Saturday, July 27, 2024
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निगम में स्वास्थ्य एवं कल्याण अधिकारी के कार्य को लेकर विरोधाभाष

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  • नगर निगम स्वास्थ्य अधिकारी के पास केवल जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने का कार्यभार
  • नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी के होने के बावजूद आखिर किसलिये दिया पशु चिकित्साधिकारी को अतिरिक्त कार्यप्रभार

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नगर निगम में जहां एक तरफ फर्जी भर्ती का मामला सीबीसीआईडी जांच तक जा पहुंचा है। वहीं, दूसरी तरफ नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी एवं पशु चिकित्साधिकारी के कार्यभार एवं रिकार्ड में किसके हस्ताक्षर वैध माने जायेंगे उसको लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। उसको लेकर भी लेखाअधिकारी एवं पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी के बीच नगर निगम की नियमावली पर विवाद बना हुआ है। जिसमें निगम में नगर निगम के स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी का कुछ कार्यभार पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी को अतिरिक्त कार्यभार के रूप में सौंपा गया है।

वहीं निगम के सरकारी दस्तवोजों में किसके हस्ताक्षर वैध माने जायेंगे उस पर लेखाधिकारी के द्वारा निगम आयुक्त को जो पत्र भेजा गया था। उस पर पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी ने नियमावली में अतिरिक्त चार्ज एवं उनके हस्ताक्षर को वैध होना बताया और अपनी रिपोर्ट निगम आयुक्त को भेज दी। नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी के पास केवल जन्म मृत्यू प्रमाण पत्र का चार्ज है। जबकि जो निगम के नगर स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी पर महत्वपूर्ण कार्यभार होता है,उसका चार्ज पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी के पास है।

नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डा. गजेंद्र सिंह के कार्यालय में मौजूद होने के बाद भी उनका कुछ अतिरिक्त चार्ज पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डा. हरपाल सिंह को दिये जाने के बाद नगर निगम के रिकार्ड में किसके हस्ताक्षर वैध माने जायेंगे उसको लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया। कुछ समय तक पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी ने पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी के रूप में ही रिकार्ड पर हस्ताक्षर किये तो उनको लेकर नगर निगम के लेखाधिकारी ने निगम आयुक्त को निगम की नियमावली का हवाला देते हुये 11 अप्रैल 2022 को एक पत्र नगर आयुक्त को लिखा।

जिसमें उन्होने पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी के द्वारा रिकार्ड में किये जा रहे हस्ताक्षर पर आपत्ति जताई और बताया कि नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी यदि नहीं है तो उसकी नई नियुक्त के लिये निगम ने क्या प्रक्रिया की। वहीं बताया कि नगर निगम में किसी पदाधिकारी के पदस्त होते हुये भी उसके कार्य का आवंटन किसी दूसरे अधिकारी को किस प्रकार किया जा सकता है। संबंधित नियम/अभिलेख उलब्ध कराये जायें। वहीं लिखा कि नगर स्वास्थ्य अधकारी के कार्यों का प्रभार पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी (परिवाक्षाकाल) को देने से क्या हेल्थ मैनुअल पालिका केंद्रीय सेवा नियमावली व उत्तर प्रदेश नगर निगम की धारा 112(3) व (112) ग का उल्लघंन नहीं किया जा रहा।

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वहीं यदि यह भी सिद्ध हो जाये कि उत्तर प्रदेश शासन के द्वारा नियुक्त स्वास्थ्य अधिकारी के कार्य नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 112 (ग) (3)के अनुकूल है,तो क्या नगर निगम प्रशासन के द्वारा इसकी सूचना उत्तर प्रदेश शासन को प्रेषित कर उसके स्थानापन्न-रिपलेसमेंट अधिकारी की मांग क है। सम्परीक्ष को इसकी सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई। वहीं डा. हरपाल सिंह के द्वारा पशु एवं चिकित्साधिकारी के रूप में हस्ताक्षर किये जा रहे हैं। जोकि अमान्य एवं नियम विरुद्ध हैं।

इसके साथ ही वरिष्ठ प्रभारी स्वास्थ्य अनुभाग द्वारा किसी भी पत्रावली में कहीं भी हस्ताक्षर नहीं किये जा रहे हैं तो ऐसे प्रभार का क्या औचित्य है। जहां पर प्रभारी अधिकारी के द्वारा प्रभारित पद का उपयोग न किया जाये। डा. हरपाल सिंह के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के वेतन बिलों पर पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी के रूप में जो हस्तक्षर किये जा रहे हैं,उन पर रोक लगाई जाने की बात लेखाधिकारी के द्वारा निगम आयुक्त को भेजी रिपोर्ट में कही गई।

जिसमें लेखाधिकारी ने बताया कि इस तरह का मामला नगर निगम नियमावली 1959 की धारा 144 (1) के अंतर्गत पत्र आवश्यक कार्रवाई के लिए निगम आयुक्त को भेजा गया था। वहीं उस पत्र के बाद न तो निगम में अतिरिक्त नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पद के लिये मांग की गई और न ही डा. हरपाल सिंह से चार्ज वापस नगर स्वास्थ्य अधिकारी को वापस लौटाया गया। उसके बाद से ही डा. हरपाल पशु चिकित्सा एवं कल्याण विभाग के साथ नगर स्वास्थ्य अधिकारी का चार्ज संभाले हुये हैं।

इस संबंध में डा. हरपाल सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लेखाधिकारी के द्वारा जो नगर निगम की नियमावली का हवाला देकर नगर निगम आयुक्त को रिपोर्ट भेजी थी। मेरे द्वारा भी उसका जवाब दे दिया गया और अतिरिक्त कार्यभार के आधार पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर भी कार्य कर रहा हूं। उन्होंने बताया कि नगर निगम की नियमावली में 119 के अंतर्गत नगर आयुक्त किसी को भी अतिरिक्त चार्ज दे सकता है और मेरे द्वारा निगम आयुक्त को जवाब भेज दिया गया।

उसके बाद मैंने नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पद नाम की मुहर नियमावली के अनुसार बनवाकर अब रिकार्ड पर हस्ताक्षर भी कर रहा हूं। वहीं यदि देखा जाये तो दोनों निगम के अधिकारी नगर निगम की नियमावली का हवाला देकर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेज रहे हैं तो देखा जाये किसी बात सही है और किसकी गलत, सवाल यह उठता है कि नगर में स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी की तैनाती के बाद पशु चिकित्सा

एवं कल्याण प्रभारी चिकित्साधिकारी पर इतनी मेहरबानी एवं कार्यभार का बोझ डाल दिया गया और वह भी उसे लेने के लिये तमाम नगर निगम की नियमावली का हवाला देकर अतिरिक्त चार्ज को संभाले हुये हैं। वहीं कुछ लोगों का यह भी दबी जुबान से कहना है कि यदि सीबीसीआईडी की नगर निगम में इस तरह के कार्यभार एवं नियुक्ति की सही से जांच हो जायें तो कितने भ्रष्टाचार खुलकर सामने आयेंगें।

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