- पूर्व सांसद बोले किरतपुर चेयरमैन ने घेर को बना रखा था गौकशी का स्लाटर हाउस
जनवाणी संवाददाता |
बिजनौर: पूर्व सांसद ने कहा कि नियमों का पालन होना किसी भी सामाज के चलन और विकास के लिए आवश्यक है। गोवध निवारण अधिनियम वर्ष 1955 में गौहत्या को रोकने के लिए बनाया गया था।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का जिला प्रशासन से इस नियम तोड़ने वाले अपराधियों की सिफारिश लखनऊ तक करने का वक्तव्य दुरभाग्यपूर्ण है।
बिजनौर के पूर्व सांसद राजा भारतेंद्र सिंह ने बताया कि 2012 से 2017 तक समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार थी। वर्ष 1955 में बने गोवध निवारण अधिनियम को रद्द या परिवर्तित कर सकते थे।
सभी राजनैतिक दल जानते है की हिन्दु गौकशी से आहत होता है और इस कारण किसी भी सरकार ने इस कानून को रद्द नहीं किया। किरतपुर के निकट घटना स्थल के निरीक्षण पर 14 फुट ऊँची चाहरदीवारी और बड़े फाटक का निर्माण है।
जन सामान्य ने बताया की यह घेर चेयरमैन का है। घेर की अंदर बिजली के मोटर से चलने वाला नल और पक्का फर्श बना है जिस से यह ज्ञात होता है कि यह परिसर पशुओं के कटान में उपयोग किया जा रहा था।
पुलिस द्वारा घटना स्थल से गाय के अवशेष और कटान में इस्तेमाल करने के औजार भी बरामद किए गए हैं। देसी बना हुआ पिस्तौल भी पुलिस को मौक से मिला है। अपराध संहिता की जो धाराएं गोवध निवारण अधिनियम को तोड़ने पर लगायी जाती हैं वह मुकदमे में दर्ज की गयी है। कानून सब के लिए बराबर होता है।
जनता अपना प्रतिनिधि कानून का उल्लंघन करने के लिए नहीं चुनती है। लोक-तांत्रिक मर्यादा जन-प्रतिनिधियों को एक आदर्श प्रस्तुत करने कि आशा रखती है। यह गम्भीर अपराध पुलिस द्वारा जाँच का विषय है। जाँच में हस्तक्षेप और कार्यवाही को प्रभावित करना सामाज के नेताओं का काम नहीं है। सामाज चाहता है की जाँच हमेशा निष्पक्ष हो, समयबद्ध हो और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही हो।