Saturday, July 27, 2024
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बड़ा खेल: फर्जी एफडीआर पर दे दिए टेंडर

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  • सीएम योगी की जीरो टोलरेंस नीति फेल, टेंडरों में घालमेल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टोलरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं, लेकिन कई विभाग ऐसे हें जो सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। इनमें से एक विभाग लघु सिंचाई। वृत्त मेरठ में टेंडरों को लेकर बड़ा घालमेल चल रहा हैं। फर्जी एफडीआर टेंडर पुलिंग किया जा रहा हैं। ये तथ्य भी प्रारंभिक जांच पड़ताल में सामने आया हैं। सत्यपान वित्तीय बिड खोलने से पहले किया जाना चाहिए था, लेकिन टेंडर पुलिंग का कार्य किया जा रहा हैं। इस पूरे खेल पर अधीक्षण अभियंता आलोक सिन्हा भी अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं।

टेंडरों के घालमेल का पहले भी आरोप लगा था, जिसमें निविदाएं निरस्त कर दी गई थी। यही नहीं, लघु सिंचाई विभाग के अफसरों ने पहले तो कुछ ठेकेदारों को पात्र मान लिया था, जो अपनी ई-टेडरिंग साइट पर अपलोड भी कर दिया गया था, लेकिन दो दिन बाद ही कुछ ठेकेदारों को अपात्र भी घोषित कर दिया था, उसे भी पोर्टल पर अपडेट कर दिया था। महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि जिन ठेकेदार या फिर कंपनी को अपात्र ठहराया गया था, उनकी टेंडर बीड कैसे ओपन कर दी गई।

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यही नहीं, निविदाएं प्रक्रिया जो हुई हैं, उस पर अधीक्षक अभियंता का पद तो लिखा है, लेकिन हस्ताक्षर किसी अन्य ने किये हैं। सूत्रों का कहना है कि अधीक्षण अभियंता आफिस नहीं आये, फिर हस्ताक्षर किसने किये? इसकी भी जांच होनी चाहिए। रोहित निवासी कहरका ने ये शिकायत भी की है कि हस्ताक्षर किसके? इसकी जांच होनी चाहिए। टेंडर प्रक्रिया में आमंत्रित निविदाओं में प्रतिभाग कर रहे ठेकेदारों में एल-2,एल-3 में संलगन धरोहर धनराशि व यूपी इलेक्ट्रोनिक्स प्रंजीकरण प्रमाण पत्र, अनुभगव प्रमाण पत्र, तकनीकी स्टाफ का सत्यपान वित्तीय बिड खोले जाने से पहले नहीं कराया गया हैं।

जो नियमानुसार सत्यापन कराया जाना अति आवश्यक होता है। महत्वपूर्ण तथ्य ये भी है कि चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र व फर्जी एफडीआर को ही सही मानते हुए उनको टेंडर दिलाकर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार करने का आरोप भी शिकायतकर्ता ने लगाये हैं, जिनके कार्यों इससे पहले अधूरे थे, उनको भी टेंडर कैसे दे दिये? वो इसके लिए पात्र नहीं हैं, फिर भी उन्हें पहले अपात्र दर्शाया गया, फिर उन्हें पात्र कैसे बना दिया? ये भी बड़ा सवाल हैं।

इसकी भी जांच पड़ताल ग्राउंड स्तर पर होनी चाहिए। इतना बड़ा खेल तब चल रहा है जब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के सीधे खिलाफ हैं तथा अफसरों को चेता भी चुके हैं। फिर भी लघु सिंचाई विभाग के अफसर कैसे भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं? क्या शासन भ्रष्टाचार कर रहे अफसरों पर लगाम लगा पाएंगे?

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