जनवाणी ब्यूरो |
देहरादून: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की टीम ने कोविड-19 की व्यवस्थाएं जांचने के लिए सेलाकुई स्थित डिक्सन फैक्ट्री पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान फैक्ट्री में भगदड़ मच गई। छापे की कार्रवाई में फैक्ट्री में बाल श्रम का बड़ा मामला पकड़ में आया। फैक्ट्री में 94 नाबालिग लड़कियां नौकरी करतीं मिलीं। प्राधिकरण की टीम ने टायलेट व कैंटीन से काफी संख्या में लड़कियों को रेस्क्यू किया। उधर, प्राधिकरण की सचिव ने फैक्ट्री संचालक व ठेकेदारों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई कराने की बात कही।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव नेहा कुशवाहा के नेतृत्व में टीम ने कोविड-19 की व्यवस्थाएं जांचने के लिए सेलाकुई स्थित इलैक्ट्रिक सामान बनाने वाली डिक्सन नामक कंपनी पर छापा मारा। फैक्ट्री प्रबंधन ने विभिन्न कार्यों में जुटी नाबालिग लड़कियों को टॉयलेट व कैंटीन में बंद कर दिया।
प्राधिकरण की सचिव ने खुद लड़कियों को बाहर निकाला। कार्रवाई के दौरान सचिव के माध्यम से की गई पूछताछ में यह तथ्य सामने आया कि लड़कियों को उनकी उम्र बढ़ाकर नौकरी पर लगाया गया था। छापे के दौरान 94 ऐसी बाल श्रमिक फैक्ट्री में काम करती पाई गईं, जिनकी उम्र 18 साल से कम थीं। सचिव ने सभी लड़कियों की सूची बनाकर फैक्ट्री प्रबंधन व उन्हें नौकरी दिलाने वाले ठेकेदारों के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कराने की बात कही।
उन्होंने कहा अभी सेलाकुई की अन्य औद्योगिक इकाईयों से भी उनके यहां काम करने वाले श्रमिकों का डाटा मांगा जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने फैक्ट्री में कोविड-19 के हिसाब से किसी प्रकार की सावधानी नहीं बरतने की बात भी कही। उन्होंने कहा फैक्ट्री में चार हजार श्रमिकों के लिए सिर्फ तीन टॉयलेट बनाए गए हैं।
इसके अतिरिक्त सैनिटाइजर व शारीरिक दूरी के नियम का भी पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने फैक्ट्री की व्यवस्थाओं के लिए एचआर अतिन अहलूवालिया को फटकार भी लगाई। विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव नेहा कुशवाहा ने बताया कि कंपनी में कोविड-19 के नियमों का पूरा उल्लंघन किया गया है। यथासंभव टॉयलेट नहीं बनाए गए हैं। सैनिटाइजर व हैंड वॉश आदि की कोई व्यवस्था नहीं थी।