Friday, June 27, 2025
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डाक्टर नदारद, परेशान हाल पेसेंट

  • लापरवाही की इमरजेंसी: रविवार को अन्य विभागों की ओपीडी में थी छुट्टी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में हालात कैसे हैं? मरीज को सुविधा मिल रही हैं या फिर नहीं? इसकी ग्राउंड स्तर पर ‘जनवाणी’ टीम ने पड़ताल की तो मौके पर हालात बेहद खराब दिखे। चिकित्सा सुविधा इतनी खराब इमरजेंसी में हो सकती हैं, ये अंदाजा भी लगाना मुश्किल हैं। मरीज को सुविधा तो दूर स्टाफ नर्स की ड्यूटी इमरजेंसी में थी, लेकिन स्टाफ नर्स टेबल पर ही गहरी नींद में थी।

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इसकी तस्वीर भी टीम ने कैमरे में कैद कर ली। एक मरीज मरीज स्टेचर पर था। पहली शिफ्ट सुबह आठ से दोपहर 2 बजे तक चलती हैं, लेकिन 12.30 बजे तक कोई डॉक्टर पहुंचा नहीं। ऐसे हालात मेडिकल की इमरजेंसी के हैं। आखिर खराब सरकारी सिस्टम पर लगाम कौन कसेगा? इसके लिए जवाबदेही किसकी हैं? डॉक्टरों की इस लापरवाही से मरीज की जान भी जा सकती हैं।

क्या लापरवाह डॉक्टरों पर मेडिकल प्रशासन कार्रवाई करेगा या फिर इसी तरह से लापरवाही का डंका मेडिकल में बजता रहेगा। वैसे पहले भी मेडिकल में लापरवाही से खासी किरकिरी हो चुकी हैं। शासन स्तर तक कोरोना काल में मामला पहुंचा था। एक टीम लखनऊ से आयी थी, जिसके बाद भी यहां के हालात नहीं सुधरे।

स्ट्रेचर पर मरीज, लापरवाह डॉक्टर

मेडिकल की इमरजेंसी में यूं तो 24 घंटे चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध रहने के दावें मेडिकल प्रशासन द्वारा किये जाते है लेकिन इनकी जमीनी हकीकत कुछ और है। रविवार को ओपीडी की छुट्टी होने की वजह से मरीजों के तीमारदार मरीज को इमरजेंसी लेकर पहुंचे। लेकिन यहां उन्हें घंटों डाक्टरों का इंतजार करते पाया गया।

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मरीज पारूल को शनिवार शाम चार बजे इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद रात में उन्हें दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। रविवार सुबह फिर इमरजेंसी में वापस भेजा गया, लेकिन दोपहर साढ़े बारह बजे तक भी उसे देखने के लिए कोई डाक्टर नहीं पहुंचा।

ये कैसी ड्यूटी: टेबल पर खर्राटे भर रही थी नर्स

इमरजेंसी में डाक्टरों का तो पहले से ही पता नहीं था जबकि मौके पर मौजूद नर्सिंग स्टॉफ भी अपनी ड्यूटी में लापरवाही बरतता नजर आया। साढ़े बारह बजे नर्सिंग काउंटर के पास ही एक नर्स टेबल पर सिर रखकर सोती नजर आई। जबकि यह समय मरीजों की देखभाल का होता है।

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तीन शिफ्टों में नर्सिंग स्टॉफ की ड्यूटी लगती है जो सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक, दो बजे से शाम आठ बजे तक और आठ बजे से सुबह आठ बजे तक चलती है। लेकिन जो नर्स टेबल पर सिर रखकर सोती नजर आई उसे देखकर ही लगता था कि वह अपनी जिम्मेदारी को लेकर कितनी गंभीर है। मरीजों को 24 घंटे इलाज की सुविधा देने वाली इमरजेंसी का हाल ऐसा था मानों यहां केवल खानापूर्ती होती है।

केंद्र सरकार गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को अच्छी व नि:शुल्क चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए हर कदम उठा रही है। मेडिकल की इमरजेंसी में मरीजों की जिंदगी के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मेडिकल प्रशासन से बात की जाएगी। -राजेन्द्र अग्रवाल, सांसद

मेडिकल में यदि इस तरह के हालात है तो इसको लेकर इमरजेंसी का दौरा किया जाएगा। यदि स्टॉफ की लापरवाही सामने आई तो मेडिकल प्रशासन से इसका जवाब मांगा जाएगा। मरीजों के प्रति बरती जाने वाली लापरवाही को बर्दाश नहीं किया जाएगा। -अमित अग्रवाल, कैंट विधायक

इमरजेंसी में 24 घंटे डाक्टर व नर्सिंग स्टॉफ मरीजों की देखभाल के लिए मौजूद रहता है। यदि इस तरह की लापरवाही बरती गई है तो इसकी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -डा. वीडी पांडेय, मीडिया प्रभारी मेडिकल कॉलेज, मेरठ।

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