Friday, July 4, 2025
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सट्टेबाजी से जुड़े विज्ञापनों पर रोक जरूरी

Nazariya 22


ALI KHANदेश के तमाम प्राइवेट सैटेलाइट चैनलों, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और न्यूज वेबसाइट्स से केंद्र सरकार ने कहा है कि वे बेटिंग यानी सट्टेबाजी से जुड़े विज्ञापन दिखाना बंद करें। केंद्र सरकार ने एडवाइजरी में यह बात बेहद सख्त और चेतावनी भरे अंदाज में कही है। केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से यह एडवाइजरी सोमवार को जारी की गई है। मंत्रालय के मुताबिक, यह एडवाइजरी इसलिए जारी की जा रही है, क्योंकि देश के ज्यादातर हिस्सों में सट्टेबाजी और जुआ खेलने पर कानूनी रोक है। उपभोक्ताओं, विशेषकर युवाओं एवं बच्चों के लिए व्यापक वित्तीय और सामाजिक-आर्थिक जोखिम होने को ध्यान में रखते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने दो एडवाइजरी जारी कीं, जिनमें से एक एडवाइजरी निजी टेलीविजन चैनलों के लिए और दूसरी एडवाइजरी डिजिटल समाचार प्रकाशकों और ओटीटी प्लेटफॉर्मों के लिए है। इस एडवाइजरी में इन सभी को आॅनलाइन सट्टेबाजी साइटों के विज्ञापनों और इस तरह की साइटों के सरोगेट विज्ञापनों को दिखाने से बचने की सलाह बड़ी सख्ती के साथ दी गई है। मालूम हो कि मंत्रालय ने इससे पहले 13 जून, 2022 को एक एडवाइजरी जारी कर समाचार पत्रों, निजी टीवी चैनलों और डिजिटल समाचार प्रकाशकों को आॅनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्मों के विज्ञापन प्रकाशित करने से बचने की सलाह दी थी। लेकिन सरकार के संज्ञान में यह आया था कि टेलीविजन पर कई स्पोर्ट्स चैनल के साथ-साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म हाल में विदेशी आॅनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म के साथ-साथ उनकी सेरोगेट न्यूज वेबसाइटों के विज्ञापन दिखा रहे हैं। एडवाइजरी को साक्ष्यों के साथ जारी किया गया, जिसमें फेयरप्ले, परीमैच, बेटवे, वुल्फ 777 जैसे आॅफशोर सट्टेबाजी प्लेटफार्मों के प्रत्यक्ष और सरोगेट विज्ञापन शामिल थे।

मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि चूंकि देश के अधिकांश हिस्सों में सट्टेबाजी और जुआ गैर-कानूनी है, इसलिए इन सट्टेबाजी प्लेटफार्मों के विज्ञापन और साथ-साथ उनके सरोगेट विज्ञापन भी गैर-कानूनी हैं। ये एडवाइजरी, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 और आईटी नियम, 2021 के प्रावधानों पर आधारित हैं। मंत्रालय ने एडवाइजरी में सूचित किया है कि आॅनलाइन विदेशी सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म अब डिजिटल मीडिया पर बेटिंग प्लेटफॉर्म का विज्ञापन करने के लिए समाचार वेबसाइटों को एक सरोगेट उत्पाद के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे मामलों में मंत्रालय ने पाया है कि सरोगेट समाचार वेबसाइटों के लोगो सट्टेबाजी के प्लेटफॉर्म के समान हैं। इसके अलावा, मंत्रालय ने कहा है कि न तो सट्टेबाजी के प्लेटफॉर्म और न ही समाचार वेबसाइट भारत में किसी भी वैधानिक प्राधिकरण के तहत पंजीकृत हैं। ऐसी वेबसाइटें समाचार की आड़ में सरोगेट विज्ञापन के रूप में सट्टेबाजी और जुए को बढ़ावा दे रही हैं।

दरअसल, देशभर में सट्टेबाजों की सक्रियता की खबरें समय-समय पर सामने आती रहती हैं। नि:संदेह इसे बढ़ावा देने में सट्टेबाजी से जुड़े विज्ञापनों की बड़ी भूमिका रही है। आज चिंताजनक पहलू यह है कि सट्टेबाजी में युवाओं की बड़ी आबादी गिरफ्त में आ रही है। इस ओर आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। हकीकत यही है कि आज जहां कहीं भी देश में सट्टेबाजों की गैंग गिरफ्त में आ रही है, उसमें सबसे ज्यादा युवाओं की संलिप्तता देखने को मिल रही है। उल्लेखनीय है कि हमारे देश में जुआ खेलने और सट्टेबाजी को एक अपराध माना गया है। इस बात से किनारा नहीं किया जा सकता कि आजकल देश में आॅनलाइन गेम्स युवा आबादी को सट्टेबाजी और जुआ जैसी बेहद बुरी लत में धकेलने का काम कर रहे हैं। देश में कई राज्यों ने आॅनलाइन गेम्स को बैन करने की मांग भी उठाई है।

हालांकि कई राज्यों ने अपने स्तर पर आॅनलाइन गेम्स को प्रतिबंधित भी किया है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में क्रिकेट से जुड़े कुछ आॅनलाइन गेमिंग ऐप्स प्रचलन में बने हुए हैं। ये सभी ऐप्स सट्टेबाजी को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। इसके बावजूद इन ऐप्स पर कोई रोक नहीं है। बता दें कि ये ऐप्स लोगों को करोड़ों रुपए तक जीत लेने का दावा करते हैं। बाकायदा बड़े-बड़े विज्ञापन भी जारी किए जाते है, जिसमें दिखाया जाता है कि एक रुपए इंवेस्ट करो और एक करोड़ रुपए तक पाओ। एक शोध से यह जानकारी मिली है कि देशभर में लगे लॉकडाउन के दौरान इन आॅनलाइन ऐप्स के यूजर्स की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। सट्टेबाजी से जुड़े ऐप्स बड़ा इनाम और बोनस देने का वादा करके लोगों को सीधे-सीधे जुए की लत लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जो गैर-कानूनी है।

शहरों की सट्टेबाजी की संस्कृति ने अब ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पूरी पैठ बना ली है। बेरोजगार युवकों के लिए एक आसरा या समय काटने का सहारा बना सट्टा उनके परिवारों को बर्बादी की कगार पर खड़ा करता जा रहा है। हकीकत यह भी है कि सट्टेबाजी के चलते आपराधिक घटनाओं में वृद्धि हुई है। इसमें मारपीट व चोरी की घटनाएं बढ़ी है। आज आॅनलाइन गेम्स की लत और इसमें चलने वाली सट्टेबाजी के चलते देशभर से कई लोगों के आत्महत्या किए जाने के प्रकरण भी सामने आते रहे हैं। इसके बावजूद इन ऐप्स पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है। यदि समय रहते सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों पर सख्ती के साथ शिकंजा नहीं कसा तो देश की युवा आबादी की सट्टेबाजी में संलिप्तता और ज्यादा बढ़ने वाली है। जो किसी भी देश के लिए शुभ संकेत नहीं है। लिहाजा, सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है।


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