- 21 साल पहले मृतक लाभार्थी योजना के तहत हुई थी नियुक्ति
- नौ साल पहले बीएसए कार्यालय में किया गया था संबंधित
- बीएसए से लेकर अन्य अधिकारियों का है चहेता
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मंडलायुक्त ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारनें व छात्रों की संख्या बढ़ानें के लिए कदम उठाया है, लेकिन बीएसए कार्यालय में फैली अव्यवस्था पर क्या वह कोई कार्रवाई करेंगे? यहां पर एक बाबू की जिला स्तर के कार्यालय में इतनी साख है कि उसके खिलाफ हुई जांच में वह दोषी पाया गया, लेकिन आज तक भी उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। वह आज भी अपनी सीट पर बैठता है और अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक उसके इशारे पर काम करते हैं।
सरकारी स्कूलों में गिरता शिक्षा का स्तर किसी से छिपा नहीं है। हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि इन स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ने के बजाय कम हो रही है। यहां पर शिक्षा का स्तर भी अब पहले जैसा नहीं रहा है। मंडलायुक्त सुरेन्द्र सिंह ने बीती 23 फरवरी को सभी जिलों के सरकारी स्कूलों के लिए एक निर्देश जारी किया। जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों को सभी सरकारी स्कूलों का निरीक्षण कर शिक्षकों व छात्रों की उपस्थिति की जांच करनी थी। इसके साथ ही इस बात पर भी जोर दिया गया कि जिन स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति कम है।
उनमें संख्या कैसे बढ़ाई जाए। इसके लिए भी कदम उठाने को कहा गया था। यह एक अच्छी पहल है और मंडलायुक्त इसके लिए प्रशंसा के पात्र है, लेकिन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में एक बाबू इतना प्रभावशाली है कि उसके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में जांच हुई। जिसमें वह दोषी भी पाया गया, लेकिन आजतक भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
मंडलायुक्त ने जिस तरह से सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने की पहल की है। वह काफी सराहनीय है, लेकिन एक बार इस बाबू पर भी अपनी कृपा दृष्टि कर दे तो हो सकता है। सरकारी स्कूलों की बदहाली पर किसी हद तक रोक लग सके। इससे न केवल इन स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलेगी अपितू स्कूलों में फैले भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी।
ऐसे हुई इस बाबू की नियुक्ति
इस बाबू को मृत आश्रित कोटे से 19 अप्रैल 2001 में डिप्टी इंस्पेक्टर कार्यालय राजकीय कॉलेज कैंपस में नियुक्ति मिली थी। बाबू के पिता सहायक अध्यापक थे जिनकी मृत्यु के बाद इसे नौकरी मिली, इसके बाद यह लगातार अपनी नौकरी करता रहा। 30 अगस्त 2013 को तत्कालीन बीएसए जिवेंद्र सिंह ऐरी ने बीएसए कार्यालय मेरठ में संबंध कर दिया। यहां पर उसे राजकीय कार्य करने की जिम्मेदारी दी गई, तभी से यह बाबू बीएसए कार्यालय मेरठ में तैनात है।
परिषदीय कर्मचारी से राजकीय कार्य लेने पर लगी रोक
2013 में अपर शिक्षा निदेशक बेसिक उत्तर प्रदेश द्वारा निर्देश जारी किया गया। जिसमें परिषदीय लिपिक पद पर नियुक्ति कर्मचारियों से राजकीय कार्य न लिया जाए यह कहा गया। केवल राजकीय कर्मचारियों को ही यह कार्य करना होगा। इस निर्देश को सख्ती से पालन कराने की भी बात कही गई, लेकिन यह बाबू आज भी राजकीय कार्य करता है। यह बाबू इतना प्रभावशाली है कि इससे पूछे बिना कार्यालय का कोई काम नहीं होता। यहां तक की जितनी भी जांच कार्यालय में आती है। उनमें रिपोर्ट भी इसी बाबू के इशारे पर तैयार होती है।