत होने पर कोई भी प्रशासनिक व वित्तीय कार्य नहीं कर सकती।

ताक पर कायदे कानून

संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिम क्षेत्र दौराला को प्रेषित पत्र में आरोप है कि डीएन पॉलीटेक्निक की प्रबंध समिति कालातीत होने के बावजूद उक्त के द्वारा तमाम प्रशासनिक व वित्तीय कार्य किए गए, जो कि शासन की नियमावली के मुताबिक पूरी तरह से अवैध हैं तथा कालीतीत अवधि में जो भी वित्तीय व प्रशासनिक निर्णय लिए गए हैं वो सभी निरस्त किए जाने चाहिए। पत्र में कहा गया है कि शासन से प्राप्त सूचना के तहत अध्यक्ष का कार्यकाल न बढ़ाने का पत्र, फर्म्स सोसइटी द्वारा जारी पत्र एवं डीएन सोसाइटीज के संशोधित बायलाज की भी जानकारी संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिम क्षेत्र दौराला को दी गयी है।

जो पद सृजित नहीं उस पर नियुक्ति कैसे

डीएन पॉलीटेक्निक के प्रधानाचार्य वीरेन्द्र आर्य की जो नियुक्ति है, उसका मूल पद प्रवक्ता इलेक्ट्रानिक विद्युत विभाग है, जबकि यह पद शासन से आज तक सृजित नहीं। संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिम क्षेत्र दौराला को प्रेषित पत्र में सवाल किया गया है कि जब शासन से पद ही सृजित नहीं है तो उस पर वीरेन्द्र आर्य की नियुक्ति किस आधार पर कर दी गयी। जिस दौरान इनकी नियुक्त प्रवक्ता इलेक्ट्रानिक पद पर की गयी उस समय विद्युत विभाग के तीनों पद भरे हुए थे। इसी वजह से कहा जा रहा है कि पद सृजित न होते हुए भी नियुक्ति किस आधार पर कर दी गयी।

आरोप है कि वीरेन्द्र आर्य ने प्रवक्ता पद का अनुचित लाभ पाकर ही प्रधानाचार्य का पद हासिल किया, जिसकी जांच की जानी जरूरी है। इससे संबंधित संयुक्त निदेशक एसएस राम संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिम क्षेत्र दौराला की जांच रिपोर्ट 1886/जांच डीएन पॉलीटेक्निक दिनांक 21 जुलाई 2012 से भी पुष्टि की जा सकती है। संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिम क्षेत्र दौराला को जांच रिपोर्ट भी प्रेषित की गयी है।

संस्था कालातीत तो प्रशासक की नियुक्ति का रास्ता साफ

संयुक्त निदेशक प्राविधिक शिक्षा पश्चिम क्षेत्र दौराला को अवगत कराया गया है कि देवनागरी पॉलीटेक्निक परतापुर की भूमि, भवन एवं सभी साज सज्जा सरकारी है। प्रबंध तत्र का इस संस्था में कोई योगदान नहीं। डीएन सोसाइटी के बॉयलॉज एवं विनियमावली 1996 के अनुसार संस्था के चेयरमैन पद पर बाहर का या राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि या सोसाइटी सदस्य हो।

इसलिए कालीतीत प्रबंध तंत्र के स्थान पर सरकार का प्रतिनिधि या प्रशासक नियुक्त किए जाने की सिफारिश की जानी चाहिए। तथ्यों व साक्ष्यों के आलोक में जांच व कार्रवाई कर दोषियों के विरुद्ध उच्चाधिकारियों को विनियमावली 1996 एवं शासनादेश के अनुसार कार्यवाही की सिफारिश की जाए। इन तमाम साक्ष्यों से उप सचिव उत्तर प्रदेश शासन व सीएम योगी को भी अवगत कराया गया है।

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