मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में एक बच्चा अपनी मम्मी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंच गया कि उसकी मम्मी उसे बात-बात पर डांटती हैं। नौ साल का प्रासू उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक सौ बारह नंबर डायल कर पुलिस को बुला लिया। इसलिए कि ठंड में उसकी मां उसे नहाने के लिए बार-बार कह रही थी। बच्चों के व्यवहार में तब्दीली आ गई है। उनकी मासूमियत अब असभ्य, खौफनाक और हिंसक आचरण में ढल गई है। माता-पिता इस समस्या से निपटने के लिए क्या करें..? जो काम और बात बच्चों को पसंद नहीं है, उसे बार-बार कहकर उस पर दबाव बना कर, गुस्सा दिखा कर मनवाने की कोशिश में आचरण संबंधी समस्या उत्पन्न हो सकती है। अच्छा होगा,कि गुस्सा करने की बजाए शांत रहें या फिर कुछ देर के लिए अनदेखा कर दें। कोई बात मनवानी है, तो डरा कर, धमकी देकर अथवा आंखें दिखाने पर अंजाम दूसरा भी हो सकता है। जैसा कि सात वर्षीय अंजनी को उसके चाचा ने कहा, जो सवाल दिया था, उसे बना लिए। उसने कहा, नहीं। चाचा ने कहा, आज तुम्हारे पापा से तुम्हारी शिकायत करनी पड़ेगी। तुम्हारा मन पढ़ाई में नहीं लगता। उसने गुस्से में अपने चाचा पर डब्ल्यूडब्लयूएफ का दांव ‘चोक स्लैम’ उन पर चला दिया। जिससे चाचा की गर्दन पर मोच आ गया।
मुंबई के उपनगरीय स्टेशन दादर में कार्टून देख रही छह वर्षीय नेहा को उसकी मां ने डांट दिया। जब देखोे कार्टून देखती रहती हो। अपना होम वर्क कब करोगी? नेहा पैर पटकते हुए चली गई। कुछ देर बाद उसकी मां ने देखा कि नेहा ने पूरी दीवार पर ‘मम्मी गंदी है’ लिख दिया था।
दिल्ली में आठ वर्षीय मनीष से उसके पिता ने कहा, एक से तीन लेसन तक साइंस के प्रश्नोत्तर लिखने के बाद ही मोबाइल मिलेगा। एक घंटे बाद उनकी पत्नी ने फोन कर उन्हें घर आने को कहा। मनीष ने टीवी, फ्रिज, कांच का टेबल, घर का आइना, सोफा, किचन में रखा ओवन सब तोड़ डाला था।
आवेग पर काबू नहीं
सामान्य एवं स्वस्थ बच्चों के आचरण में ऐसी तब्दीली ने सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर ऐसे बदलाव में तेजी की वजह क्या है? किशोर उम्र के लड़के भयावह और खौफनाक वारदातें करने लगे हैं। बिहार के पटना जिले में चौदह वर्षीय मयंक अपनी मां की नसीहत से तंग आकर उनके सिर पर लोहे के तवे से हमला कर उन्हें मार दिया। उक्त सभी खबरें हैरान करती हैं। दरअसल आज के बच्चे अपने आवेग पर काबू नहीं कर पाते। उनकी प्रवृति पर किसी ने नकेल लगाने की कोशिश की या उन पर किसी भी तरह का दबाव बनाए जाने पर उनका व्यवहार आक्रमक हो जाता है। हिंसक बर्ताव कर बैठते हैं। कई बार उनका गुस्सा हद से ज्यादा बढ़ जाता है। उनकी उदंडता से निपटने में अभिभावक नाकाम हो जाते हैं।
मासूमियत गायब हुई
