- अब पूर्ण रूप से भूमिगत होगा निर्माण कार्य
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर में निर्माणाधीन मेट्रो के भूमिगत स्टेशन मेरठ सेंट्रल की डी वॉल का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। इसके साथ ही स्टेशन का निर्माण अगले चरण में पहुँच गया है और आगे का निर्माण कार्य पूर्ण रूप से भूमिगत किया जाएगा। है। फिलहाल दिल्ली-मेरठ मार्ग का एक हिस्सा बंद कर बैरिकेडिंग में इस भूमिगत स्टेशन की ऊपरी छत (रूफ स्लैब) का निर्माण किया जा रहा है, जो आधे से ज्यादा पूरा किया जा चुका है।
रूफ स्लैब का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद, जमीनी स्तर पर सड़क पर किसी भी तरह के निर्माण कार्य की आवश्यकता बहुत कम रह जाएगी। इसके बाद स्टेशन निर्माण का सारा कार्य भूमिगत रूप से अंदर ही अंदर किया जा सकेगा। साथ ही रूफ स्लैब के ऊपर बने दिल्ली-मेरठ मार्ग को पूरी तरह खोल दिया जाएगा, जिससे ट्रैफिक सुचारू रूप से चलता रहेगा। सिर्फ स्टेशन से मिट्टी निकालने के लिए कुछ छोटे बैरिकेडिंग सेक्शन ही सड़क पर रह जाएंगे।
यह आधुनिक तकनीकों का कमाल है कि चलती सड़क के नीचे भूमिगत स्टेशन का निर्माण होता रहेगा और सड़क पर चलने वाले वाहनों और यात्रियों को न इसका आभास होगा न हीं किसी तरह की असुविधा का सामना करना पड़ेगा। चूंकि स्टेशन का निर्माण सड़क के बीच में किया जा रहा है, इसलिए पहले एक तरफ की सड़क बंद कर ट्रैफिक को डायवर्ट कर तेजी से निर्माण किया जा रहा था।
उस तरफ काम पूरा हो जाने के बाद उस सड़क को खोलकर वर्तमान में दूसरी ओर काम चल रहा है। सड़क पर हो रहे रूफ स्लैब के निर्माण के साथ-साथ इस भूमिगत स्टेशन के निर्माण के लिए 127 डी वॉल पैनलों को भूमिगत डालकर पूरे स्टेशन की डी वॉल का निर्माण किया गया है। इस स्टेशन में डी वॉल पैनलों को लगभग 23 मीटर की गहराई में डाला गया है। इस तरह पूरे स्टेशन के चारों ओर एक बाहरी ढांचा तैयार हो गया है।
यह स्टेशन लगभग 17 मीटर की गहराई में बनाया जा रहा है। यात्रियों की सुविधा के लिए इस स्टेशन के दोनों तरफ 1-1 यानी 2 प्रवेश-निकास द्वार बनाए जाएंगे। ये दोनों द्वार फुटबॉल चौक से वॉकिंग डिस्टेंस पर स्थित होंगे। दोनों प्रवेश-निकास द्वारों पर ग्राउंड लेवल से कॉनकोर्स लेवल तक और कॉनकोर्स से प्लेटफॉर्म लेवल तक उतरने-चढ़ने के लिए एस्कलेटर्स लगाए जाएंगे।
यह स्टेशन शहर की नई यातायात व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मेरठ शहर में 21 किमी का मेट्रो सिस्टम बनाया जा रहा है। जिसमें 13 स्टेशन होंगे। मेट्रो का नेटवर्क मेरठ साउथ से शुरू होगा तथा परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, भैंसाली, बेगमपुल, एमईएस कॉलोनी, दौरली, मेरठ नॉर्थ और मोदीपुरम होता हुआ मोदीपुरम डिपो तक जाएगा। इनमे से मेरठ सेंट्रल, भैंसाली और बेगमपुल तीन स्टेशन अंडरग्राउंड होंगे, जबकि अन्य सभी स्टेशन एलिवेटेड होंगे।
ज्ञातव्य है कि मेरठ में मेट्रो नेटवर्क रीजनल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर के बुनियादी ढांचे पर ही संचालित हेगी। मेरठ साउथ, शताब्दी नगर, बेगमपुल और मोदीपुरम स्टेशनों पर आरआरटीएस ट्रेनों के रुकने का भी प्रावधान होगा जहां से मेरठ मेट्रो के यात्री दिल्ली आदि की यात्रा के लिए ट्रेन ले सकेंगे।
रैपिड: विश्व की पहली अत्याधुनिक वेबसाइट लॉन्च
मेरठ: एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय सिंह ने सोमवार को संस्था की कॉपोर्रेट वेबसाइट के नए रूप का अनावरण किया। उल्लेखनीय है कि देश की पहली आरआरटीएस परियोजना कार्यान्वयन के उन्नत चरण में प्रवेश कर चुकी है, ऐसे में एक आधुनिक व्यापक मंच की आवश्यकता महसूस की जा रही थी ताकि परियोजना की अब तक की यात्रा और अपडेट समग्र रूप से प्रदर्शित किए जा सकें।
टेक्नोलॉजी और कम्यूटर-केंद्रित विशेषताओं को वेबसाइट के इस नए रूप में खास जगह दी गई है। आरआरटीएस को क्रियान्वित करने की प्रक्रिया में एनसीआरटीसी ने कई एडवांस्ड टेक्नोलॉजी विकसित की हैं और जिनका उपयोग इस परियोजना में किया जा रहा है। इनमें से कई टेक्नोलॉजी देश में पहली बार और कुछ विश्व में पहली बार प्रयोग की जा रही हैं। यह वेबसाइट इनके विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान करती है।
साथ ही इस मंच पर आरआरटीएस स्टेशनों की सचित्र यात्रा के साथ-साथ निर्माण संबंधी अपडेट्स का एक अलग भाग है। यहां दिए गए एनसीआरटीसी के सभी सोशल मीडिया हैंडल्स के क्विक लिंक्स मात्र एक क्लिक में उन तक आसान पहुंच की सुविधा प्रदान करेंगे। उपयोगकतार्ओं की सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई यह नई लुक वाली वेबसाइट, पहली आरआरटीएस परियोजना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए कैसे परिवर्तनकारी साबित होगी,
इसकी विस्तृत जानकारी प्रदान की गई है। वेबसाइट के इस नए रूप पर पहले आरआरटीएस कॉरिडोर के स्टेशनों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने वाला इंटरेक्टिव मानचित्र भी दिया गया है, जो उपयोगकर्ताओं को बेहतरीन अनुभव प्रदान करेगा।