- आसमान छू रहे हैं रोड़ी और डस्ट के रेट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: आम आदमी के लिए सस्ते मकान का सपना कैसे साकार होगा? रोड़ी-डस्ट व रेत के रेट आसमान छू रहे हैं। तीन वर्ष पहले रोड़ी-डस्ट व रेत सस्ता हुआ करता था, मगर वर्तमान में जिस तरह से भवन निर्माण सामग्री के रेट बढ़े है, उसको लेकर आम आदमी बेचैन है। क्योंकि सस्ते मकान के दावे खोखेल साबित हो रहे हैं।
यमुना नदी से निकलने वाला रेत भी आम आदमी की पहुंच से दूर हो गया है। कहीं न कहीं इसके लिए शासन और प्रशासन जिम्मेदार हैं। क्योंकि रेत खनन आॅन रिकॉर्ड नहीं,बल्कि रात के अंधेरे में चलता है। बाजार में जो रेत तीन वर्ष पहले 60 रुपये कुंतल हुआ करता था, वहीं रेत 115 रुपये कुंतल हो गया है।
आखिर इसके लिए सरकारी सिस्टम जिम्मेदार है या फिर सरकार। बेचैन कर देने वाली बात एक यह भी है कि रोड़ी-डस्ट के रेट भी लगातार बढ़ रहे हैं। वर्तमान में रोड़ी 110 रुपये कुंतल बिक रही है, जबकि तीन वर्ष पहले रोड़ी 70 रुपये कुंतल हुआ करती थी। रोड़ी-डस्ट के व्यापारी सलीम का कहना है कि निर्माण कार्य एक तरह से बंद है। क्योंकि बाजार में मंदी चल रही है। कोई भी निर्माण नहीं कर रहा है।
इसके बावजूद निर्माण सामग्री के रेट लगातार बढ़ रहे हैं। डस्ट वर्तमान में 110 रुपये प्रति कुंतल है, जबकि तीन वर्ष पहले 75 रुपये प्रति कुंतल हुआ करती थी। तब रेट की इतनी मारा-मारी भी नहीं थी और निर्माण कार्य भी ज्यादा चल रहे थे। नोटबंदी और कोरोना के बाद से तो निर्माण खत्म हो गए हैं।
निर्माण सामग्री की बिक्री घट गई है। रोड़ी-डस्ट का गंगानगर में कारोबार करने वाले योगेश का कहना है कि मार्केट के हालात बेहद खराब है। पहले दो दिन में एक ट्रक डस्ट उठ जाता था, मगर अब एक माह तक एक ट्रक सामग्री चल रहा है। यह हालत तो निर्माण सामग्री की बिक्री की हो गई है।
बाजार में मंदी का असर तो है ही साथ ही निर्माण सामग्री मंहगी होने के कारण भी निर्माण कम चल रहे हैं। नवरात्र व दीपावली पर मकानों के निर्माण व्यापक स्तर पर चलते थे, लेकिन वर्तमान में हालात बेहद खराब है। रोड़ी-डस्ट का कारोबार ठप हो गया है। यही नहीं, सीमेंट की मांग बाजार में कम है, लेकिन उसके रेट 350 से 380 तक चले गए हैं।
सीमेंट के रेट तीन वर्ष पहले के देखे जाए तो 250 व 285 हुआ करते थे। सीमेंट के रेट बढ़ने से भी आम आदमी के घर का सपना कैसे साकार होगा? ये बड़ा सवाल है। केन्द्र व यूपी सरकार गरीब के लिए सस्ता मकान देने का वादा कर रही है, मगर निर्माण सामग्री मंहगी होने के बाद सस्ता मकान कैसे मिल पाएगा?