Wednesday, April 30, 2025
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मिर्च की खेती ऐसे करें पाएं अधिक उत्पादन

KHETIBADI


मिर्च की सफल खेती के लिये गर्म एवं आर्द्र जलवायु सर्वोत्तम। 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान मिर्च की खेती के लिये उपयुक्त माना गया है। 625 से 750 मिली मीटर वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र मिर्च खेती के लिये उत्तम माने गये हैं। मृदा की पीएच 6 से 7.5 मिर्च के लिये सर्वोत्तम है।

खेत की तैयारी

  • गर्मियों में एक गहरी जुताई करें।
  • इससे खेत के अंदर हानिकारक कवक व जीवाणु के अंडे गहरी जुताई से ऊपर आ जाएंगे और वातावरण के अधिक तापमान से नष्ट हो जाएंगे।
  • गहरी जुताई के बाद दो बार कल्टीवेटर अथवा हैरो चलाएं। खेत को समतल करने के लिए एक बार पाटा चलाएं।
    बीज की मात्रा व दर
  • बीज की मात्रा 400-500 ग्राम प्रति हे., हाईब्रिड जातियों के लिए 200-250 ग्राम प्रति हेक्टेयर।

जातियां

पूसा ज्वाला, पूसा सदाबहार, जवाहर मिर्च 218, एनपी 46 ए, कल्याण फुड, चंचल, अर्का मोहिनी, अर्का बसंत, भारत इत्यादि।

बुवाई समय

मिर्च की बुवाई सामान्यत: जून महीने से लेकर सितंबर के महीने तक की जाती है। अधिक पैदावार लेने के लिए सर्वोत्तम समय जुलाई-अगस्त है। अगस्त माह में की गई बुवाई से मिर्च के पौधे अधिक फैलाव, अधिक ऊंचाई व जल्दी फूल आते हैं।

बुवाई विधि

मिर्च की फसल को सामान्यत: किसान प्रवाहित सिंचाई में लगाते हंै लेकिन मिर्च की फसल को ड्रिप इरिगेशन पद्धति से लगाकर किसान प्रति हेक्टेयर अधिक उपज ले सकता है।

नर्सरी

  • मिर्च नर्सरी की क्यारी की लंबाई 3 मीटर, चौड़ाई 1 मीटर व ऊंचाई 0.2 मीटर की क्यारी बनाएं।
  • नर्सरी क्यारी के अंदर उचित मात्रा में गोबर की खाद मिलाएं।
  • 2-3 दिन बाद नर्सरी क्यारी की सिंचाई करें, जिससे खाद व दवा जमीन में अच्छी तरह मिल जाए।
  • नर्सरी में लाइन से लाइन की दूरी 5 सेमी रखें। जिससे बीज का ज्यादा अंकुरण होगा तथा नर्सरी में खरपतवार व रोग कम आएंगे।
  • क्यारी को चावल के भूसे से ढक दें जिससे अंकुरण जल्दी होगा।
  • क्यारी को प्रतिदिन हल्की सिंचाई दें।

नर्सरी में पादप संरक्षण

  • नर्सरी रोपण के 15 दिन बाद 1 ग्राम थायोमिथाक्सम, 3 ग्राम रिडोमिल एक लीटर पानी में मिलाकर पौधे में ड्रेसिंग करें जिससे मिर्च की नर्सरी में फैलने वाली डेम्पिंग आॅफ और जड़ सड़न व रस चूसने वाले कीड़ों से निजात मिलेगी।
  • यह प्रक्रिया नर्सरी के अंदर दोबारा 25 दिन व 35-40 दिन पर अवश्य करें।

खाद व रसायनिक उर्वरक

उर्वरकों का उपयोग मृदा जांच के अनुसार करें। यदि मृदा जांच न हो सके तो उस स्थिति में प्रति हेक्टेयर इस प्रकार उर्वरक डालें।

साधारण विधि

सामान्य विधि से मिर्च की फसल में 30 टन प्रति हेक्टेयर गोबर खाद आखिरी बुवाई के समय खेत में दें।

ड्रिप पद्धति से

ड्रिप पद्धति से मिर्च की फसल लगाकर किसान रसायनिक उर्वरक का बेहतर ढंग से उपयोग ले सकता है। तथा प्रति हेक्टेयर साधारण विधि से 30-35′ उर्वरक कम लगता है। ड्रिप पद्धति से बुवाई के समय 130 किलोग्राम यूरिया, 500 किलो सिंगल सुपर फास्फेट, 160 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश, 15-20 किलो सल्फर व 10 किग्रा माइक्रोन्यूट्रेंट प्रति हेक्टेयर दें।

ड्रिप इरिगेशन पद्धति से मिर्च लगाने के फायदे

  • 50-60 प्रतिशत पानी की बचत होती है जिससे किसान कम पानी होने पर भी आसानी से मिर्च की खेती कर सकता है।
  • रोग व रस चूसने वाले कीड़ों का प्रभाव कम होता है तथा ड्रिप पद्धति से दवाओं का उचित उपयोग होने से रोग व रस चूसने वाले कीड़ों से फसल को आसानी से बचाया जा सकता है।
  • ड्रिप पद्धति से उर्वरक देकर अधिक उपज ले सकते हंै इससे 30-35 प्रतिशत तक उर्वरक खर्च बचता है।
  • ड्रिप पद्धति से मिर्च की फसल में कम मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है।

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