Thursday, March 28, 2024
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दिलवालों की नहीं रही दिल्ली: तड़फती लाडली, आंखों से आंसू नहीं खून टपकेंगे!

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जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: डॉक्टर साहब! मेरी बहन कल रात से तड़प रही है, एंबुलेंस लेकर तीन अस्पतालों के चक्कर लगा चुका हूं। कोई नहीं सुन रहा। कोई कहीं भेज देता है तो कोई कहीं। कुर्सी पर बैठे-बैठे ही मरीज को देख दूसरे अस्पताल ले जाने का ऑर्डर दे देते हैं। मैंने सबके हाथ जोड़ लिए साहब, कोई मेरी बहन को नहीं देख रहा है।

यहां आया तो सुरक्षा गार्डों ने बाहर से मुझे कहीं और ले जाने का बोल दिया। अब एंबुलेंस वाला भी हमें छोड़कर भाग गया साहब। मेरी बहन के साथ कहीं कुछ….।

अचानक से रुके शब्द अरविंद की आंखों को नम कर गए और वह फफक पड़ा। अपनी बहन को तड़पता देख करीब डेढ़ घंटे तक अरविंद रोता रहा लेकिन उसके आंसूओं से किसी का दिल नहीं पिघला और आखिर में वह एक ऑटो रिक्शा में लेकर अपनी बहन को वापस घर ले गया।

यह घटना के दिल्ली के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक सफदरजंग की है जहां शुक्रवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे से ठंडी हवाओं के बीच अरविंद अपनी बहन लक्ष्मी को लेकर खड़ा था।

अरविंद ने बताया कि वह हैदरपुर निवासी है और उसकी बहन लक्ष्मी को पहले अंबेडकर अस्पताल रोहिणी ले गया और फिर वहां से जीबी पंत ले आया, लेकिन यहां भी किसी ने नहीं सुनी और फिर वह सफदरजंग अस्पताल पहुंचा।

अरविंद की तरह अस्पताल में कई ऐसे मरीज थे जिन्हें न इलाज मिला और न ही कोई दवा। दिल्ली के ही निवासी सुनील कुमार व्हीलचेयर पर सफदरजंग अस्पताल की ओपीडी पहुंचे लेकिन उन्हें पता चला कि डॉक्टरों की हड़ताल है।

करीब एक घंटे इंतजार करने के बाद सुनील आपातकालीन वार्ड भी पहुंचे लेकिन वहां मौजूद डॉक्टरों ने ओपीडी में आकर ही जांच कराने की सलाह देते हुए उन्हें वापस कर दिया।

दरअसल नीट पीजी काउंसलिंग में देरी के खिलाफ शुक्रवार से दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। सुबह नौ बजे से डॉक्टरों की हड़ताल शुरू हुई जिसका सबसे बड़ा असर सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, जीटीबी और लोकनायक अस्पताल में दिखाई दिया।

यहां आपातकालीन वार्ड, ओपीडी, सामान्य वार्ड से लेकर कोविड वार्ड तक में ड्यूटी करने से साफ इंकार कर दिया है। डॉक्टर अपने अपने अस्पतालों में धरने पर बैठ गए हैं। अस्पताल प्रबंधन ने वरिष्ठ डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई है।

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) की निगरानी में चल रही इस हड़ताल को लेकर डॉक्टरों का कहना है कि जब तक काउंसलिंग की तारीख नहीं बताई जाएगी तब तक विरोध प्रदर्शन ऐसे ही जारी रहेगा।

देर शाम तक दिल्ली के दूसरे अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों से भी इनकी बैठकें चलती रहीं। बताया जा रहा है कि आगामी सोमवार से डॉक्टरों की हड़ताल और तीव्र रुप ले सकती है और इसमें दिल्ली के बाकी अस्पताल भी शामिल हो सकते हैं।

दिल्ली के वेलकम निवासी मोहम्मद नफीज अपने बेटे के साथ आरएमएल अस्पताल पहुंचे थे। नफीज के शरीर का एक हिस्सा पूरी तरह से फालिज का शिकार है। ओपीडी के लिए काउंटर बंद था इसलिए रोगी का पर्चा ही नहीं बन सका। जबकि आरएमएल अस्पताल का कहना है कि उनके यहां ओपीडी चल रही थी।

इसी अस्पताल में खजूरी निवासी फरीदा ऑपरेशन की डेट लेने के लिए आरएमएल आई थीं लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें वापस कर दिया। करीब एक घंटे तक अस्पताल में रहने के बाद उन्हें वापस घर जाना पड़ा।

दिल्ली के पांच बड़े अस्पतालों में हड़ताल शुरू हो चुकी है। एम्स में डॉक्टरों की हड़ताल नहीं है लेकिन यहां सभी का उपचार मिलना भी संभव नहीं है। पूर्वी दिल्ली में डॉ. हेडगेवार अस्पताल में मरीजों की भीड़ बढ़ी है।

वहीं मध्य दिल्ली के तीन बड़े अस्पतालों में हड़ताल के चलते आसपास के अस्पतालों में संख्या बढ़ी है। संजय गांधी, हिंदूराव, कस्तूरबा गांधी और डीडीयू इत्यादि अस्पतालों में भी मरीजों की भीड़ बढ़ गई है। इन अस्पतालों में अभी तक हड़ताल नहीं है लेकिन फोर्डा संगठन लगातार यहां के डॉक्टरों से संपर्क कर रहा है।

जीटीबी अस्पताल में डॉक्टरों का असर कम देखने को मिला। यहां ओपीडी में वरिष्ठ डॉक्टरों को तैनात किया गया। वहीं अस्पताल परिसर में रेजिडेंट डॉक्टर धरना देते दिखाई दिए। हालांकि हड्डी रोग विभाग की ओपीडी में इसका असर जरूर दिखाई दे रहा था। यहां डॉक्टरों की संख्या कम होने की वजह से मरीजों की भीड़ भी काफी थी।

उधर डॉक्टरों की हड़ताल को समर्थन देते हुए सफदरजंग अस्पताल की नर्सिंग यूनियन ने जल्द से जल्द नीट काउंसलिंग की मांग की है। यूनियन का कहना है कि हड़ताल के चलते मरीजों की हालत काफी खराब हो रही है।

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