Saturday, July 27, 2024
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भाजपा प्रत्याशी को लेकर फिलहाल सस्पेंस

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  • जिला मुख्यालय से जो सूची प्रत्याशियों की भेजी गई थी, उसकी फिर से हो रही हैं स्क्रेनिंग

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: भाजपा में मेयर पद का कौन होगा उम्मीदवार? इसको लेकर अभी सस्पेंस बना हुआ हैं। जिला मुख्यालय से जो सूची प्रत्याशियों की भेजी गई थी, उसकी फिर से स्क्रेनिंग हो रही हैं। ऐसा भी हो सकता हैं, जिनके नाम टॉप पर चल रहे थे, उनकी बजाय दूसरे नामों पर मुहर लगा दी जाए। कुछ ऐसा परिवर्तन भी हो सकता हैं। पार्टी सूत्रों का यह भी दावा है कि 21 को भाजपा प्रत्याशी का नाम घोषित कर दिया जाएगा।

घोषित होने वाला नाम किसका हैं? अभी यह रहस्य बना हुआ हैं। मेरठ से लखनऊ भाजपा मुख्यालय पर आठ लोगों के नामों की सूची गई थी। इस सूची में से ही नाम फाइनल होगा या फिर सूची से बाहर के कुछ नाम भी चल रहे हैं, उन पर विचार किया जा सकता हैं। अभी यह कहना मुश्किल होगा।

दरअसल, सपा प्रत्याशी सीमा प्रधान कई दिनों से प्रचार में जुटी हैं, लेकिन भाजपा ने मेयर पद के उम्मीदवार का नाम ही घोषित नहीं किया हैं, जिसके चलते प्रचार का समय भी भाजपा को कम ही मिलेगा। मेयर का चुनाव गली-मोहल्ले का चुनाव हैं। इसमें घर-घर दस्तक देना होता हैं। तीसरे दिन भाजपा प्रत्याशी का नाम सार्वजनिक होगा, तब तक अन्य दलों के नेता प्रचार में काफी आगे निकल चुके होंगे।

पूरा चुनाव भाजपा, बसपा और सपा के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा हैं, लेकिन इसके बार आम आदमी पार्टी ने भी अपना प्रत्याशी ऋचा सिंह को चुनाव मैदान में उतारा हैंं। बसपा का भी अभी प्रत्याशी घोषित नहीं हुआ हैं। सबसे ज्यादा उत्सुकता भाजपा प्रत्याशी के नाम को लेकर हैं। क्योंकि भाजपा से ही प्रत्येक दल का मुकाबला होता हैं। फिर भाजपा में 53 लोग टिकट मांग रहे थे। इसमें कई ऐसे भी है,

जो टिकट नहीं मिलने की दशा में निर्दलीय चुनाव मैदान में भी ताल ठोंक सकते हैं, जिसके चलते भाजपा की मुश्किले और बढ़ सकती हैं। भाजपा प्रत्याशी के नाम को लेकर प्रदेश मुख्यालय लखनऊ में फिर से स्क्रेनिंग कमेटी की मीटिंग होगी, जिसमे ंमेरठ में मेयर पद का उम्मीदवार कौन होगा? इस पर फाइनल मुहर लगाई जाएगी। बरहाल, भाजपा में प्रत्याशी को लेकर फिलहाल सस्पेंस बना हुआ है।

बैकफुट पर सपा, ‘रार’ पर ब्रेक

निकाय चुनाव में प्रत्याशियों को लेकर सपा-रालोद के बीच आरंभ हुई ‘रार’ पर बै्रक लग गया हैं। जो प्रत्याशी सपा ने घोषित किये थे, उनको विड्रो कर लिया हैं। इस तरह से सपा बैकफुट पर आ गयी। इतना सब ड्रामा होने के बाद सपा-रालोद के बीच जो खटास पैदा हुई हैं, उसमें मिठास का रस शायद ही घुल पाए।

बिजनौर में यह विवाद अभी बरकरार हैं, लेकिन बागपत में विवाद पर विराम लगाने की कोशिश भर हुई हैं। हालांकि अभी रालोद ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि मेरठ में मेयर पद के लिए उम्मीदवारी की जाएगी या फिर नहीं। रालोद नेताओं ने कह दिया कि राष्टÑीय नेतृत्व यह तय करेगा कि चुनाव लड़ा जाएगा या फिर नही।

एक दिन पहले टिकट घोषित किया जाता है और अगले दिन उसे वापस भी ले लिया जाता है। ऐसा कदम सपा ने उठाया हैं। गठबंधन की रार को लेकर रालोदियों में दिखी नाराजगी का असर सपा हाईकमान तक पहुंचा और सपा के बड़ौत के टिकट को वापस करा दिया है। सपा ने बड़ौत नगर पालिका व बागपत नगर पालिका में रालोद को समर्थन करने का ऐलान किया है। हालांकि खेकड़ा नगर पालिका पर प्रत्याशी के टिकट को लेकर संशय बराकर रखा गया है।

