Saturday, July 27, 2024
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फिर चला बीसी लाइन की कोठी पर कैंट बार्ड का बुलडोजर

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  • एक माह पहले भी इसी बंगले में कैंट बोर्ड ने की थी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई
  • शिकायत मिलने पर भारी फोर्स लेकर पहुंचे छावनी परिषद के अधिकारी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कैंट बोर्ड की जमीन पर अतिक्रमण करने के हजारों मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन अब बंगला एरिया में भी अवैध निर्माण होने लगे है। अतिसंवेदनशील बीसी लाइन के बंगला संख्या 152 में चल रहे अवैध निर्माण पर छावनी परिषद ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई की।

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इस दौरान कैंट बोर्ड के अधिकारी भारी फोर्स व स्थानीय पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे थे। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान छावनी परीषद की टीम को बंगले के मालिक व यहां काम कर रही लेबर के विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन अंत में बंगले के बड़े हिस्से पर हुए अवैध निर्माण को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया, जिसके बाद ही छावनी परिषद की टीम वापस लौट गई।

बीसी लाइन में छावनी परिषद के बंगला संख्या 152 में मनोज गुप्ता अवैध निर्माण कर रहे हैं। शनिवार सुबह साढेÞ 11 बजे छावनी परिषद की टीम कर्नल समित वर्मा के नेतृत्व में बंगला संख्या 152 पर पहुंची। बताया जा रहा है कैंट बोर्ड के अधिकारियों को काफी समय से यहां बंगले की चार दीवारी को ढककर अवैध रूप से निर्माण कराने की सूचना मिल रही थी, जिसके बाद कैंट बोर्ड के सीइओ ज्योति कुमार व सैन्य अधिकारियों ने प्रशासन से पुलिस फोर्स की मांग की थी,

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जिसके बाद शनिवार को कैंट बोर्ड को फोर्स उपलब्ध करा दी गई। इसके बाद छावनी परिषद के अधिकारी अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ मौक पर पहुंचे और गेट खुलवाकर चल रहे अवैध निर्माण पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी। इस दौरान बंगले के मालिक मनोज गुप्ता व उनके परिवार के सदस्य छावनी परिषद के अधिकारियों का विरोध करने लगे। साथ ही निर्माण कार्य करने वाली लेबर भी उनके समर्थन में उतर आई।

इसी बीच मौके पर मौजूद पुलिस व सेना के जवानों ने हंगामा कर रहे मनोज व उनके परिवार के सदस्यों को रोक दिया। जबकि लेबर को भी शांत कराते हुए आगाह किया कि वह सरकारी कार्य में बाधा पैदा न करें, अन्यथा उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद कैंट बोर्ड की टीम ने तीन घंटे तक बिल्डिंग ध्वस्तीकरण के काम चलाया। इसमें बिल्डिंग के पिछले हिस्से में सर्वेट क्वार्टस बनाये गए थे, जिनका कोई मानचित्र स्वीकृत नहीं था।

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पुराने मानचित्र में जो था, उसे छोड़कर बाकी को गिरा दिया गया। ओपन में दीवार लगाई जा रही थी तथा एक मंदिर का निर्माण किया जा रहा था, उसे भी बुलडोजर लगाकर तोड़ दिया गया। कैंट बोर्ड अधिकारियों ने बताया कि बंगले में बनी पार्किंग, अवैध रूप से जो कमरे में पीछे बनाये गए थे, उनको तोड़ा गया हैं। इस बिल्डिंग में एक माह के भीतर दूसरी बार बुलडोजर चलाकर ध्वस्तीकरण किया गया हैं।

रेलवे और सेना के बाद देश में सबसे ज्यादा ‘वक्फ प्रॉपर्टी’

