जनवाणी संवाददाता |
देवबंद: विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने अयोध्या मामले में आए सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को मायूस करने वाला बताया है। कहा कि आरोपियों को बरी कर देने का फैसला समझ से परे है।
बुधवार को बाबरी विध्वंस मामले आए सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले पर दारुल उलूम देवबन्द के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि छह दिसंबर 1992 को दुनिया ने उस मंजर को देखा था।
इसके बावजूद इस तरह का फैसला आना मायूस भरा है। मोहतमिम नौमानी ने यह भी कहा कि 9 नवंबर 2019 को अयोध्या फैसले के दौरान देश की सबसे बड़ी अदालत ने यह माना था कि वर्ष 1992 में विवादित ढांचे को गिराए जाना कानून के खिलाफ था।
इसके बाद भी ऐसा फैसला सामने आना समझ से परे है। इस फैसले से हमें अफसोस और मायूसी हुई है। दुनिया के सामने हमें अपनी अदालतों की छवि को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।