Thursday, May 15, 2025
- Advertisement -

परिवार टूटने का खामियाजा भुगतते हैं बुजुर्ग

Samvad 1


RAMESH THAKURसुख-दुख के रूप में इंसानी जीवन अपने दो पड़ावों से होकर गुजरता है। अव्वल, जवानी जिसे इंसान हंसते-खेलते बिता लेता हैं, तो वहीं, दूसरा पड़ाव होता है ‘बुढ़ापा’? जो विभिन्न तरह की चुनौतियों से घिरा होता है। एक वरिष्ठ नागरिक एक नहीं, बल्कि अनगिनत कठिनाइयों और समस्याओं का सामना करता है। पर, हां अगर उसके सामने सुविधाएं हों, अपनों का सहारा हो, तो तमाम परेशानियां भी उनके सामने घुटना टेक देती हैं। पर अफसोस सभी बुजुर्गों की किस्मत ऐसी नहीं होती। यही वजह है आज हिंदुस्तान में ‘बुजुर्ग आश्रमों’ की संख्या गली-मोहल्लों की परचून दुकानों की भांति खुले हैं।

ये आश्रम कभी महानगरों तक ही सीमित होते थे। अब हालात ऐसे हैं कि गांव-देहातों में भी खुलने लगे हैं। आश्रमों के भीतर बुजुर्ग किस हाल में रहते हैं, फिलहाल उस पर आज नहीं जाते। समाज में जब से एकल परिवार वाली संस्कृति का प्रचलन बढ़ा है, तभी से बुजुर्गों के सामने परेशानियों के पहाड़ खड़े हो गए।

परिवार में अगर कोई कमाने वाला घर से दूर शहर चला गया, तो घर में बचे बुजुर्ग बेसहारा हो जाते हैं। ऐसी स्थिति आज हिंदुस्तान के प्रत्येक दूसरे घर में बनी हुई है। आज ‘विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस’ है जिसके मायनों को हमें दूसरों को समझने और खुद अपनाने की आवश्यकता है।

क्योंकि बुढ़ापा और बेहसहारापन किसी कलंक से कम नहीं होता? इसे दूसरों की मदद चाहिए ही होती है। सिमटते संशाधन, कम होते आवसीय क्षेत्र, बढ़ती इंसानी जरूरतें और अपनों से दूर होता समाज, ये कुछ ऐसे तत्कालीन कारण हैं जो बढ़ती उम्र के लोगों को प्रभावित कर रहे हैं।

देखिए, इंसान की जवानी कटने के बाद जब बुढ़ापे का आगमन होता है, तो सामाजिक दिक्कतों के अलावा पारिवारिक परेशानियां और शारीरिक हारी-बीमारियां भी घेर लेती हैं। जैसे, बढ़ती उम्र में अचानक अंधेपन का बढ़ना, बर्थ लोकोमोटर का तेजी से फैलना, विकलांगता और बहरेपन जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तो अब सबसे अधिक प्रचलित हो गई हैं बुजुर्गों में।

बुढ़ापा और न्यूरोसिस से उत्पन्न होने वाली मानसिक बीमारी न्यूरोसिस कार्यात्मक विकारों का एक ऐसा वर्ग है जिसमें दीर्घकालिक संकट और बढ़ता है।
परिवारों के टूटने का सबसे बड़ा खामियाजा बुजुर्ग भुगत रहे हैं। एक ही घर में रहने वाले संयुक्त परिवारों की संख्या अब न के बराबर पहुंच गई है। अब तो बमुश्किल तीज-त्योहारों पर भी पारिवारिक जन आपस में मिल पाते हैं।

उस दौरान न मन मिलते हैं और दिल? तेज भागती जिंदगी में लोगों के पास अपनो के लिए समय नहीं बचा? तो सोचिए कौन बुजुर्गों को समय ऐ पाएगा। तभी मन में एक प्रश्न उठता है कि ‘वरिष्ठ नागरिक दिवस’ क्यों मनाते हैं, शायद इसके मायनों को समझने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इससे हम सभी का वास्ता एक न एक दिन पड़ता है।

