आर्मी इंटेलीजेंस की सूचना के बाद बुक सप्लायरों से पूछताछ होनी चाहिये
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एनसीईआरटी की नकली किताबों के मामले में पुलिस 60 करोड़ की किताबों को बरामद कर चार कर्मचारियों को जेल भेज चुकी है।
अब पुलिस मुख्य आरोपी संजीव गुप्ता और सचिन गुप्ता की तलाश कर रही है, लेकिन पुलिस उन बुक सप्लायरों पर हाथ नहीं डाल रही है जो एनसीईआरटी की नकली किताबों को सप्लाई कर रहे थे।
आर्मी इंटेलीजेंस ने एसटीएफ को एनसीईआरटी की सटीक सूचना दी थी और उस पर काम करते हुए एसटीएफ ने साठ करोड की किताबें और मशीनें आदि बरामद कर आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
एक अहम सवाल यह उठ रहा है कि नकली किताबों का मामला जिस स्कूल से उठा था, उस स्कूल में सप्लाई करने वाले बुक सेलर से अभी तक पूछताछ क्यों नहीं की गई। मोटे कमीशन के कारण सदर का बुकसेलर स्कूलों में नकली किताबें लगवा रहा था। एसटीएफ ने भी इससे पूछताछ नहीं की।
वहीं, परतापुर इंस्पेक्टर आनंद मिश्रा ने बताया कि इस बड़े घोटाले में हर किसी से पूछताछ की जाएगी। यह बात तो सही है कि 60 करोड़ की किताबें बिना बुकसेलर के तो खपेगी नहीं।
जांच के आगे बढ़ते ही लोग दायरे में आने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि वहीं एनसीईआरटी की वाटर मार्क की किताबों की जांच आईआईटी रुड़की की सहारनपुर शाखा में होगी।
साथ ही, एक नमूना फॉरेंसिक लैब निवाड़ी को भी भेजा जाएगा। इसके लिए 364 प्रकार के नमूने लिए गए हैं। ताकि अलग-अलग लैब में जांच कराई जा सके।
उधर, लैब में भेजने के लिए कंप्यूटर का सीपीयू सील कर दिया गया है। पुलिस को कंप्यूटर से भी अनेक जानकारी मिलेगी। संजीव गुप्ता व सचिन गुप्ता के अलावा इस धंधे में कई अन्य बड़े नाम भी सामने आ रहे हैं।
इनकम टैक्स, जीएसटी और एमडीए भी इसमें जांच करेंगी। सबसे अहम् रोल जीएसटी का माना जा रहा है। कागज पर बारह प्रतिशत जीएसटी होने के कारण विभाग बरामद 15 लाख किताबों को दायरे में रखकर जांच करेगा।