बीएसए का आदेश तानाशाही से कम नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पारदर्शिता और जीरो टोलरेंस की भरपूर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसको बीएसए पलीता लगाने में जुटे हैं। मीडिया को चौथा स्तम्भ कहा जाता हैं, लेकिन बीएसए ने जो फरमान जारी किया हैं, उसमें कहा है कि मीडिया को निगेटिव खबर किसी भी सूरत में नहीं मिलनी चाहिए। निगेटिव खबर देने वाले प्राइमरी शिक्षा से जुड़े कोई भी अध्यापक या फिर कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। यह बीएसए की तानाशाही और निरकुंशता हैं। आखिर बीएसए कैसा वातावरण तैयार करना चाहते हैं। शासन चाहता है पारदर्शिता प्रत्येक विभाग में होनी चाहिए, सूचना के अधिकार को प्रभावी बनाया जा रहा हैं, लेकिन यहां तो सच को छुपाने के लिए बीएसए क्या-क्या नहीं कर रहे हैं? सच कैसे पता चलेगा? सच को दबाने के लिए बीएसए ने तानाशाही का चोला ओढ़ लिया हैं। शासन चाहता है पारर्दिशता बरती जाए, लेकिन शासन की मंशा के विपरीत आखिर बीएसए काम कर रहे हैं। ऐसे तो शासन की मंशा को भी बीएसए पलीता लगा रहे हैं। विभाग को कब्जे में लेकर मनमानी कर रहे हैं। आखिर इन पर शासन कैसे लगाम लगा पाएगा? यह तो मीडिया की स्वतंत्रता पर सीधे हमला है। यह बड़ा सवाल है।
- भ्रष्टाचार का गढ़ बना बीएसए आॅफिस फिर चर्चाओं में, मुखिया ने जारी किया नोटिस
- विभाग में सुधार के बदले कर्मचारियों को मुंह बंद रखने का नोटिस जारी कर दी चेतावनी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरकार द्वारा तमाम योजनाएंं चलाकर गरीब परिवारों के बच्चों को नि:शुल्क अच्छी शिक्षा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन बीएसए के आधीन आने वाले विद्यालयों में शिक्षा का स्तर सुधरने की बजाय खराब होता जा रहा है। ऐसे में जनवाणी ने मुहिम चलाकर स्कूलों की व्यवस्थाओं को उजागर करने का बीड़ा उठाया।
पिछले चार माह से लगातार सरकारी स्कूल व बीएसए कार्यालय में चल रहे मामलों को आम लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। यह सब बीएसए का नागवार गुजर रहा हैं। इस मुहिम में ‘जनवाणी’ का साथ देने वाले कर्मचारियों व अध्यापकों पर बीएसए ने अपना शिकंजा कसने की तैयारी की है। बीएसए ने शनिवार कोे नोटिस जारी कर चेतावनी दी है कि कोई भी विभागीय कर्मचारी विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार को अखबार तक न पहुंचने दे, ऐसा करने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही गई है। यानी विभाग में फैली अव्यवस्था को समाप्त करने के बदले ऐसे ही चलने देने का दबाव बनाया गया।
ऐसी खबरों से बौखलाएं बीएसए
केस-1
छह मई को प्रकाशित खबर गर्भवती शिक्षिका को छात्रों के सामने चांटा मारने को कहा शीर्षक वाली खबर में बताया गया था कि कंपोजिट सरकारी विद्यालय मेघराजपुर में प्रधानध्यापक ने एक शिक्षिका को छात्रों के सामने बेइज्जत किया। यह शिक्षिका गर्भवती है और बच्चों व स्टाफ के सामने उसके साथ अभद्रता की गई। आरोपी अध्यापक इससे पहले भी महिला शिक्षिकाओं के साथ बदसलूकी करता रहा है, लेकिन शिकायत के बाद भी उसके खिलाफ कभी कार्रवाई नहीं की गई।
केस-2
28 अप्रैल को प्रकाशित खबर अध्यापिका की सर्विस बुक गायब शीर्षक में बताया गया था कि परीक्षितगढ़ ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका की मौत हो जाने के बाद उसकी सर्विस बुक गायब हो गई। सर्विस बुक तालाश करने के लिए मृतका का पति पिछले ढाई साल से बीएसए कार्यालय के चक्कर काट रहा है, लेकिन उसे हर बार टरका दिया जाता है। यह मामला शासन तक भी पहुंचा जिसके बाद खबर है कि जनवाणी में मामला प्रकाशित होने के बाद विभाग की नींद टूटी और अब सर्विस बुक मिल गई है, ऐसा मृतक शिक्षिका के पति को फोन पर बीएसए कार्यालय के बाबू ने बताया है।
केस-3
25 अप्रैल को प्रकाशित खबर सरकारी स्कूल के छात्रों को नहीं मिला रिपोर्ट कार्ड शीर्षक में बताया गया कि सीएम योगी द्वारा चार अप्रैल को श्रावस्ती में स्कूल चलो अभियान चलाकर छात्रों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने का अभियान चलाया गया, लेकिन मेरठ में सरकारी स्कूल के छात्रों को अभीतक भी रिपोर्ट कार्ड नहीं दिया गया है। इसके पीछे बीएसए द्वारा दो रुपये में रिपोर्ट कार्ड छपवाने की बात सामने आई थी। जब छात्रों को पास होने के बाद रिपोर्ट कार्ड ही उपलब्ध नहीं होगा तो वह दूसरे विद्यालय में दाखिला कैसे लेगे। साथ ही छात्र भी अपने आपको ठगा-सा महसूस कर रहे है, ऐसे में सीएम के अभियान को कैसे सफल किया जा सकता है यह बड़ा सवाल है।
केस-4
12 अप्रैल को शिक्षक की बहाली फिर चर्चा में शीर्षक से प्रकाशित खबर में बताया गया था कि जिस शिक्षक ने पीएम मोदी को अपशब्द कहे उसे भी विभाग ने लाभ देते हुए निलंबन के बाद सुविधा शुल्क लेकर बहाल कर दिया। गांधी जयंती पर शिक्षक ने पीएम के लिए बोले थे अपशब्द, जिसको अनदेखा करते हुए बीएसए कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक द्वारा जांच प्रभावित करते हुए लाभ दिया गया। इसी तरह की खबरे प्रकाशित होने के बाद शनिवार को बीएसए ने अपने विभाग के कर्मचारियों व शिक्षकों के लिए नोटिस जारी कर चेतावनी दी कि अगर कोई भी सूचना विभाग से बाहर गई तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यानी जो भ्रष्टाचार चल रहा है, उसे चलने दिया जाए, इसमें सभी की भलाई है।