सातवें चरण का चुनाव सोमवार को पूर्ण हो गया। अब बारी वोटों की गिनती और नतीजों की हैं। आपको स्मरण तो होगा कि वोटों की असल गिनती तो 10 मार्च की सुबह से आरंभ होगी, लेकिन वोटिंग बंद होते ही न्यूज चैनल्स और सर्वे एजेंसियों ने अपने एग्जिट पाल के नतीजे भी बताने शुरू कर दिये। ‘जनवाणी’ ने अनुमानित आंकलन किया। ‘जनवाणी’ टीम ने करीब 60 हजार से ज्यादा लोगों से मेरठ की सात विधानसभा क्षेत्रों में सर्वे किया, जिसको आधार मानते हुए एक अनुमानित आंकलन किया हैं। ये सिर्फ आंकलन हैं, रिजल्ट तो 10 मार्च को ही आएंगे। जो आंकलन ‘जनवाणी’ दे रहा है, उसमें बदलाव भी हो सकता हैं। जनपद में सात विधानसभा सीटें हैं, जिसमें दो पर भाजपा और एक पर रालोद क्लीयर जीत दर्ज कर रही हैं। बाकी चार विधानसभा सीटों पर क्लोज फाइट प्रत्याशियों के बीच बनी हुई हैं, लेकिन 2017 के मुकाबले भाजपा को इस बार नुकसान होता दिखाई दे रहा हैं। सपा-रालोद गठबंधन बाकी चार विधानसभा क्षेत्रों में भी भारी पड़ता हुआ नजर आ रहा है।
शहर सीट पर सपा का दावा मजबूत, मुस्लिम वोटर भारी पड़े
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर विधानसभा सीट के नतीजों पर सबकी नजर है। इस सीट पर मुस्लिम वोटों का जबरदस्त धु्रवीकरण हुआ और इसने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के लिये परेशानी खड़ी कर दी है। अनुमान लगाया जा रहा है कि शहर सीट पर दोबारा साइकिल दौड़ेगी। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि बसपा प्रत्याशी मुस्लिम वोटरों में मजबूती से घुसपैठ नहीं कर पाया है। वहीं औवेसी की पार्टी मुस्लिमों को प्रभावित करने में नाकामयाब रही।
शहर सीट पर पर इस बार दो लाख 11 हजार वोट पड़े हैं। 65 प्रतिशत के करीब मतदान हुआ था। इस सीट पर भाजपा से कमल दत्त शर्मा, सपा से रफीक अंसारी, बसपा से दिलशाद शौकत, एमआईएमआईएम से इमरान अंसारी और कांग्रेस से रंजन शर्मा प्रत्याशी मैदान में थे। वेस्ट यूपी में जाट और मुस्लिम गठजोड़ होने के कारण चुनाव काफी चर्चाओं में रहा। शहर सीट पर पिछली बार रफीक अंसारी ने भाजपा प्रत्याशी डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी को हराया था।
इस बार शहर सीट पर मतदान के दौरान मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में धार्मिक स्थलों से ऐलान किया गया था कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को वोट डालो। पुलिस ने इस संबंध में दो लोगों को पकड़ा भी था। जानकारों का मानना है कि बसपा प्रत्याशी दिलशाद शौकत मुस्लिम वोट ज्यादा काटने में कामयाब नहीं हुए। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ने हिंदू वोट तो काटे, लेकिन मुस्लिम वोटरों को ज्यादा आकर्षित नहीं कर पाये।
वहीं बहुजन समाज पार्टी के वोटर्स की खामोशी वहीं शहर सीट पर ज्यादा मतदान न होने के कारण भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में हिंदुओं ने जमकर वोट डाला, लेकिन आंकड़ों के मुताबिक शहर सीट पर हिंदू और मुस्लिम वोटरों के बीच करीब 26 हजार का अंतर है। 10 मार्च को असली तस्वीर सामने आएगी, लेकिन दैनिक जनवाणी के एक्जिट पोल के मुताबिक शहर सीट सपा प्रत्याशी के खाते में जाती हुई दिख रही है।
फिर खिलेगा कैंट में कमल, मनीषा से मुकाबला
