Thursday, January 2, 2025
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कोरोना से उछला ओटीटी पर मनोरंजन उद्योग

 

Senayvani 11


Kumar Mosamसाल 2020 में आए कोरोना महामारी से समूचा विश्व आज भी नहीं उबर पाया है। कोरोना की विपरीत परिस्थितियों के बीच कुछ लोगों नें जरुरतवश तो कुछ नें मजबूरन नए इनोवेशन और नयी व्यवस्था को स्वीकार किया है। चाहे वो क्लासरूम एजुकेशन से आॅनलाइन एजुकेशन की तरफ रुख करना हो या मनोरंजन के लिए टीवी/सिनेमा से ओटीटी प्लेटफॉर्म जैसे आॅनलाइन माध्यमों की तरफ रुख करना।

इसी दौरान मनोरंजन के लिए ओटीटी प्लेटफार्म को अपनाने का चलन जोर पकड़ा, जिसने ओटीटी प्लेटफार्म की लोकप्रियता को एक नया आयाम दिया। लॉकडाउन के दौरान जब परिवार के सभी सदस्य को अपनी रूचि और जरुरत के अनुसार मनोरंजन की आवश्यकता हुई। तब ओटीटी प्लेटफार्म उन्हें अपनी पसंद के कॉन्टेंट देखने, उसे आसानी से कहीं भी ब्राउज करने, डिवाइस/ माध्यमों की पसंद (मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट या टीवी स्क्रीन) की आजादी प्रदान करता रहा। भारत में मौजूदा समय में 40 छोटे-बड़े ओटीटी प्लेटफार्म हैं। जो आए दिन एक से एक बेहतरीन कार्यक्रमों के माध्यम से हमारा मनोरंजन करने में लगे हुए हैं। भारत में टीवीएफ, आॅल्ट बालाजी, वूट, हॉटस्टार, अमेजन प्राइम, जी5 और नेटफ्लिक्स इत्यादि इस के क्षेत्र में कुछ चर्चित नाम हैं।

कोरोना के बीच बीते कुछ सालों पर गौर करें तो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वेब सीरीज ने धमाल मचा दिया है। इसकी एक बड़ी वजह अब कहानियों के साथ होने वाले नए-नए प्रयोग है जिससे दर्शकों को नए तरह के कंटेंट का विकल्प दिया है। यहां टीवी की तरह सास-बहू का घिसा-पिटा ड्रामा नहीं होता और ना ही लंबे-लंबे ऐड ब्रेक होते हैं। टीवी चैनलों या फिल्मों की कहानी अक्सर एक ही विषय के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। जबकि वेब सीरीज में कंटेट सबसे बड़ा हथियार है। यहां प्रोड्यूसर-डायरेक्टर को बोल्ड कंटेट से लेकर कई ऐसे मुद्दों पर सीरीज बनानी की छूट है जिन्हें फिल्मों या सीरियल्स में आमतौर पर नहीं दिखाया जाता। खासकर ये उन लोगों के लिए एक बेहतर माध्यम है जो फिल्मों के नाच-गाने और फैमिली ड्रामे से अलग कहानियां देखना चाहते हैं।

फिल्मों में जब भी बोल्ड या एडल्ट कंटेट होता है तो प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को सेंसर बोर्ड से उलझना पड़ता है। जबकि मौजूदा समय में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सेंसर जैसा कुछ भी नहीं है। अब इस चीज के दो पहलू हैं पहला पहलू कहता है की हां ठीक है इससे निर्माताओं को एक वैकल्पिक रास्ता मिला है जहां वो अपनी बात बेबाकी से कह पा रहे हैं। वहीं दूसरे पक्ष की दलील है की छूट का मतलब ये तो बिल्कुल नहीं होना चाहिए की कुछ भी दिखाया जाने लग जाए जिससे समाज पर नकारात्मक असर हो। इसलिए अब बड़े जोर-शोर से वेब आधारित कंटेंट के लिए सेंसरशिप की चर्चा हो रही है।

