विद्यार्थी जीवन का परीक्षा से संबंध अत्यंत स्वाभाविक है। परीक्षाओं के परिणाम विद्यार्थियों के जीवन में उन्नति का सोपान होता है और उनके भविष्य और कॅरियर का निर्धारण करती हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश परीक्षाओं के फायदों की कहानी यहीं पर खत्म हो जाती हैं। दूसरी तरफ परीक्षाएं विद्यार्थियों के लिए चिंता का कारण होती हैं। इसके कारण वे तनावग्रस्त होते हैं और अवसाद के शिकार भी होते हैं। परिस्थितियां तो कभी-कभी इतनी बदतर होती हैं कि इग्जैमिनैशन के स्ट्रेस के कारण स्टूडेंट्स खुदकुशी भी कर लेते हैं।
दुनिया में युवाओं के द्वारा सबसे अधिक आत्महत्या करनेवाले देशों में भारत एक प्रमुख देश है। नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों की मानें तो यह दु:खद सच सामने आता है कि प्रत्येक 42 मिनट में एक स्टूडेंट आत्महत्या कर लेता है। एनसीआरबी के एक अन्य डाटा के अनुसार प्राय: 2500 स्टूडेंट्स प्रतिवर्ष परीक्षाओं में असफलता के कारण आत्महत्या कर लेते हैं। परीक्षाओं में असफलता और इसके परिणामों से उत्पन्न अवसाद के कारण स्टूडेंट्स के द्वारा खुदकुशी के आँकड़े डरावने हैं और हमारे लिए सेल्फ झ्र इन्ट्रोस्पेक्शन के लिए कई प्रश्न छोड़ जाते हैं। एक अहम प्रश्न यह उठता है कि आखिर परीक्षा के तनाव से शमन के उपाय क्या हैं।
वैसे तो मनोवैज्ञानिकों की बात करें तो उनका यह मानना है कि इग्जैम स्ट्रेस को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है, इसको केवल शमित किया जा सकता है। इस सच्चाई के अतिरिक्त यह भी माना जाता है कि विद्यार्थियों के लिए एक निश्चित मात्रा में तनाव जरूरी है। परीक्षा का तनाव रहने के फलस्वरूप स्टूडेंट्स परीक्षाओं की तैयारी के लिए जागरुक और प्रेरित रहता है। इसके अभाव में परफॉरमेंस अच्छा नहीं हो सकता है। लेकिन जब यही स्ट्रेस अपनी एक निश्चित सीमा से आगे बढ़ जाता है तो यह मन और तन दोनों के लिए खतरनाक हो जाता है। तनाव की ऐसी परिस्थिति को ही नियंत्रित करने की जरूरत है।
तनाव के कारणों को खुद से पूछें
अधिकांश परिस्थितियों में स्टूडेंट्स को यह पता ही नहीं होता है कि उनके लिए परीक्षा के तनाव का कारण क्या है? ऐसी स्थिति में परिस्थितियाँ और भी गंभीर हो जाती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि जब आप परीक्षा के तनाव से गुजर रहे हों तो पहले खुद से यह पूछें कि आखिर आपको क्या चीज की चिंता खाए जा रही है। विषयों की कठिनता से लेकर विषय वस्तु पर फोकस नहीं किए जाने या फिर मेमरी की समस्या तक कई समस्याएं स्टूडेंट्स के लिए स्ट्रेस के कारण हो सकते हैं जिनके बारे में सोचते रहने की बजाय समाधान ढूँढने की जरूरत है।
लक्ष्य वास्तविक होने चाहिए
स्टूडेंट्स के लिए परीक्षा के तनाव का एक अन्य कारण यह भी है कि वे खुद की क्षमता का मूल्यांकन किए बिना अपने लिए इग्जैमिनैशन रिजल्ट्स का टारगेट बहुत ऊंचा रख लेते हैं जो वास्तविक नहीं होता है। सच पूछिए तो यह स्थिति काफी घातक होती है। लक्ष्य का निर्धारण हमेशा अपनी क्षमता के आधार पर किया जाना चाहिए। जो लक्ष्य संसाधनों और सेल्फ स्टडी के लिए समय की उपलब्धता के आधार पर निर्धारित किया जाता है वह व्यावहारिक होता है। किसी दूसरे की अपेक्षा और उम्मीदों के आधार पर निर्धारित लक्ष्य हमेशा तनाव का कारण होता है।
दूसरों से नहीं खुद से करें प्रतिस्पर्धा
प्राय: हमारे दिमाग में यह विचार हमेशा चलता रहता है कि हमसे कोई दूसरा आगे नहीं बढ़ जाए। इस प्रकार की सोच से मन उद्विग्न रहता है और मानसिक शांति छीनी चली जाती है। इस दुनिया में हर इंसान अपने में अद्भुत है और कोई भी एक दूसरे की बराबरी नहीं कर सकता है। खुद का मूल्यांकन करें और यह ढूँढने की कोशिश करें कि आपमें विशेष क्या है। इसे जान लेने पर अपनी प्रगति से प्रति दिन प्रतिस्पर्धा करें, आगे बढ़ना सीखें। ऐसे में मन में कोई बेचैनी नहीं रहती है और हम अपने लक्ष्य सिद्धि की दिशा में बिना किसी घबराहट के आगे बढ़ते जाते हैं।
तनाव की स्थिति में घबराएं नहीं, अपनों से बातें करें
