Tuesday, June 17, 2025
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तुलसी की खेती करेगी मालामाल

 

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तुलसी के फायदों से शायद ही कोई अंजान होगा। तुलसी के घरेलू फायदों के बारे में पहले ही हम काफी कुछ जानते हैं, लेकिन हमें यह भी पता होना जरूरी है कि तुलसी के फायदे सिर्फ सर्दी-जुकाम तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि तुलसी स्वास्थ्य के लिए कई मायनों में गुणकारी है। इस औषधीय पौधे के और भी कई अनोखे फायदे मौजूद हैं। जैसे तुलसी कई रोगों को दूर करने और शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में बड़ी कारगर है। यह पौधा शरीर की इम्यूनिटी ( प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने के साथ बैक्टीरिया और वायरल से होने वाले इंफेक्शन से भी लड़ता है।

तुलसी से दूर होगा आपका स्ट्रेस

आयुर्वेद में कहा गया है कि अगर आप अपने घर में तुलसी लगाते हैं तो स्ट्रेस यानी कि तनाव घर से कोसों दूर रहता है।

तुलसी दिलाएगी कान की बीमारियों से निजात

तुलसी के पत्तों के रस को गर्म करके दो-दो बूंद कान में टपकाने से कान का दर्द दूर होता है। तुलसी के पत्ते,एरंड की कोपलें और चुटकी भर नमक को पीसकर कान पर उसका गुनगुना लेप लगाने से कान के पीछे की सूजन चली जाती है और तुरंत आराम मिलता है।

मच्छर भगाने में कारगर

तुलसी एक ऐसा पौधा है मच्छरों को दूर भगाता है जिससे मलेरिया जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। हाल ही में कुछ प्राकाशित जर्नलों में कहा गया है कि तुलसी कीड़े-मकौड़ों और मच्छरों को भगाने में असरदार औषधि है। यही वजह है कि आपको खासकर मॉनसून में तो तुलसी का पौधा घर पर जरूर लगानी चाहिए।

मिलेगी स्वच्छ और ताजी हवा का वरदान

घर में तुलसी लगाने से आॅक्सीजन की मात्रा व उसकी स्वच्छता अच्छी मिलती है आॅक्सीजन की सप्लाई बढ़ जाती है। कहा जाता है की तुलसी वह पौधा है जो दिन के 20 घंटे आॅक्सीजन देने के साथ ही कार्बन मोनोआॅक्साइड, कार्बन डाइआॅक्साइड और सल्फर डाइआॅक्साइड जैसी जहरीली गैसों को सोख लेता है।

कैसे करें तुलसी की खेती
तुलसी के नए पौधे मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में उगते हैं। अन्य मौसमों में इसके पत्ते कम और छोटे हो जाते हैं और शाखाएँ भी सुखी नजर आने लग जाती हैं। तुलसी की खेती के लिए खेत को अच्छे से जोतना बहुत जरूरी व महत्वपूर्ण होता है।

  • जमीन को अच्छी तरह जोतकर क्यारियां बना लें।
  •  इसके बीज काफी छोटे होते हैं इसीलिए इन्हे रेत या लकड़ी के बुरादे के साथ मिश्रत करके मिट्टी में डाला जाता है।
  • तुलसी के बीज बहुत ही आसानी से अंकुरित हो जाते हैं।
  • इसके बीजों को अच्छे से मिश्रितमिट्टी में रोप कर, तुरंत पानी दें। पौधों को लगाने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करना जरूरी है, इसके बाद हफ्ते में कम से कम एक बार या जरूरत के अनुसार पानी देना होता है।
  • बीज अप्रैल और मई माह के दौरान बोए जाते हैं और एक-दो सप्ताह के बाद बीजो के अंकुरित होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

जैविक उर्वरक

  • अगर खाद की बात करें तो जैविक उर्वरक और तरल उर्वरक का प्रयोग किया जा सकता है। वैसे तो तुलसी के पौधों को कम उर्वरक की आवश्यकता होती है, इसीलिए ध्यान दें की ज्यादा मात्र में उर्वरक डालने से पौधे को नुकसान हो सकता है अथवा वह जल सकता है या मर सकता है। तुलसी के पौधों मैं कभी भी बहुत गरम और बहुत सर्द मौसम में उर्वरक नहीं डालना चाहिए।
  • गोबर की खाद इस पौधे के लिए सबसे फायदेमंद होती है,200 से 250 क्विंटल गोबर की खाद या कम्पोस्ट को जुताई के समय खेत में बराबर मात्रा में डाले। इसके बाद ही जुताई करें, इससे खाद अच्छी तरह से मिट्टी में मिल जाती है उससे अच्छे परिणाम मिलते है।
  • सिंचाई क्षेत्रों में अंकुरित पौधों की जुलाई या फिर अक्तूबर/ नवंबर माह के समय खेतो में लगाया जाता है। रोपण के तुरंत बाद ही खेत की सिंचाई की जानी चाहिए।
  • तुलसी के पौधों के रोपण के बाद ही मॉनसून के अंत में सिंचाई प्रबंधन भी किया जा सकता है। दूसरी सिंचाई से पौधे अच्छी तरह से मिट्टी में जम जाते हैं। पौधों के बीच के अंतराल को बनाए रखने और कमजोर पौधो को अलग करने का ये तरीका सही समय पर कर देना चाहिए ताकि खेत में एक समान पौधे रहें।
  • गर्मियों में खेत में तुलसी के पौधों को 3-4 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है जबकि शेष ऋतुओं की अवधि के दौरान जरूरत के मुताबिक सिंचाई की जा सकती है।

कब करें कटाई

रोपण के 90-95 दिनों के बाद, फसल प्रथम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। पत्ति के उत्पादन के लिए फूलों के प्रारम्भिक स्तर पर पत्तियों की तुड़ाई की जाती है। फसल को जमीनी स्तर पर इस तरीके से काटा जाता है कि शाखाओं को काटने के बाद तने फिर से उग आएं।

जब पौधों की पत्तियां हरे रंग की होने लगें, तभी अच्छी धूप वाला दिन देख कर इनकी कटाई शुरू कर दें, सही समय पर कटाई जरूरी है, ऐसा न करने पर तेल की मात्रा पर इसका असर होगा। पौधे पर फूल आने के कारण भी तेल मात्रा कम हो जाती है, इसलिए जब पौधे पर फूल आना शुरू हो जाएं,तब इनकी कटाई शुरू कर देना चाहिए। जल्दी नई शाखाएं आ जाएं, इसलिए कटाई 15 से 20 मीटर ऊंचाई से करनी चाहिए।

अनुमानित लागत

1 बीघा जमीन पर खेती करने के लिए 1 किलो बीज की आवश्यकता होगी। 10 बीघा जमीन पर 10 किलो बीज लगेंगे। इसकी कीमत 3 हजार रुपए के करीब होगी। खेत में 10 से 15 हजार रुपए की खाद लगेगी। सिंचाई का इंतजाम करने के लिए प्रबंध होना चाहिए।

एक सीजन में 8 क्विंटल तक पैदावार होती है, बाजार में इसका भाव ढाई से 3 लाख रुपए तक है। मंडी में 30 से 40 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव तक तुलसी के बीज बिक जाते हैं। आप सीधे मंडी में जाकर खरीददारों से संपर्क कर सकते हैं या कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग करवाने वाली दवा कंपनियों या एजेंसियों के जरिए खेती का माल बेच सकते हैं।
इस पूरी प्रक्रिया में ध्यान दें कि कटाई से 10 दिन पहले सिंचाई देना बंद कर देनी चाहिए।


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