जनवाणी ब्यूरो|
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने रियल एस्टेट डेवलपर आम्रपाली लीजर वैली डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशक अनिल शर्मा सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह प्राथमिकी बैंक ऑफ महाराष्ट्र और आंध्रा बैंक से 230 करोड़ रुपये से अधिक की कथित धोखाधड़ी के मामले में दर्ज की गई है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि बैंकों ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में टेक जोन IV में 1.06 लाख वर्ग मीटर के भूखंड पर एक आवास भवन विकसित करने के लिए ऋण सुविधाओं को मंजूरी दी थी। लेकिन कंपनी वित्तीय अनुशासन को कायम रखने में नाकाम साबित हुई। इसके चलते 31 मार्च, 2017 को खाते को गैर-निष्पादित संपत्ति घोषित कर दिया गया। प्राथमिकी का हिस्सा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र की ओर से की गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि इसके परिणामस्वरूप 230.97 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
फंड डायवर्जन की परतें खुलेंगी तो कई का होगा पर्दाफाश
आम्रपाली बिल्डर के फंड डायवर्जन की परतें उधड़ेंगी तो कई राजफाश होंगे। इससे यह पता चलेगा कि फ्लैट खरीदारों की मेहनत का पैसा आखिर कहां गया। जांच एजेंसियों की ओर से कार्रवाई के बाद डायवर्जन की असली कड़ी जुड़ेगी और पता चलेगा कि इसमें कितने पैसे डायवर्ट किए गए और इससे कौन-कौन जुड़ा है।
शुक्रवार को आम्रपाली के ठिकानों पर सीबीआई ने छापे मारे। इसका मकसद फंड डायवर्जन का पता लगाना रहा। मामले में पहले ही फॉरेंसिक ऑडिट की रिपोर्ट में 5619 करोड़ के फंड डायवर्ट करने की बात सामने आई थी, लेकिन इसके असली माध्यम तक पहुंचना और उसे साबित करना अभी बाकी है।
सीबीआई के छापे इसी का हिस्सा हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील कुमार मिहिर ने बताया कि फंड डायवर्जन की बात फॉरेंसिक ऑडिट में सामने आ गई है। कहीं-कहीं उस माध्यम की जानकारी भी है, लेकिन असली मसला यह साबित करना होगा कि अमुक स्थान या कंपनी में किसे पैसे डायवर्ट किए गए, तभी आरोपी पकड़े जाएंगे।
फंड डायवर्जन नहीं होता तो पूरे हो गए होते प्रोजेक्ट
आम्रपाली के फ्लैट खरीदार केके कौशल ने बताया कि फंड डायवर्जन की वजह से ही प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो पाए और खरीदार सड़क पर आ गए। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसमें कुछ काम हो पा रहा है, लेकिन आज भी प्रोजेक्ट में पैसे की कमी से समय से काम नहीं हो पा रहा है। आम्रपाली के सभी अधूरे निर्माण को पूरा करने का जिम्मा एनबीसीसी के पास है। शुरुआती चरण में पैसों की कमी की बात सामने आई, लेकिन अब बैंकों की ओर से लोन दिया जा रहा है, जिससे काम चल रहा है।