विधानसभा चुनाव में मेरठ की सात सीटों में सिर्फ कैंट सीट ही ऐसी है जिस पर भारतीय जनता पार्टी अपना हक समझती है। इस सीट पर भाजपा दशकों से जीतती आ रही है। इस बार भी भाजपा प्रत्याशी अमित अग्रवाल इस सीट को जीतने जा रहे है। हालांकि रालोद प्रत्याशी मनीषा अहलावत ने उनको कड़ी टक्कर दी। बसपा प्रत्याशी अमित शर्मा भी दलित वोट काटने में सफल रहे हैं।
कैंट विधानसभा सीट भाजपा के लिये छपरौली बनती जा रही है। पहले सत्य प्रकाश अग्रवाल का कब्जा रहा और इससे पहले दो बार अमित अग्रवाल इस सीट पर विजयश्री हासिल कर चुके हैं। भाजपा ने फिर से इन पर दांव खेला है। इस सीट पर करीब 60 फीसदी वोट पड़े। माना जा रहा है कि इस सीट पर एक बार फिर से कमल खिलने जा रहा है। जाट मुस्लिम गठबंधन होने के कारण रालोद प्रत्याशी मनीषा अहलावत ने काफी मजबूती से चुनाव लड़ा है। उम्मीद की जा रही है कि मनीषा को इस गठबंधन के कारण ठीकठाक वोट भी मिले हैं।
कैंट विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी को बनिया, ब्राहमण, पंजाबी और वाल्मीकि और गैर जाटव वोट काफी तादाद में मिलना लग रहा है। यही कारण है मतदान वाले दिन से भाजपा इस सीट को अपनी सुरक्षित सीट मानती आ रही है। वहीं कांग्रेस की तरफ से अवनीश काजला को कांग्रेस के पारंपरिक वोट मिले हैं। जबकि बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी अमित शर्मा दलित वोट खींचने में सफल रहे। थोड़े बहुत ब्राहमण वोट भी इनके हिस्से में आ सकते है। कैंट सीट की असली हकीकत तो दस मार्च को पता चलेगी जब मतगणना होगी।
दक्षिण सीट पर रहेगा भाजपा का कब्जा
दक्षिण सीट पर मतदाताओं का रुझान देखें तो यहां भाजपा की सीट निकलती नजर आ रही है। मेरठ की दक्षिण विधानसभा सीट पर 61 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाला। यहां भाजपा उम्मीदवार के सामने तीन उम्मीदवार मुस्लिम उम्मीदवार हैं रहे जहां सीधे सीधे मुस्लिम वोट कटता नजर आया।
बता दें कि दक्षिण विधानसभा में कुल वोटरों की संख्या करीब चार लाख के आसपास है। यहां सबसे अधिक मतदाता इसी सीट पर हैं और यहां 61 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट किया। यहां उम्मीदवारों की बात करें तो भाजपा से वर्तमान विधायक डा. सोमेंद्र तोमर, कांग्रेस से नसीम सैफी, बसपा से कुंवर दिलशाद अली और सपा से रफीक अंसारी चुनाव मैदान में रहे। यहां मुस्लिम मतदाताओं की बात करें तो कुल मतदाताओं में 40 प्रतिशत यहां मुस्लिम मतदाता हैं और 20 प्रतिशत एससी मतदाता हैं। लेकिन यहां इस बार भाजपा के सामने कांग्रेस, सपा और बसपा से मुस्लिम उम्मीदवार रहे। मुस्लिम वोट तीनों मुस्लिम उम्मीदवारों में बंटता नजर आया।
एससी वोट कुछ हद तक बसपा पर गया, लेकिन बाकी 50 प्रतिशत से अधिक वोट भाजपा को ही गया। जिसके चलते साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां भाजपा जीत के कराब है। भाजपा यह सीट आसानी से जीतती नजर आ रही है। भाजपा के पक्ष में दलितों का वोटिंग करना भी बड़ा लाभप्रद रहा है। कहा जा रहा था कि दलित बसपा से अलग नहीं जाएगा, लेकिन यहां पर दलितों का वोट भाजपा के पक्ष में जाते हुए देखा गया है। जिसका पूरा-पूरा नुकसान सपा प्रत्याशी आदिल चौधरी को सीधे तौर पर हुआ। सपा प्रत्याशी को दोहरा नुकसान हुआ। एक तरफ तो मुस्लिम मतदाता बंटते हुए दिखाए दिए। वहीं, दलितों का भाजपा के साथ जाना भी चुनाव को बदल गया।