आज दूसरों के लिए, तो कल खुद के लिए? इस दिवस का मूल उद्देश्य उन कारकों और मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाना होता है, जो वरिष्ठ नागरिक या वृद्ध वयस्कों को प्रभावित करते हैं। जैसे स्वास्थ्य में गिरावट और बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार। यह समाज में वृद्ध लोगों के योगदान को पहचानने और स्वीकार करने का भी माना जाता है।

गनीमत ये है, अब राज्य सरकारें व केंद्रीय हुकूमत बुजुर्गों के लिए बहुतेरी लाभकारी योजनाओं को शुरू किया हुआ है। वरना, तो स्थिति और दयनीय हो जाए। बैंकों में औरों के मुकाबले वरिष्ठ नागरिकों को सावधि जमा, आवर्ती जमा और बचत खातों पर अधिक ब्याज दरें दी जाती हैं।

ये उच्च दरें उन्हें अपनी जमा-पूंजी बचत धन पर बेहतर रिटर्न अर्जित करने में मदद करती हैं और उन्हें सेवानिवृत्ति के सालों बाद आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करती हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए कई पेंशन योजनाएं भी उपलब्ध हैं। जैसे, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली व प्रधानमंत्री वय वंदना योजना आदि।

यह योजनाएं सीनियर नागरिकों को नियमित आय प्रदान करती हैं और उन्हें अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने में मदद भी देती हैं। जहां तक वरिष्ठ नागरिकों के मानवाधिकार से संबंधित अधिकारों की बात है, तो बुजुर्ग व्यक्तियों को अपनी क्षमता का एहसास करने के लिए सरकार ने कई सुविधाएं प्रदान की हुर्इं हैं। लेकिन बात वहीं पर आकर अटक जाती कि उम्र के एक पड़ाव पर पहुंचने के बाद उनका इतना भागना-दौड़ना संभव नहीं होता।

इन्हीं, कारणों से बुजुर्ग अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं। अवसरों का लाभ उठाने में वो असक्षम होते हैं, इसके अलावा वह समाज के शैक्षिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और मनोरंजक संसाधनों तक भी नहीं पहुंच पाते। पर, ये जिम्मदारी हम आपके कांधों पर होती है, जिसे हमें मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।

क्योंकि एक बुजुर्ग उस अबोध बच्चे समान होते हैं जिसको दूसरों की जरूरत पड़ती है। बच्चे और बुजुर्ग का मन एक जैसा होता है। आज विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस के मौके पर हम सभी को ऐसे भावों को अहसास करना चाहिए और संकल्पित हों, कि बुजुर्गों के लिए जितना हमसे बन पड़े, सदैव करते करेंगे?


janwani address 6

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Muzaffarnagar News: विद्युत उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर, 15 मई से लगेगा तीन दिवसीय ‘वाणिज्यिक मेगा कैंप’

जनवाणी संवाददाता |मुजफ्फरनगर: विद्युत उपभोक्ताओं की सुविधा को ध्यान...

Uorfi Javed: उर्फी का Cannes 2025 डेब्यू सपना रह गया अधूरा, सामने आई वजह

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Bijnor News: पुलिस मुठभेड़ में तीन लुटेरे दबोचे, एक के पैर में लगी गोली

जनवाणी संवाददाता |मंडावर: जनपद पुलिस ने मुठभेड़ में तीन...

Shamli News: पाकिस्तान से जासूसी के आरोप में कैराना निवासी युवक पानीपत में गिरफ्तार

जनवाणी संवाददाता |कैराना: पानीपत के सेक्टर 29 पुलिस में...

Share Bazar में तेजी की वापसी, Sunsex 281 अंक और Nifty 96 अंक चढ़ा,पढ़ें पूरी रिपोर्ट

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...
spot_imgspot_img