कहने को तो वक्फ बोर्ड रेलवे और सेना के बाद तीसरी सबसे बड़ी प्रॉपर्टी का मालिक है। बावजूद इसके यह पूरी तरह से बदहाल है। इसकी बदहाली के लिए जहां सरकारी उदासीनता काफी हद तक जिम्मेदार है वहीं खुद कई वक्फ प्रॉपर्टियों पर काबिज प्रबंधन भी इसे जमकर लूट रहा है। इस पर कहीं अवैध कब्जे हैं तो कई जगह इसे गलत ढंग से बेचा जा रहा है। वक्फ प्रॉपर्टियों में हो रहे ‘गोलमाल’ पर कोई एक्शन न होना भी भू-माफियाओं के हौंसले बुलन्द कर रहा है।

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अकेले मेरठ में खरबों रूपयों की वक्फ प्रॉपर्टी है लेकिन इसका सही इस्तेमाल न होने के कारण यह एक प्रकार से ‘लावारिस’ है। वक्फ बोर्ड के पास भारतीय सेना और भारतीय रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन है। वक्फ मेनेजमेंट सिस्टम आॅफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार वक्फ बोर्ड के पास 8 लाख एकड़ से ज्यादा ज्यादा जमीन है जिस पर कुल 8 लाख 54 हजार 509 सम्पत्तियां हैं।

क्या है वक्फ सम्पत्ति

ऐसी सम्पत्ति जिसे उसके मालिक (जो इस्लाम को फॉलो करता हो) ने खुदा के नाम पर या फिर अपनी औलादों के नाम पर मजहबी ऐतबार से या फिर सवाब (पुण्य) की नियत से वक्फ (आरक्षित) अथवा दान किया हो, वक्फ सम्पत्ति कहलाती है। यह कोई भी चल और अचल सम्पत्ति हो सकती है।

क्या वक्फ प्रॉपर्टी बेची जा सकती है

जो प्रॉपटी खुदा के नाम पर वक्फ कर दी जाती है, उसका मालिक सिर्फ अल्लाह होता है। अल्लाह के सिवा उस प्रॉपर्टी का कोई मालिक नहीं होता। इसी के चलते वक्फ प्रॉपर्टी को न तो खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है। हांलाकि वक्फ प्रॉपर्टियों में आज कई भू माफिया जमकर सेंध लगा रहे हैं।

मजार तोड़े जाने पर बरेलवी और वहाबी मुसलमानों में ठनी

उत्तराखंड राज्य में सूफी संतों के मजारों को तोड़े जाने पर बरेलवी और वहाबी मुसलमानों में ठन गई है। इस पूरे मामले पर बरेलवी उलेमाओं ने देश भर के अन्य उलेमाओं से मांग की है कि वो उत्तराखंड में मजारों के खिलाफ हो रही सरकारी कार्रवाई को रुकवाने के लिए एक मंच पर आएं। इस पूरे मामले में आॅल इंडिया मुस्लिम जमात ने प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक ज्ञापन भेजा है।

जिसमें उन्होंने पीएम की सूफियों के प्रति विचार धारा का हवाला देते हुए मांग की है कि वो अपने स्तर से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मजारों के प्रति की जा रही कार्रवाई को रोकने के लिए निर्देशित करें। जमात के राष्ट्रय अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रजवी (बरेलवी) ने इस पूरे मामले में वहाबी मुसलमानों की सोच को कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री वहाबी विचाराधारा से जुड़े लोगों के हाथों का खिलौना बने हुए हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि वहाबी विचारधारा के लोगों का उत्तराखंड की राजनीति में दखल बढ़ा है और वो इसका फायदा भी उठाकर सूफियों के मजारों को तोड़ रहे हैं। मौलाना शाहबुद्दीन ने आरोप लगाया कि उत्तराखंड में एक दर्जन से अधिक मजारों को तोड़ा जा चुका है जबकि 360 अन्य मजारों की लिस्ट तैयार की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि यदि उत्तराखंड सरकार ने अपनी इस कार्रवाई को न रोका तो देश भर का मुसलमान आन्दोलन की रणनीति पर विचार करेगा।

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