Tuesday, July 8, 2025
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भारत की बड़ी जीत, जी20 लीडर समिट के डिक्लेरेशन पर बनी सहमति

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन ऐलान किया कि एक खुशखबरी मिली है कि हमारी टीम के कठिन परिश्रम और आप सबके सहयोग से जी 20 लीडर समिट के डिक्लेरेशन पर सहमति बनी है। मेरा प्रस्ताव है कि लीडर्स डिक्लेरेशन को भी अपनाया जाए। मैं भी इस डिक्लेरेशन को अपनाने की घोषणा करता हूं। इसे देश के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है।

मिली जानकारी के मुताबिक, घोषणा-पत्र को सभी देशों की सहमति मिल गई है। इसमें नौ बार ‘भारत’ का जिक्र किया गया है। घोषणा-पत्र में चार यूक्रेन का भी जिक्र है। इसमें भारत को चंद्रयान-3 की सफलता के लिए बधाई भी दी गई है।

गौरतलब है कि पहले रूस-यूक्रेन के मुद्दे को लेकर इस घोषणा-पत्र को मंजूरी मिलने में दिक्कतें आ रही थीं। हालांकि, बाद में भारत ने घोषणा-पत्र के पैराग्राफ में बदलाव किए, जिससे इसे मंजूरी मिलने में आसानी हुई। पीएम मोदी ने इस संयुक्त घोषणा-पत्र को मंजूरी मिलने के पीछे जी20 शेरपा, मंत्रियों और अधिकारियों का धन्यवाद किया और उनके कठिन परिश्रम के लिए उनकी तारीफ की।

यूक्रेन में युद्ध के संबंध में बाली में हुई चर्चा को दोहराते हुए हमने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा (A/RES/ES-11/1 और A/RES/ES-11/6) प्रस्तावों पर अपने राष्ट्रीय रुख को दोहराया और इस बात पर जोर दिया कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप सभी राज्यों को किसी भी राज्य की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ क्षेत्रीय अधिग्रहण की धमकी या बल के उपयोग से बचना चाहिए। परमाणु हथियारों का उपयोग या उपयोग की धमकी अस्वीकार्य है।

जी20 नेताओं के घोषणा-पत्र में क्या?

  1. हम गहरी चिंता के साथ कह रहे कि अत्यधिक मानवीय पीड़ा हुई है और युद्धों एवं संघर्ष का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
  2. हमने मानवीय पीड़ा, वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के संबंध में यूक्रेन में युद्ध के नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला।
  3. हमने यूएनएससी और यूएनजीए में अपनाए गए देश के रुख और प्रस्तावों को दोहराया।
  4. परमाणु हथियारों का इस्तेमाल या धमकी देना अस्वीकार्य है।
  5. यह मानते हुए कि जी20 भू-राजनीतिक मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है, घोषणापत्र में स्वीकार किया गया है कि इन मुद्दों का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है।
  6. जी20 घोषणापत्र में आपूर्ति शृंखला, वृहद-वित्तीय स्थिरता, मुद्रास्फीति और विकास पर यूक्रेन संघर्ष के नकारात्मक प्रभाव का उल्लेख है।
  7. जी20 घोषणापत्र में कहा गया है कि यूक्रेन संघर्ष ने देशों, विशेष रूप से विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए नीतियों पर जटिलता उत्पन्न कर दी है।
  8. सभी देशों को किसी देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ उसके भू-भाग पर कब्जे के लिए बल के इस्तेमाल या धमकी देने से बचना चाहिए।

हम सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करते हैं।
जी20 सदस्य वृद्धि को गति देने, टिकाऊ आर्थिक रूपांतरण लाने में निजी उद्यम की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हैं।
जी-20 सदस्यों ने विकासशील देशों में निवेश योग्य परियोजनाओं की कार्ययोजना शुरू करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ काम करने का संकल्प लिया।

हमारे पास बेहतर भविष्य बनाने का अवसर है, ऐसे हालात नहीं बनने चाहिए कि किसी भी देश को गरीबी से लड़ने और ग्रह के लिए लड़ने के बीच चयन करना पड़े।
हम लैंगिक अंतर को कम करने, निर्णय लेने वालों के रूप में अर्थव्यवस्था में महिलाओं की पूर्ण, समान, प्रभावी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