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यहां अभी तक रालोद व सपा स्थिति को स्पष्ट नहीं कर पाई है। अगर यहां टिकट वापसी नहीं होता है तो यहां दोनों पार्टियां आमने-सामने होंगी। टिकटों को लेकर जो अदला-बदली हो रही है उससे जनता भी हैरान है। रालोद व सपा का गठबंधन वेस्ट यूपी में जिस तरह से ‘रार’ बनी, तभी वेस्ट यूपी में इस गठबंधन के दिलों में गांठ पड़ती नजर आ रही हैं। निकाय चुनाव में अध्यक्ष पदों को लेकर जिस तरह से एक दूसरे के सामने प्रत्याशी उतारे जा रहे हैं उससे तो यही लगता है कि दोनों की राह जुदा हो गई हैं।

इसको मीडिया ने भी खूब हाईलाइट भी किया। यही कारण था कि बागपत जनपद में भी बड़ौत नगर पालिका व खेकड़ा नगर पालिका के अध्यक्ष पद पर सपा ने भी अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं, जबकि खेकड़ा में रालोद पहले ही अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। जब यहां रालोद ने प्रत्याशी घोषित कर दिया था तो फिर सपा ने क्यों किया? यही नहीं, सपा ने बड़ौत पर क्यों प्रत्याशी उतार दिया था? यह भी सवाल सबसे बड़ा है कि बड़ौत में सपा ने जाट चेहरे पर दांव खेलते हुए रणधीर प्रधान को उतारा था, जबकि खेकड़ा में भी जाट चेहरे संगीता धामा को उतारा था,

जिसके बाद रालोद में भी खलबली मच गई थी। खुद सपा नेता भी हैरान हो गए थे। दोनों पार्टियों में तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थी। यह प्रकरण दोनों पार्टियों के हाईकमान के पास पहुंचा तो सपा बैकफुट पर आ गई। दरअसल, मेरठ में रालोद नेताओं की मीटिंग हुई, जिसमें निर्णय किया कि रालोद मेयर पद के लिए अपना उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। 42 पार्षद प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में उतारे जाएंगे।

रालोद के इस रुख के बाद से ही सपा नेताओं में हलचल पैदा हो गई थी। सपा नेताओं जो भी राजनीतिक घटनाक्रम पश्चिमी यूपी में चला, उससे पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को बताया, जिसके अगले ही दिन सपा ने अपना निर्णय पलट दिया तथा सपा ने घोषित किये प्रत्याशियों को विड्रो करने का ऐलान कर दिया। इस तरह से सपा-रालोद नेताओं के बीच 12 घंटे की उथल-पुथल रही।

क्या हशमत अली होंगे बसपा के मेयर प्रत्याशी?

बहुजन समाज पार्टी ने आखिरकार मंगलवार की देर रात मेयर पद पर मुस्लिम प्रत्याशी को उतारने का मन बनाया है। वार्ड-86 से तीन बार पार्षद रहे हशमत अली पहले रालोद की वर्षों सेवा कर चुके हैं। नगर निगम चुनाव में बसपा ने हशमत अली को मैदान में उतारा है। पार्टी मुस्लिम चेहरा हशमत पर भरोसा जताते हुए उसे मेयर पद का चुनाव लड़ाएगी। देर शाम लखनऊ में पार्टी हाईकमान की तरफ से हशमत अली के नाम पर मुहर लग गई।

बता दें कि बसपा से जाट, गुर्जर सहित अन्य बिरादरी के भी मेयर के टिकट की रेस में थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने हशमत अली के नाम पर मोहर लगा दी है। बसपा से मेयर प्रत्याशी हशमत अली की पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं में गिनती होती है। हशमत ने बसपा के टिकट पर तीन बार वार्ड-86 से पार्षदी का चुनाव जीता है।

पूर्व सांसद और मेयर शाहिद अखलाक के करीबियों में भी हशमत अली की गिनती होती है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी ने जातीय समीकरणों के अलावा पार्टी के पुराने नेता होने के नाते हशमत अली को टिकट दिया है। हालांकि बीच में हशमत अली ने बसपा छोड़कर सालभर के लिए रालोद का दामन थाम लिया था।

टिकट न मिलने से नाराजगी के कारण रालोद में चले गए थे। बाद में पार्टी में वापसी कर ली। अब पार्टी ने मेयर का टिकट भी दे दिया है। अभी भाजपा ने मेयर पद का प्रत्याशी घोषित नहीं किया है जबकि सपा से सीमा प्रधान, कांग्रेस से नसीम कुरैशी और आप से रिचा सिंह मैदान में उतर गई हैं। बसपा और कांग्रेस से मुस्लिम प्रत्याशी होने के कारण चुनाव अब दिलचस्प हो गया है।

विवादों से कई बार जुड़ा नाम

बसपा प्रत्याशी हशमत अली का स्क्रैप का मुख्य कारोबार है। वहीं बसपा सरकार में पार्षद रहते हुए विवादों से भी कई बार नाम जुड़ा। मेरठ में लगभग छह साल पहले गद्दी और मलिक बिरादरी के बीच हुए आपसी झगड़े में भी हशमत अली का नाम चर्चा में आया था। झगड़े में दोनों बिरादरियों के बीच गोलियां चली थी, दो लोगों की हत्या भी हुई थी। मलिक और अब्बासी समाज के झगड़े में भी हशमत का नाम सुर्खियों में रहा था।

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