- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में नवगठित राज्य वन्य जीव परिषद् में चौ. छोटूराम काॅलेज के प्राचार्य राज्य सरकार की ओर से सदस्य नामित
- राज्य में वन्य जीव संरक्षण और आदिवासी-वनवासी समुदाय के उत्थान को लेकर सरकार को राय देने का काम करेंगे डा. नरेश मलिक
जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर: वन्य जीव के संरक्षण और उनकी सुरक्षा तथा नये सेंचुरी क्षेत्रों की संभावनाओं को लेकर एडवाइजरी कमेटी के तौर पर काम करने वालीर राज्य वन्य जीव परिषद् (स्टेट बोर्ड फार वाइल्ड लाइफ) उत्तर प्रदेश का पुनर्गठन किया गया है।
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इस परिषद् में मुजफ्फरनगर जनपद के शिक्षाविद डा. नरेश कुमार मलिक का भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा सदस्य पद पर नामित करते हुए सम्मान दिया गया है। बाॅटनी के विषय विशेषज्ञ डा. नरेश मलिक जिले के चै. छोटूराम महाविद्यालय के प्राचार्य के तौर पर कई वर्षों से काम कर रहे हैं। उनके चयन से महाविद्यालय में हर्ष का वातावरण बना हुआ नजर आया।
उत्तर प्रदेश में पर्यावरण, जल एवं वायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन राज्य वन्य जीव परिषद् का गठन किया जाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा राज्यपाल की स्वीकृति के उपरांत राज्य वन्य जीव परिषद् का पुनर्गठन किया है। इसके लिए परिषद् में 18 सदस्यों को नामित किया गया है। परिषद् के पदेन अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री हैं और पदेन उपाध्यक्ष वन मंत्री होते हैं। विधानमण्डल से तीन विधायकों एमएलसी डा. हरि सिंह ढिल्लो, अपूनशहर विधायक संजय शर्मा और घोरावल सोनभद्र विधायक अनिल कुमार मौर्य को सदस्य मनोनीत किया गया है।
इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण विभाग मनोज कुमार सिंह द्वारा शासनादेश जारी किया गया है। इसमें राज्य सरकार की ओर से सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले बुद्धिजीवियों और अन्य लोगों को भी शामिल किया है। इस श्रेणी में 5 सदस्य राज्य सरकार द्वारा नामित किये गये हैं। इनमें चौरु छोटूराम पीजी महाविद्यालय मुजफ्फरनगर के प्राचार्य डा. नरेश कुमार मलिक का नाम भी शामिल हैं। उनके अलावा आरती राणा लखीमपुरी खीरी, रश्मिकांत आईएफएस रिटायर्ड लखनऊ, सैयद इकबाल हैदर लखनऊ और राजेश सिंह प्रयागराज को भी सदस्य नामित किया गया है।
डा. नरेश कुमार के परिषद् में सदस्य बनाये जाने पर हर्ष की लहर है। डा. नरेश मलिक कई वर्षों से चै. छोटूराम महाविद्यालय में प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं। बाॅटनी विषय में महारथ रखने वाले डा. नरेश मलिक द्वरा पर्यावरण प्रदूषण पर बड़ा काम किया गया है। उनके द्वारा इस विषय पर कई शोध किये गये। उनकी इसी विशेषता को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा उनको राज्य वन्य जीव परिषद् में सदस्य नामित कर सम्मान दिया गया है। डा. नरेश मलिक ने इस चयन पर खुशी का इजहार करते हुए कहा कि यह सौभाग्य कि मुख्यमंत्री ने उनको यह जिम्मेदारी दी है।
उन्होंने कहा कि हमारा क्षेत्र हस्तिनापुर सेंचुरी के अन्तर्गत आता है। इस परिषद् का कार्य एक प्रकार से सरकार के लिए परामर्शदात्री समिति जैसा होता है। प्रदेश में 25 सेंचुरी हैं, उनमें वन्य जीवों, पशु पक्षियों के साथ ही वहां के पर्यावरण संरक्षण, पेड़ पौधों की प्रजातियों का संरक्षण करने और उनके विकास के लिए परिषद् द्वारा सरकार को अपना परामर्श दिया जाता है, इसी परामर्श पर सरकार आगामी योजनाओं को बनाने का काम करती है।
इसके साथ ही परिषद् वन्य जीव विहार, राष्ट्रीय उद्यान और संरक्षित क्षेत्रों को घोषित करने के लिए निहित क्षेत्रों का चुनाव करने तथा उनकी व्यवस्था करने के सम्बंध में शासन को परामर्श देने का काम करती है। वन विभाग द्वारा जारी किये जाने वाले लाइसेंस और परमिट को लेकर भी परिषद् काम करती है। उन्होंने बताया कि नवगठित परिषद् का कार्यकाल एक वर्ष के लिए होगा और साल में कम से कम दो बैठक अनिवार्य रूप से होंगी।