हम एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से जुड़े खतरों को ध्यान में रखते हुए नवोन्मेष समर्थक नियमन/शासन नजरिये को अपनाएंगे, जिससे उसका अधिकतम लाभ हासिल किया जा सके।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जी20 की हमारी अध्यक्षता का संदेश है कि हम एक पृथ्वी हैं, एक कुटुम्ब हैं, हम एक भविष्य साझा करते हैं। जी20 घोषणा-पत्र मजबूत सतत समावेशी विकास पर केंद्रित है। इसमें सतत हरित मार्ग की परिकल्पना की गई है। जी20 ने भारत को विश्व के लिए तैयार और विश्व को भारत के लिए तैयार करने में योगदान दिया है।

विदेश मंत्री ने कहा कि जी20 घोषणापत्र में परिवर्तन, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर ध्यान देने के साथ प्रौद्योगिकी की समावेशी भूमिका पर प्रकाश डाला गया है। जी20 मानता है कि महामारी के बाद की विश्व व्यवस्था इसके पहले की विश्व व्यवस्था से अलग होनी चाहिए। नेताओं ने बहुपक्षवाद को फिर से मजबूत करने पर जोर दिया।

जयशंकर ने कहा कि जी20 नेताओं ने यूक्रेन में युद्ध और विशेषकर विकासशील और सबसे कम विकासशील देशों पर इसके प्रभाव पर चर्चा की। सम्मेलन में तीन एफ – फूड, फ्यूल और फर्टिलाइजर (भोजन, ईंधन और उर्वरक) विशेष चिंता के मुद्दे थे। आतंकवाद का मुकाबला, धनशोधन पर भी चर्चा हुई। जी20 नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों, अभिव्यक्तियों की निंदा की। सभी नेताओं ने माना कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा के लिए अधिक गंभीर खतरों में से एक है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता ने ऐसे समाधान तैयार किए हैं, जो प्रत्येक सदस्य के साथ मेल खाते हैं और सभी के लिए साझा राह प्रस्तुत करते हैं। बड़े, बेहतर तथा अधिक प्रभावी बहुपक्षीय विकास बैंकों के लिए जी20 में समझौता हुआ है। क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर स्पष्ट नीतियों के लिए वैश्विक प्रयास में तेजी आई है, वैश्विक सहमति उभर रही है। वित्त मंत्री सीतारमण।

भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि ‘नई दिल्ली घोषणा-पत्र ’ मजबूत और सतत विकास, सतत विकास लक्ष्यों पर प्रगति में तेजी लाने, हरित विकास समझौते और बहुपक्षवाद में नए सिरे जान फूंकने पर केंद्रित है। कांत ने कहा कि जी20 घोषणा-पत्र सभी विकासात्मक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर 100 प्रतिशत आम सहमति के साथ ‘ऐतिहासिक’ और ‘अभूतपूर्व’ है। नए भू-राजनीतिक पैराग्राफ आज की दुनिया में ग्रह, लोगों, शांति और समृद्धि के लिए एक शक्तिशाली आह्वान हैं। जी20 अध्यक्षता के इतिहास में जी20 भारत सबसे महत्वाकांक्षी रहा है। 112 परिणामों और अध्यक्षीय दस्तावेजों के साथ, हमने पिछले अध्यक्षों से तीन गुना से अधिक महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।

दुनिया के शीर्ष नेताओं ने जलवायु मोर्चे सहित विश्व के समक्ष मौजूद विभिन्न चुनौतियों से निपटने की तत्काल आवश्यकता होने का आह्वान किया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि जी20 नेता वित्तीय संकट के बाद वैश्विक विकास को बहाल करने के लिए 15 साल पहले पहली बार एक साथ आए थे। हम अब अत्यधिक चुनौतियों वाले समय में मिल रहे हैं। दुनिया नेतृत्व प्रदान करने के लिए एक बार फिर जी20 की ओर देख रही है। मेरा मानना है कि हम मिलकर इन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा ने कहा कि उनके देश की जी20 अध्यक्षता के दौरान जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक मुहिम के लिए एक कार्य बल बनाया जाएगा। हम शमन, अनुकूलन, हानि और क्षति तथा वित्तपोषण के बीच संतुलित जलवायु एजेंडे के साथ, ग्रह की स्थिरता और लोगों की गरिमा सुनिश्चित करते हुए 2025 में ‘सीओपी 30’ तक पहुंचना चाहते हैं।

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