जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: दुनियाभर के वैज्ञानिक ऐसे ग्रहों की खोज कर रहे हैं, जहां पृथ्वी की तरह जीवन मुमकिन हो। उन्हें कामयाबी हाथ लगती तो है, लेकिन रुकावट आ जाती है। मसलन- पृथ्वी की तरह द्रव्यमान वाले कई ग्रह बहुत गर्म हैं, तो कहीं ऑक्सीजन नहीं है।
अब वैज्ञानिकों को एक बड़ी सफलता मिलती हुई नजर आ रही है। खगोलविदों ने ऐसे दो ग्रह खोज निकाले हैं, जहां जीवन मुमकिन हो सकता है। ये ग्रह एक लाल बौने तारे (red dwarf star) की परिक्रमा करते हैं। इनका द्रव्यमान पृथ्वी के बराबर है और दूरी सिर्फ 16 प्रकाश वर्ष है।
रिपोर्टों के अनुसार, ये ग्रह अपने तारे से ऐसी दूरी पर मौजूद हैं, जो ‘रहने योग्य क्षेत्र’ है। यह इलाका ना तो बहुत गर्म, ना बहुत ठंडा है। इस जगह लिक्विड वॉटर यानी तरल पानी भी बना रह सकता है।
इंस्टीट्यूटो डी एस्ट्रोफिसिका डी कैनरियास (आईएसी) से जुड़े अलेजांद्रो सुआरेज मैस्कारेनो इस स्टडी में शामिल रहे हैं। उन्होंने कहा, प्रकृति हमें यह बताने में जुटी है कि पृथ्वी जैसे ग्रह बहुत आम हैं।
हालांकि यहां एक बात अहम है। अगर कोई ग्रह ‘रहने योग्य क्षेत्र’ में स्थित है, तो इसका मतलब यह नहीं हाे जाता कि वहां जीवन पनपने की पूरी संभावना है। रिपोर्टों के अनुसार, मंगल और शुक्र ग्रह दोनों ही ‘रहने योग्य क्षेत्र’ में स्थित हैं, लेकिन आज वहां जीवन की मौजूदगी नहीं है।
वैज्ञानिकों ने जिन ग्रहों को खोजा है, वो GJ 1002 नाम के लाल तारे की परिक्रमा करते हैं और उसके बहुत नजदीक हैं। इसीलिए तो एक ग्रह जिसका नाम GJ 1002b है, वह सिर्फ 10 दिन में अपने तारे का चक्कर लगा लेता है। वहीं, GJ 1002c नाम का ग्रह भी 21 दिनों में अपने सूर्य का एक चक्कर लगा लेता है।
हमारे सूर्य के मुकाबले GJ 1002 नाम का लाल बौना तारा बहुत छोटा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह तारा बहुत चमकीला नहीं है, इसीलिए इसका ‘रहने योग्य क्षेत्र’ तारे के बहुत नजदीक है।
क्योंकि ये ग्रह पृथ्वी से बहुत दूर नहीं हैं, इसलिए भविष्य में वैज्ञानिक इन पर नजर बनाए रख सकते हैं। कुछ और शोध करने पर इनके वातावरण की जानकारी मिल सकती है और तब पता लग पाएगा कि वहां जीवन मुमकिन है या नहींं। ध्यान रहे कि ये दोनों ग्रह एक्सोप्लैनेट हैं। एक्सोप्लैनेट उन ग्रहों को कहा जाता है जो सूर्य के अलावा अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं।