Tuesday, July 9, 2024
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डाकू सुल्ताना का किला आज भी सरकार की उपेक्षा से वीरान

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  • डाकू सुल्ताना का किला आज भी सरकार की उपेक्षा का शिकार
  • आजादी के बाद से ही सरकार से उपेक्षित है ऐतिहासिक धरोहर

जनवाणी संवाददाता |

नजीबाबाद: जिले के प्रमुख औद्योगिक, ऐतिहासिक, धार्मिक व सांस्कृतिक नगर नजीबाबाद को बसाने वाले दिल्ली के नवाब नजीबुद्दौला का ऐतिहासिक किला आजादी के बाद से उपेक्षित वो विरान हैं। केन्द्र व राज्य सरकार के पास पुरातत्व महत्व की इस संग्रहीत धरोहर को सजाने, संवारने, विकसित करने या इसके खोए अस्तित्व को बचाए रखने की कोई योजना नहीं है। केन्द्र व राज्य सरकार के देश प्रदेश की ऐतिहासिक, धार्मिक धरोहरों को संरक्षित कर विकसित करने की योजना भी इस किले तक नहीं पहुंच पाई है

उत्तराखंड का प्रवेश द्वार नजीबाबाद अपने ऐतिहासिक, धार्मिक, औधोगिक, सांस्कृतिक नगर के रूप में जाना जाता है। इतिहास के झरोखे से दिल्ली के रोहेला नवाब नजीबुद्दौला ने 1751 में पवित्र मालन नदी के तट पर नजीबाबाद नगर को बसाया था। यहां अपने निवास के लिए मौहल्ला महल सराय में महल जहां आज थाना कोतवाली है तथा कोटद्वार मार्ग से सटे घिसटपुरी व महावतपुर के बीच विशाल आकार का किला बनाया था। जो अपने विशाल गेट, चौड़ी दीवार, सुरक्षा के लिहाज से बनी विशेष निर्माण, नवाबी शिल्प व नक्काशी के लिए जाना जाता है। जहां नबाब नजीबुद्दौला की फौज रहती थी। अंग्रेजी शासन में किला अंग्रेज शासन के अधीन था।

बताते हैं 1918 से 22 के दौरान मुरादाबाद मंडल के कुख्यात डाकू सुल्ताना व उसके तीन दर्जन साथियों को अपराध की दुनिया से विमुख कर रोजगार रेशम उद्योग से जोड़ने के लिए इस किले में बंधक बनाकर रखा गया था। बाद में डाकू सुल्ताना अंग्रेज फौज को धता बताकर अभेध्य किले से अपने साथियों के साथ भाग निकला था। तब से नवाब नजीबुद्दौला के इस किले को सुल्ताना डाकू के किले के रूप में जाना जाता है। देश जब 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ तो आजादी के दिवानों ने नगरवासियों के साथ इस ऐतिहासिक किले की प्राचीर से आजादी की पताका फहराई थी।

आजादी के बाद बनी केन्द्र सरकार ने नजीबुद्दौला के इस ऐतिहासिक किले को पुरातत्व विभाग से संग्रहीत करा लिया था। लेकिन आजादी के बाद से कभी भी केन्द्र व राज्य सरकार ने नजीबाबाद के इस किले को संवारने, सजाने, इसके गौरव को संरक्षित करने की कोई योजना नहीं बनाई है। जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा था तब केन्द्रीय पुरातत्व विभाग के मेरठ कार्यालय के प्रतिनिधि ने इस किले में 14 अगस्त 2023 को किला परिसर में विशाल राष्ट्रीय ध्वज स्थापित कराया लेकिन आजादी दिवस पर कोई राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित करना भी उचित नहीं समझा।

नगर के सामाजिक संगठन व कुछ बुद्धिजीवियों ने जरुरत राष्ट्रीय भक्ति से ओत-प्रोत कार्यक्रम प्रस्तुत कर आजादी की याद को ताजा किया है। लेकिन केन्द्रीय पुरातत्व विभाग की टीम ने इस किले की कोई सुध नहीं ली। इस किले की मरम्मत का कभी कभी कार्य किया जाता है। नवाब नजीबुद्दौला के इस किले को विकसित करने, पर्यटन स्थल, स्टेडियम, केन्द्रीय विद्यालय, चिकित्सालय बनाने की मांग उठी लेकिन आजादी के बाद कोई भी केन्द्र या राज्य सरकार इस पर कार्य योजना तैयार नहीं कर सकी।

जिला प्रशासन ने भी कभी इसके विकास का खाका तैयार करने की जरूरत नहीं समझी। अतिक्रमण कारी यहां भी अपना कौशल दिखाने से नहीं चुकें। उत्तर दिशा का गेट तो बंद कर दिया गया,किले की भूमि कर कब्जे कर लिए गये। किले तक जाने वाली सड़क तक नहीं बन सकी। जनप्रतिनिधियों ने भी कभी राष्ट्रीय महत्व की इस धरोहर को संवारने का प्रयास नहीं किया। सरकार अपने स्तर से या किसी प्राइवेट कंपनी के द्वारा इस ऐतिहासिक किले को उसका खोया हुआ अतीत लौटा कर नजीबाबाद को देश के पर्यटन मानचित्र पर उकेर सकती है। नजीबाबाद के नागरिकों को अब उस दिन का इंतजार है जब इस किले का विकास हो।

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