- बन रहा दुर्लभ संयोग, 5 अक्टूबर को किया जाएगा रावण दहन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक त्योहार दशहरा का विशेष महत्व होता है। दशहरा को विजयदशमी या विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम से इस दिन लंकापति रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की थी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस साल दशहरा पर कई शुभ संयोग बनने के कारण इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है।
बता दें कि दशहरा का पर्व अश्विन माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध कर असत्य पर सत्य को विजय दिलाई थी, इसलिए त्रेताकाल से आज तक इस दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। 10 सिर के वरदान वाले रावण के अंत की वजह से ही इसे कहीं दशहरा तो कहीं दसहारा भी कहा जाता है।
ये हैं तीन अति शुभ योग
इस वर्ष विजयदशमी पर तीन बेहद खास और दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। ये तीनों शुभ योग रवि, सुकर्मा और धृति हैं, जो इस दिन को महत्वशाली बना रहे हैं। इस योग में पूजा पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ेगी और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होगा। इस दिन किसी भी चीज की खरीददारी करना लाभप्रद रहेगा।
वहीं लक्ष्मी सूक्त का पाठ करें। ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ने लगता है। दशहरा पर श्रवण नक्षत्र का शुभ संयोग 4 अक्टूबर को रात्रि 10:51 पर प्रारंभ होगा जो अगले दिन 5 अक्टूबर को रात्रि 9:15 पर समाप्त होगा।
दशहरे के शुभ दुर्लभ योग
- रवि योग: सुबह 6:30 से रात्रि 9:15 तक।
- सुकर्मा: 4 अक्टूबर सुबह 11:23 से दूसरे दिन 5 अक्टूबर सुबह 8:21 तक।
- धृति: 5 अक्टूबर सुबह 8:21 से दूसरे दिन 6 अक्टूबर सुबह 5:18 तक।
दशहरे के ग्रह गोचर
इस दिन लग्न में सूर्य, बुध और शुक्र ग्रह की कन्या राशि में युति बन रही है। वहीं बृहस्पति ग्रह मीन राशि में स्वराशि का होकर बैठा है। शनि मकर राशि में स्वराशि का होकर विराजमान है। मेष राशि में राहु और तुला राशि में केतु का गोचर चल रहा है। मंगल वृषभ में और चंद्र मकर में विराजमान रहेंगे।
इस दिन है दशहरा
दशहरा इस वर्ष 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन शुक्ल दशमी तिथि 4 अक्टबूर मंगलवार को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होगा, जो कि अगले दिन यानी 5 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे तक रहेगी। वहीं विजय मुहूर्त 4 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 13 मिनट से 5 अक्टूबर दोपहर 3 बजे तक रहेगा।
दशहरे का महत्व
दशहरे का त्योहार बहुत ही खास होता है इस दिन बुराई के प्रतीक रावण का पुतला जलाकर लोग असत्य पर सत्य की जीत का उत्सव मनाते हैं और इसी परंपरा को सदियों से निभाया जा रहा है साथ ही साथ दशहरे पर शस्त्रों का पूजन करना भी अच्छा माना जाता है।
नवरात्रि में देवी मां दुर्गा ने नौ दिनों तक असुरों के स्वामी महिषासुर से युद्ध किया था और दशमी के दिन उसका विनाश कर अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त की थी इसे खुशी में यह पर्व देशभर में उत्सव और उमंग के साथ मनाया जाता है।