- योजना का उद्देश्य खेत तक पानी पहुंचाने को बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य भूमि का करना है विस्तार
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बढ़ती जनसंख्या और घटते संसाधनों के बीच कम पानी से अच्छी सिंचाई करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि योजना के तहत किसानों को ड्रिप एवं स्प्रिंक्लर विधि को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। वहीं, इसके लिए सरकार ने हाल ही में 85 लाख रुपये का बजट दिया है। कृषि विभाग के अधिकारी प्रमोद सिरोही ने बताया कि खेती में फसलों की सिंचाई के दौरान पानी का दोहन बहुत ज्यादा होता है।
बता दें कि देशभर में कम होते भूगर्भ जल स्तर को कम करने और सिंचिंत क्षेत्र का रकबा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चला रही है। इस योजना के तहत किसानों को सिंचाई करने के लिए ड्रिप, मिनी माइक्रो स्प्रिंक्लर और पोर्टेबल स्प्रिंक्लर योजना के जरिए अनुदान दिया जाता है। वहीं, किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार तरह-तरह की नई योजनाएं चला रही है।
जिससे किसान आर्थिक लाभ उठा सकते हैं। कृषि सिंचाई योजना कम पानी में किसानों की खेती में मदद करती है। इसके साथ ही योजना से किसानों को मिल रहे लाभ को देखते हुए केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को पांच साल के लिए बढ़ाकर 2026 तक के लिए मंजूरी दे दी है। योजना के तहत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई यंत्रों पर किसानों को 75 फीसद सब्सिडी मिलेगी।
हर खेत तक पहुंचेगा पानी
पानी की हर एक बूंद की कीमत बहुत महत्वपूर्ण है। इसको देखते हुए सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना बनाई है। योजना का लक्ष्य हर खेत तक पानी को पहुंचाना है। वहीं, बीते कई दशकों से तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद कृषि योग्य भूमि का ज्यादातर भाग आज भी बारिश पर ही निर्भर है। उधर, मानसून की स्थिति बिगड़ने पर उपज अच्छी नहीं होती है। इस स्थिति में किसानों की कृषि आमदनी में गिरावट आती है।
किसानों की स्थिति में बदलाव लाने के लिए शासन ने कई बड़े निर्णय लिए हैं। मानसून पर खेती की निर्भरता कम करने और हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि योजना को लागू किया गया है। इसके अंतर्गत ड्रिप एवं स्प्रिंक्लर सिंचाई प्रणाली को प्रभावी ढंग से विभिन्न फसलों में अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस सिंचाई पद्धति को अपनाकर 40-50 प्रतिशत पानी की बचत के साथ ही 35-40 प्रतिशत उत्पादन में वृद्धि और उपज की गुणवत्ता में सधिार किया जा सकता है।
योजना का उद्देश्य पानी कोे बचाना
सिंचाई योजना का उद्देश्य खेत तक पानी की पहुंच को बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य भूमि का विस्तार करना है। इसके अलावा खेत में पानी के उपयोग की दक्षता में सुधार करना और स्थाई जल संरक्षण को शामिल करना है। साथ ही पानी की बचत योजना का एक प्रमुख पहलू है। इसमें टपक और फव्वारा दोनों तरह की विधियां शामिल है।
उत्पादन का लक्ष्य
कृषि विभाग के अनुसार बागवानी, कृषि एवं गन्ना फसल में अधिक दूरी और कम दूरी वाली फसलों के 14 विभिन्न लेटरेल स्पेसिंग के आधार पर उपयुक्त फसलों में ड्रिप सिंचाई पद्धति को लगाकर उन्नतशील उत्पादन एवं जल संचयन किया जा सकता है। स्प्रिंक्लर सिंचाई मटर, गाजर, मूली, विभिन्न प्रकार की पत्तेदार सब्जियां, दलहनी फसलें, तिलहनी फसलें, अन्य कृषि फसलें, औषधीय एवं सगंध फसलों में मिनी स्प्रिंक्लर, माइक्रो स्प्रिंक्लर, सेमी परमानेंट पोर्टेबल एवं लार्ज वैक्यूम स्प्रिंक्लर (रेनगन) द्वारा सरलता से सिंचाई प्रबंधन किया जा सकता है।
इस तरह मिलेगा योजना का लाभ
- योजना के लाभ उठाने के लिए किसान के पास स्वयं की भूमि या सात वर्षों का लीज का भूमि होनी चाहिए।
- ड्रिप सिंचाई के लिए कम से कम पांच एकड़ या अधिक से अधिक 12.5 एकड़ रकबा की सिंचाई के लिए दी जाती है।
- स्प्रिंक्लर सिंचाई के लिए कम से कम एक एकड़ एवं अधिकतम पांच एकड़ रकबा तक के किसान को लाभ दिया जाता है।
- छोटे किसान योजना का लाभ समूह में ले सकते हैं। योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक के पास जल स्त्रोत होना आवश्यक है।