नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। इस वर्ष आषाढ़ मास का प्रथम प्रदोष व्रत सोमवार, 23 जून को पड़ रहा है। सोमवार को पड़ने के कारण इसे ‘सोम प्रदोष व्रत’ कहा जाता है, जो भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त करने का शुभ अवसर माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष काल के दौरान शिव-पार्वती प्रसन्न मुद्रा में कैलाश पर्वत पर विहार करते हैं और भक्तों को मनवांछित फल प्रदान करते हैं।
व्रत की तिथि व समय
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत
23 जून को रात 1:21 बजे होगी
और इसका समापन
उसी दिन रात 10:09 बजे पर होगा।
उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए व्रत 23 जून को ही रखा जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रदोष काल में पूजन का श्रेष्ठ समय शाम 07:22 बजे से रात 09:23 बजे तक रहेगा।
व्रत का महत्व
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, सोम प्रदोष व्रत रखने से रोग, शोक, दरिद्रता और पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख, सौभाग्य और पारिवारिक शांति के लिए उत्तम माना गया है। इस दिन शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा, भस्म आदि अर्पित कर शिव तांडव स्तोत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना विशेष फलदायक होता है।
श्रद्धालुओं से अपील है कि व्रत के दिन नियम, संयम और श्रद्धा के साथ शिव-पार्वती की आराधना करें और प्रदोष काल में दीपदान करना न भूलें।