माता-पिता को अपने बच्चे का बालहठ अच्छा लगता है। एक समय बाद उनका यही बालहठ विद्रोही रुख अख्तियार कर लेता है। क्यों कि अब बच्चों की मासूमियत गायब हो गई है। मासूम बच्चा घर में अपने अभिभावकों को, घर से बाहर स्कूल आते-जाते लोगों को लड़ते झगड़ते, गालियां देते, कॉलर पकड़कर मारते या पत्थर मारते देखता है। यह दृश्य उस मासूम के दिमागी पटल पर चस्पा हो जाता है और उसे लगता है कि जीतने का सहज और सरल तरीका है, अपने गुस्से को दिखाना। जैसा कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दस वर्षीय राहुल दिन भर वीडियो गेम देखता था। पढ़ता नहीं था। उसकी दीदी ने उसका वीडियो गेम छुपा दी। नाराज राहुल ने कहा, मेरा वीडियो गेम नहीं दीं तो मैं आप का मोबाइल पत्थर मार कर तोड़ दूंगा।
समस्या को समझें
मासूम बच्वों की बदलती जीवन शैली में गुस्सा करना, हिंसक बर्ताव करना, अभद्रता से पेश आना समस्या नहीं है, बल्कि अपनी बात रखने का उनका अपना तरीका है। जैसा कि शिक्षिका चन्द्रवती शुक्ला कहती हैं, कई बार बच्चे होम वर्क करके नहीं आते। बार-बार सजा देने पर उन्हें लगता है,कि टीचर उसे अपमानित कर रही हैं। और वह अपना गुस्सा अपनी कापी किताब पर उतारता है। उसे फाड़ देता है या फिर घर के खिलौने तोड़ देता है। कई बार झूठी शिकायत अपने माता पिता या फिर प्रिंसिपल से करते हैं। टीचर उसके सवाल का जवाब नहीं देती। उसे पढ़ाती नहीं हैं।
कोरी स्लेट है
बच्चों को प्यार की जरूरत होती है। माता,पिता को हमेशा लड़ाई-झगड़ा करते बच्चे देखते हैं, तोे कुछ समय बाद वे अवसाद का शिकार हो जाते हैं। ब्रिटेन के व्यवहार मनोवैज्ञानिक जेबी वाटसन कहते हैं, आप मुझे एक बच्चा दीजिए। मैं उसे वकील, डॉक्टर, जज और चोर बना सकता हूं। बच्चे का मन मस्तिष्क कोरी स्लेट है। उस पर आप जो लिखना चाहें लिख सकते हैं। जरूरी है कि बच्चे घर में हिंसा, विरोध, गुस्सा और उत्तेजित करने वाले टीवी सीरियल कम से कम देखें, तो ज्यादा अच्छा होगा।
क्या करें?
- अभिभावकों में अपने बच्चों को लेकर कई तरह की बड़ी उम्मीदें होती हैं। इसलिए उन पर जरूरत से अधिक दबाव डालते हैं, जिससे बच्चे प्रेशर में आ जाते हैं। उनके गुस्से पर माता-पिता उन पर हाथ उठा देते हैं। डांटने और मारने की अपेक्षा पहले बच्चों को बताएं उन्होंने क्या गलती की है।
- जेब खर्च ज्यादा मांगने पर उन्हें पैसे का महत्व बताएं।
- बच्चों को भावानात्मक ब्लैक मेल न करें। उन्हें गलत रास्ते पर चलने के नतीजे बताएं।
- आक्रमक रवैया अपनाने से बचें। यदि बच्चा आक्रमक हो जाए तो आप गुस्सा न करें। जब शांत होे जाए तब उससे बातें करें।
- बच्चे को नैतिक शिक्षा कहानियां शुरू से सुनाएं।
- टीवी के कार्टून, हिंसक, अश्लील वीडियो गेम से बच्चे की कल्पनाशीलता को न भरें।
- बच्चे कुछ पूछें तो उसे यह कहकर न टालें, मेरा सिर मत खाओ। जाओ टीवी देखो।
- आप के बच्चे की आचरण संबधी शिकायत न आए, जरूरी है कि आप भी खुद को बदलें।