Friday, December 20, 2024
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पश्चिम एशिया का संकट

Samvad 50

सीरिया के आधुनिक इतिहास में 8 दिसंबर 2024 का दिन निर्णायक सिद्ध हो गया, जबकि हयात तहरीर अलशाम (एचटीएस) के विद्रोहियों ने सीरिया नेशनल आर्मी के विद्रोहियों के साथ संयुक्त रुप से सीरिया की राजधानी दमिश्क पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया। राष्ट्रपति बशर अल असद को रूस में राजनीतिक शरण लेने के लिए विवश होना पड़ा। उल्लेखनीय है कि अल असद परिवार ने 1971 से लेकर 2024 तक सीरिया पर अपनी एकछत्र हुकूमत बनाए रखी। बशर अल असद के पिता फौजी कमांडर हाफिज अल असद ने 1971 से लेकर सन 2000 तक एक निरंकुश शासक के तौर पर सीरिया पर शासन किया। हाफिज अल असद के पश्चात उनके बेटे बशर अल असद द्वारा भी 2000 से लेकर 2024 तक निरंकुश शासक के रूप में सीरिया पर शासन किया गया।

स्मरण कीजिए क्रांतिकारी अरब स्प्रिंग का जबरदस्त उथल पुथल से परिपूर्ण दौर। क्रांतिकारी अरब स्प्रिंग का दौर वस्तुत 10 दिसंबर 2010 को ट्यूनिशिया में सत्ता परिवर्तन के साथ प्रारंभ हुआ। अरब स्प्रिंग के दौर में लीबिया के तानाशाह कर्नल गद्दाफी का तख्ता पलट दिया गया। मिस्र में सत्ता परिवर्तन अंजाम दिया गया। अरब स्प्रिंग की क्रांतिकारी चपेट में सीरिया भी आ गया। 2011 में सीरिया के दक्षिणी इलाके के डेरा नामक स्थान से राष्ट्रपति बशर अल असद का तख्ता पलटने के लिए गृहयुद्ध प्रारंभ हो गया। तेरह वर्षों तक यह गृहयुद्ध निरंतर तौर से कभी तीव्र और कभी मंथर गति से लगातार जारी रहा। सीरियाई गृहयुद्ध का नेतृत्व अल नसरा फ्रंट और तुर्कीए के राष्ट्रपति आर्दोआन द्वारा समर्थित सीरिया नेशनल आर्मी करती रही। दोनों विद्रोही तंजीमें राष्ट्रपति बशर अल असद का तख्ता पलटने में एक लंबे दौर तक नाकाम रही। 2011 से 2014 के कालखंड में सीरिया के गृहयुद्ध में तकरीबन पांच लाख से अधिक इंसान मारे गए और तकरीबन एक करोड़ पच्चीस लाख लोग दरबदर हो गए।

बुनियादी तौर पर दुर्दांत अंतरराष्ट्रीय जेहादी तंजीम अलकायदा से निकट ताल्लुक रखने वाली तंजीम अल नसरा फ्रंट ने अलकायदा से 2016 में अपने गहन ताल्लुकात को बाकायदा तोड़ लिया। तत्पश्चात अल नसरा फ्रंट द्वारा सीरिया के अनेक विद्रोही गुटों को एकजुट करके नया नामकरण किया गया हयात तहरीर अलशाम संक्षेप में कहें तो एचटीएस। राष्ट्रपति बशर अल असद का तख्ता पलटने वाली एचटीएस की कयादत अबू मोहम्मद अल जुलानी द्वारा की जा रही है। तुर्कीए द्वारा समर्थित सीरियन नेशनल आर्मी ने राष्ट्रपति बशर अल असद का तख्ता पलटने में एचटीएस का सैन्य साथ देती रही।

2011 से 2014 तक के काल खंड में सीरिया के विद्रोहियों द्वारा सीरिया के दक्षिण पश्चिमी इलाकों में एक बड़े इलाके पर कब्जा जमा लिया गया। वर्ष 2015 में रूस की फौज ने बशर अल असद की सत्ता को बरकरार बनाए रखने के लिए सीरिया के गृह युद्ध में बाकायदा सैन्य दखलंदाजी प्रारंभ की। रूस द्वारा समर्थित सीरिया की फौज ने विद्रोही इलाकों में जबरदस्त बमबारी अंजाम दी। रूसी एयरफोर्स द्वारा अंजाम दी गई भीषण बमबारी के फलस्वरुप इन तमाम इलाकों पर बशर अल असद की सरकार का अधिपत्य फिर से स्थापित हो गया।