शुरुआती समय में जियो के फ्री इंटरनेट और बाद में टेलिकॉम कंपनियों के सस्ते नेट प्लान्स ने लोगों को वेब कंटेंट ब्राउज करने का आदी बना दिया। जिसके बाद कोरोनाकाल नें वेब एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए अवसर पैदा किया, जिस दौरान न सिर्फ वेब सीरीज की लोकप्रियता बढ़ी बल्कि वेब आधारित कंटेंट की डिमांड्स में भी तेजी से उछाल आया। आज हर किसी के पास समय की कमी है ऐसे में वो चलते-फिरते, काम करते हुए और वर्कआउट करते हुए भी फोन में इसे कभी भी आसानी से देख सकते हैं। अभी मनोरंजन के क्षेत्र में और भी बहुत बदलाव आएंगे और वे किस तरह के होंगे यह देखना भी दिलचस्प होगा। भारत में प्रारंभिक जो भी वेब सीरीज बनी हैं उन्हें देखकर तो ऐसा ही लग रहा है कि जो प्रतिबंधित है वही चटखारे लेकर देखा जा रहा है।

ओटीटी जनमाध्यमों नें मनोरंजन के क्षेत्र में संभावनाओं के द्वार खोले हैं जहां कहानियों को कहने का तरीका टेलीविजन से काफी अलग है। वहीं टीवी आज भी संकीर्णता से दौर से गुजर रहा है जबकि ओटीटी बगैर किसी बंदिश के एक से एक बेहतरीन शोज के माध्यम से दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यूँ तो भारत में वेब सीरीज की शुरुआत 2012 में ‘परमानेंट रूममेट्स’ के रूप में हुई थी। जिसे आईआईटी खड़गपुर के छात्र अरुनाभ नें अपने यूट्यूब चैनल टीवीएफ पर प्रसारित किया गया था। जिसके बाद वेब सीरीज की दुनिया में नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, आॅल्ट बालाजी जैसे और भी कई प्लेटफॉर्म आएं और उन्होंने अपना एक खास दर्शक वर्ग तैयार किया।

आज टीवी बनाम ओटीटी की एक बहस छिड़ हुई है। चूंकि ओटीटी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है तो ये चिंता भी जाहिर की जाने लगी है की टीवी का अस्तित्व खतरे में हैं। इसी बीच कोरोना महामारी आ गया। जिससे हालात इतने बेकाबू हो गए की लॉकडाउन करना पड़ा, जिसमें हर तरह की गतिविधियों पर एक अदृश्य लगाम सा लग गया। लोग महीनों तक अपनें-अपनें घरों से बाहर नहीं निकल पाए। शुरूआती कुछ समय तो जैसे-तैसे निकल गए पर कुछ महीनें बीतने के बाद लोगों को बोरियत इसलिए भी होने लगी क्यूंकि टीवी समेत दुसरे सभी जनमाध्यमों में से किसी पर भी कार्यक्रम के नए एपिसोड नहीं आ रहे थे। ऐसे में जरुरत कहें या मजबुरन लोगों का रुझान सबसे नए माध्यम ओटीटी प्लेटफॉर्म की तरफ गया। जिसने न सिर्फ दर्शकों की रूचि के मुताबिक कंटेंट मुहैया कराया, बल्कि कोरोनाकाल के विपरीत परिस्थिति में लोगों का मनोरंजन भी किया।

ओटीटी प्लेटफॉर्म के दर्शकों की संख्या में पिछलें कुछ महीनों या फिर कहें तो बीतें 2-3 सालों में काफी इजाफा हुआ है। आखिर में अगर एक लाइन में पूरे विषय को परिभाषित करें तो कोरोनाकाल नें ओटीटी को बीते 1 साल में 4 साल आगे भेज दिया है। ये सच है की कोरोनाकाल में लोगों नें मजबूरन वेब सीरीज देखना शुरू किया पर आज यह उनकी जीवन का हिस्सा बन गया है।

-कुमार मौसम


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