- सबसे ज्यादा बदनाम कोतवाली, थाना देहलीगेट गेट में आने वाले इलाके
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेडा ही नहीं किसी भी विकास प्राधिकरण के टाउन प्लानर का काम होता है शहर के विकास का खाका खींचना। लोगों को दिक्कतों और समस्याओं से राहत दिलाना। ऐसी प्लानिंग करना कि आमजन वाहवाही करे। लेकिन इस शहर में ऐसा कुछ नहीं हो रहा। प्लानिंग नाम की कोई चीज ही नजर नहीं आ रही। शहर के नये इलाकों को छोड़ दें तो पुराने शहर की तंग गलियों में बड़े बड़े कांप्लेक्स खड़े हो रहे हैं। रास्ते ऐसे जिनमें ई-रिक्शा तक न जा पाएं। पर टाउन प्लानर इससे बिल्कुल अनभिज्ञ हैं। उनके नक्शे के बिना कुछ नहीं हो सकता पर यहां तो उनकी जरूरत ही नहीं, 100-100 दुकानों के बड़े कांप्लेक्स खड़े हो गए हैं।
जाहिर सी बात है सब कुछ ऐसे ही नहीं हो गया। इसके पीछे मेडा के पूरे के पूरे अमले की मिलीभगत रही होगी। ऐसे मामले को जनवाणी ने पिछले दिनों प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिस पर आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मेडा को कटघरे में खड़ा किया। आरटीआई एक्टिविस्ट ने बताया कि उनकी ओर मेडा के जवाब पर उनकी ओर से आज रिजाइंडर दाखिल किया गया है। इससे पूर्व चीफ जस्टिस द्वारा मेरठ विकास प्राधिकरण को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अवैध निर्माणों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करें। पर आज तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इन तंग इलाकों में खड़े हो गए बड़े निर्माण
पुराने मेरठ शहर के शहर सराफा बाजार, कागजी बाजार, लाला का बाजार, नील की गली, खैरनगर, मोहल्ला पत्थरवालान, मोहल्ला ठठेरवाड़, मोहल्ला शीशमहल, श्री श्याम जी प्लाजा लाला का बाजार, मोहल्ला जत्तीवाड़ा इत्यादि की तंग गलियों में 100 सालों से भी अधिक पुराने आवासीय भवनों को तोड़कर कांप्लेक्स में तब्दील कर दिया गया। कोई नक्शा पास नहीं, पार्किंग नहीं, सुरक्षा का कोई ख्याल नहीं। अफसर आंखें मूंदे बैठे हैं।
कार्रवाई में मेडा अफसरों के कांपते हैं हाथ
गलियों में अवैध कांप्ल्ोक्स बनाने के जिम्मेदार मेडा अफसरों के अब कार्रवाई में हाथ कांप रहे हैं। शहर में भीड़ वाले इलाकों में अवैध निर्माणों से नाराज हाईकोर्ट बड़ा चाबुक चलाने की तैयारी में है। दूसरी तरफ मेडा अफसर इस चिंता में हैं कि तमाम निर्माण सफेदपोशों के हैं। उनकी ऊंची राजनीतिक पहुंच है। कैसे ऐसे निर्माण गिराये जाएं।
युग हॉस्पिटल पर मेहरबान मेडा, नहीं की सील की कार्रवाई
मेरठ: जिले में अवैध रूप से संचालित अस्पतालों पर मेरठ विकास प्राधिकरण और स्वास्थ्य विभाग मेहरबान होता नजर आ रहा है। इन अस्पतालों पर कार्रवाई की बात कागजों में घूमती रहती है, लेकिन धरातल पर इसका कोई असर नहीं दिखता है। ऐसा ही उदाहरण हापुड अड्डा स्थित युग अस्पताल का भी है। मेडा की जांच में पता चला कि युग अस्पताल बिना नक्शे के बना हुआ है, उसका भवन भी काफी पुराना है, बावजूद इसके यह कार्रवाई नोटिस तक ही सीमित हो गई। अब स्वास्थ्य विभाग और मेडा दोनों एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं।
मेरठ विकास प्राधिकरण ने एक शिकायत के आधार पर करीब 15 दिन पहले कुछ अस्पतालों को नोटिस भेजे थे। इसके साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग को भी अस्पतालों के लाइसेंस निरस्त करने के लिए पत्र भेजा गया था। इसी दौरान युग अस्पताल को भी मानचित्र और अन्य दस्तावेज दिखाने के लिए नोटिस दिया गया था। पहले नोटिस को नजर अंदाज करते हुए अस्पताल ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद मेडा ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखा, जिसका संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल को सात दिन में जवाब देने की बात कही।
इस पर युग अस्पताल की ओर से मेडा को संबंधित दस्तावेज दिखाए। मेडा के प्रवर्तन अनुभाग के प्रभारी अर्पित यादव ने बताया कि युग अस्पताल बिना नक्शे के बना हुआ है, इसका भवन भी काफी पुराने समय में बना हुआ है। इस पर कार्रवाई किए जाने की प्रक्रिया जारी है। सीएमओ को भी अस्पताल खाली कराए जाने के लिए पत्र लिखा था। जल्द ही अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई कराई जाएगी। उधर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अशोक कटारिया का कहना है कि उनकी तरफ से कोई भी कार्रवाई नहीं रुकी है।
इस पर अस्पताल पर मेडा को अपनी विभागीय कार्रवाई करनी है। वह जब भी अस्पताल खाली कराए जाने के लिए कहेगा, तभी स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पताल को खाली करा दिया जाएगा। अब ऐसे में सवाल खड़ा होते है कि जब अस्पताल बिना नक्शे के बना हुई है और स्वास्थ्य विभाग भी खाली कराने के लिए तैयार है तो मेडा अपनी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है। आखिरकार नोटिस तक ही कार्रवाई सीमित क्यों हो जाती है।