जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: आंदोलनकारी किसानों को मनाने के लिए बीच का रास्ता तलाश रही केंद्र सरकार ने अब तीनों विवादित कृषि कानूनों में से एक को वापस लेने और बाकी दो कानूनों में आवश्यक संशोधन करने पर विचार शुरू कर दिया है।
पांच दौर की असफल बैठकों के बाद केंद्र सरकार ने सोमवार को किसान संगठनों को एक और मसौदा सौंपा था, जिसमें किसानों की तीनों कानूनों को लेकर जताईं आपत्तियों को विभिन्न संशोधनों के जरिए हल करने की बात कही गई।
हालांकि किसान संगठनों ने इस मसौदे का कोई लिखित उत्तर केंद्र को नहीं भेजा लेकिन यह भी साफ कर दिया कि तीनों कानून रद्द किए जाने से कम कोई भी प्रस्ताव उन्हें मंजूर नहीं है। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के साथ नौ दिसंबर को छठे दौर की बैठक को भी अधिक महत्व न देते हुए आठ दिसंबर के भारत बंद का एलान कर दिया।
किसान संगठनों के इसी रुख को देखते हुए केंद्र सरकार ने नए सिरे से मामला सुलझाने पर विचार शुरू किया है। भाजपा के सूत्रों के अनुसार, इस मामले में केंद्र सरकार किसी भी स्तर पर खुद को किसानों के आगे नहीं झुकाएगी लेकिन इस आंदोलन को जल्दी समाप्त करने के लिए बीच का रास्ता तलाशने को मंथन जारी है।
इसी के तहत अब केंद्र सरकार तीनों कानूनों-कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून, आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून, मूल्य आश्वासन व कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता कानून, में से कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य कानून को वापस लेकर इसे नए सिरे से तैयार करने पर विचार कर रही है।
दरअसल, किसानों द्वारा एमएसपी (एमएसपी) की गारंटी को मुख्य तौर पर उठाया गया है और केंद्र सरकार अब यह मान रही है कि अगर एमएसपी की गारंटी वाले कानून को कुछ देर के लिए वापस ले लिया जाए तो किसानों का आंदोलन शांत किया जा सकता है। ऐसा करने से जहां केंद्र सरकार भी अपने फैसलों से पीछे हटती नहीं दिखेगी वहीं आंदोलनकारी किसान भी घरों को लौट जाएंगे।