अमेरिका द्वारा समर्थित कुर्दों की सैन्य शक्ति द्वारा इस्लामिक स्टेट के सरगना अल बगदादी की तंजीम इस्लामिक स्टेट (आईएस) का संपूर्ण खत्मा कर दिया गया। इस्लामिक स्टेट का एक काल खंड में तकरीबन एक तिहाई सीरिया एवं तकरीबन आधे इराक पर कब्जा कायम हो गया था। पश्चिम एशिया में सक्रिय इस्लामी जेहादियों के लिए इस्लामिक स्टेट (आईएस) की निर्णायक पराजय एक बहुत बड़ा विनाशकारी झटका सिद्ध हुई। इस्लामिक स्टेट तंजीम की निर्णायक पराजय ने सीरिया में अलकायदा से संबंधित अल नसरा फ्रंट को भी विकट आघात पहुंचा था।

सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का तख्ता पलट वस्तुत पश्चिम एशिया में रूस के लिए और ईरान के लिए सबसे बड़ा राजनीतिक आघात है। उल्लेखनीय है कि सीरिया में रूस के दो विशाल सैन्य ठिकाने विद्यमान हैं। पहला सैन्य ठिकाना है सीरिया में रूसी सेना का हमीमिम एयर बेस और दूसरा है टाटर्स में रूस का विराट नेवल बेस। इन दोनों सैन्य ठिकानों के आधार पर ही रूस ने पश्चिम एशिया और भूमध्य सागर में अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने का जबरदस्त अवसर उपलब्ध हुआ है।

बशर अल असद की निरंकुश सत्ता के यकायक पराभव के बाद सीरिया में इस बात का गहन गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है कि अब कहीं सीरिया पर इस्लामिक जिहादियों का एकाधिकार स्थापित न हो जाए और और सीरिया लोकतंत्र की राह पर जाने के स्थान पर इस्लामी तानाशाही के रास्ते ना चला जाए। अलकायदा की कोख से ही अल नसरा फ्रंट का उदय हुआ था, जिसका नामकरण बाद में हयात तहरीर अल शाम (एचटीएस) हुआ। इसकी विचारधारा की बुनियाद में अलकायदा का नजरियारहा है। भले ही अल नसरा फ्रंट ने 2016 में अलकायदा से अपने सभी ताल्लुकात खत्म कर दिए थे और सीरिया के अनेक विद्रोही गुटों के साथ मिलकर स्वयं को एक स्वाधीन सैन्य संगठन घोषित कर दिया था, जिसे हयात तहरीर अल शाम (एचटीएस) का नाम प्रदान किया गया, जोकि बशर अल असद की निरंकुश सत्ता का खत्म कर देने के लिए संकल्प बद्ध रहा। संभव है कि सीरिया पर अफगानिस्तान की तर्ज पर इस्लामिक हुकूमत कायम हो जाएगी। सीरिया में बहुत जल्द गृहयुद्ध का समापन नहीं हो पाएगा, क्योंकि रूस और ईरान एकजुट होकर फिर से एचटीएस की सत्ता को उखाड़ फेंकने का प्रयास जारी रखेंगे। दूसरी कोल्ड वार के दौर में विश्व फिर से दो सैन्य ध्रुव में विभाजित हो चुका है। पहला सैन्य ध्रुव अमेरिका के नेतृत्व में नाटो सैन्य संगठन का है, जिसकी सैन्य हिमायत इन दिनों सीरिया में बशर अल असद का तख्ता पलटने वाली तंजीमों के साथ है। दूसरा सैन्य ध्रुव में मुख्यत: रूस, चीन ईरान, उत्तरी कोरिया एवं क्यूबा शामिल हैं।

दुनिया तृतीय विश्व युद्ध के कगार पर आकर खड़ी हो गई है। एक विस्फोटक चिंगारी समस्त दुनिया में विश्व युद्ध की ज्वाला में झोंक सकती है। अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हो चुका है एवं 20 जनवरी 2025 को डोनाल्ड ट्रंप पुन: राष्ट्रपति पद पर आसीन हो जाएंगे। रूस के राष्ट्रपति पुतिन साथ अपनी निजी मित्रता का दावा करने वाले डोनाल्ड ट्रंप क्या यूक्रेन जंग के खत्म करा सकेंगे अथवा नहीं याकि राष्ट्रपति चुनाव जीतने की खातिर अपने गाल बजा कर ही रह जाएंगे। इस्राइल बनाम ईरान युद्ध की ज्वाला भी आलमी जंग दे सकती है। सीरिया में तुर्किए तथा अमेरिका से मात खाया हुआ ईरान क्या कुछ नहीं कर सकता है, क्येंकि ईरान भी परमाणु बमों से सन्नद्ध देश बन चुका है। अमेरिका बनाम चीन की रस्साकशी में ताइवान फिलीस्तीन, यूक्रेन की तरह से तृतीय विश्वयुद्ध का कारण बन सकता है। विश्वपटल पर भारत ही ऐसा देश है जोकि दुनिया को तीसरी आलमी जंग में तबाह हो जाने से बचा सकता है।

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