- सदर स्थित यह मंदिर साढ़े चार सौ साल पुराना है, श्रद्धालुओं की रहती है आस्था
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: साढ़े चार सौ साल पुराने सिद्धपीठ काली मंदिर में नवमी के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई देवी मां के दर्शन अपने कष्टों को हरने की प्रार्थना करने में लगा हुआ था। भीड़ इस कदर थी कि मंदिर परिसर में पैर रखने की जगह भी नहीं मिल रही थी। श्रद्धालुओं ने अपनी मन्नतों के प्रतीक चुनरी को बांध कर जा रहे थे।
शारदीय नवरात्रि के नवमी के दिन सुबह से लेकर रात्रि तक सदर स्थित काली मंदिर में भक्तों का आना जाना लगा रहा। मंदिर के मुख्य पुजारी अतुल कुमार बनर्जी उर्फ कुंदन ने विधिवत तरीके से मां काली की पूजा-अर्चना की। नवरात्र में इस मंदिर में भक्तों की इस कदर भीड़ उमड़ती है कि मंदिर भक्तों से भर जाता है। मंदिर में पूजा-अर्चना कराने में मुख्य पुजारी के अलावा जया बनर्जी, रीता बनर्जी और कनिका बनर्जी के अलावा तमाम महिलायें बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती है।
काली देवी के मंदिर में बलि की प्रथा भी बरकरार है। जो लोग अपनी मन्नतें पूरी होने के लिये बकरे की बलि देते हैं उनके लिये अलग से समय निर्धारित है। बाकी लोग नारियल के जरिये देवी मां को प्रसन्न करने का प्रयास करते है। मंदिर में अष्टमी और नवमी के दिन ज्यादा भीड़ रहती है। मां के चरणों का प्रसाद हासिल करने के लिये लोगों का उत्साह देखते बनता है।
हर कोई मां को फल, फूल, चुनरी और साड़ी भेंट करने अपने मन की इच्छा पूरी करने की प्रार्थना करता है। अभिषेक बनर्जी और संकेत बनर्जी ने बताया कि कोरोना के बाद से इस बार भक्तों की संख्या में इजाफा हुआ है। हर कोई अपनी उम्मीदें लेकर मां के दर्शन करने आता है। मां के दर्शन करने मात्र से भक्तों की तमाम परेशानियां हल हो जाती हैं।