तनाव की स्थिति में खुद को अपने कमरे में बंद कर सबसे बातें बंद कर देना सामान्य लक्षण में शुमार किए जाते हैं। इससे स्ट्रेस और भी बढ़ता जाता है। अपने मन की ऐंगजाइटी को घर में अपने पैरेंट्स और भाई झ्र बहन और फ्रÞेंड्स से शेयर करने से दो बातें होती हैं। एक तो मन हल्का होता है और दूसरा उनलोगों से समस्याओं का समाधान भी प्राप्त होता है। यदि स्टूडेंट्स अपने पैरेंट्स और परिवार के सदस्यों से खुलकर बात नहीं कर पाएं तो अपने उस टीचर से अपनी समस्या को साझा कर सकते हैं जिन्हें वे अपना आदर्श और फेवरिट मानते हैं। इससे समस्या गंभीर नहीं होती है और समय रहते हमें अपने तनाव से बचने का रास्ता मिल जाता है।
मेडिटेशन से मन को रख सकते हैं स्थिर
चित्त की वृत्तियों के निरोध को ही योगा कहते हैं। योगा में मेडिटेशन अर्थात ध्यान का खास महत्व है। ध्यान से एकाग्रता बढ़ती है, मानसिक शक्ति का विकास होता है। इससे चिंता से छुटकारा मिलती है और तनाव का शमन होता है। लिहाजा सभी प्रकार के तनावों और चिंताओं से मुक्त होने के लिए ध्यान का नियमित रूप से प्रैक्टिस करना बेहतर होता है।
अपने मनबहलाव के साधन ढूंढ़िये
कहते हैं कि एक बार महान वैज्ञानिक आइजक न्यूटन गंभीर रूप से बीमार पड़ गए। डॉक्टर ने उन्हें आराम करने के लिए कहा और उस जगह पर जाने के लिए कहा जहां उनका दिल लगता हो और सुकून मिलता हो। डॉक्टर के जाने के थोड़ी देर में उनके दोस्तों ने उन्हें अपने लैब्ररोट्री में रिसर्च करते हुए देखा। आशय यह है कि इस दुनिया में हर आदमी का अपना एक विशिष्ट कम्फर्ट जोन होता है जिसमें उसे मन की शांति और सुकून मिलता है।
तनाव की स्थिति में कोई व्यक्ति गाने सुनता है, कोई गेम खेलता है, कोई टीवी देखता है तो कोई और किसी शगल में व्यस्त होता है। ये सभी मूड कन्डीशनर्स के रूप में कार्य करती हैं। इसलिए स्ट्रेस की स्थिति में अपने मन बहलाव के लिए ऐसे कम्फर्ट जोन की तलाश करनी चाहिए। पढ़ने से बोर हो जाने की दशा या चिंता की दशा में मन को हल्का और शांत करने के लिए थोड़े समय के लिए उसी कम्फर्ट जोन में चले जाने चाहिए या वैसे ही कुछ कार्य करने चाहिए। इस प्रकार की ऐक्टिविटी से इग्जैम स्ट्रेस को बहुत हद तक शमित किया जा सकता है।
बहुत दूर की नहीं सोचें
प्राय: ऐसा कहा जाता है कि तनाव का मुख्य कारण उस मानसिक प्रवृत्ति से है जिसमें हम अपने जीवन की सभी समस्याओं को एक साथ ही सुलझा लेना चाहते हैं। आनेवाले कल के बारे में चिंतित होने के कारण भी तनाव उत्पन्न होता है। जरूरी है कि हमें आज पर फोकस करना चाहिए और सकारात्मक सोच के साथ जीवन जीना चाहिए।
जीवन को व्यवस्थित ढंग से जीना सीखें
जीवन में योजना का अपना महत्व है। अपने लक्ष्य सिद्धि के लिए प्लान करना और अच्छी रणनीति बनाना जरूरी होता है। इसके अभाव में जीवन अव्यवस्थित होता है, हम किसी कार्य को समय पर नहीं कर पाते हैं। इससे चिंता बढ़ती है। इसलिए व्यवस्थित जीवन के लिए प्लानिंग जरूरी है। इससे टाइम मैनिज्मन्ट होता है जो लाइफ मैनिज्मन्ट जैसा ही होता है।
परीक्षा के परिणाम ही सब कुछ नहीं होते हैं
इस बात से इनकार करना आसान नहीं होगा कि किसी विद्यार्थी के जीवन में परीक्षा के रिजल्ट्स काफी महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इसके आधार पर उसके जीवन का रोडमैप तैयार होता है। लेकिन सच पूछिए तो यही सब कुछ नहीं होता है। दुनिया में महापुरुषों के बेशुमार उदाहरण हैं जो बहुत अच्छी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए फिर भी उन्होंने अपने हुनर और आत्मविश्वास से उपलब्धियों के मीलस्तंभ स्थापित कर गए। खुद में छुपी हुई प्रतिभा और हुनर को ढूंढकर जब पूरी लगन और कठिन मिहनत से कार्य किया जाता है तो सफलता अवश्य प्राप्त होती है। जीवन की बड़ी से बड़ी उपलब्धियां क्लास रूम, पढ़ाई और रिजल्ट्स से बहुत सरोकार नहीं रखते हैं।
परीक्षा तनाव से बचने के महत्वपूर्ण टिप्स
-परीक्षा में रिजल्ट्स और अपने कॅरियर के लिए व्यावहारिक लक्ष्य तय करें।
-खुद का ईमानदारी से मूल्यांकन करें और आगे बढ़ें।
-आज में विश्वास करें और भविष्य की चिंता नहीं करें।
-खुद की तुलना किसी और से नहीं करें। हमेशा ध्यान रखें कि आपके पास जो हुनर और काबिलियत है उसके बराबर की इस धरती पर किसी और के पास नहीं हो सकती है।
-अपने जीवन में मनबहलाव के लिए समय निकालें।
-जीवन में समस्याओं को गुनते नहीं रहें। अपनी चिंता और पीड़ा को अपने पैरेंट्स, दोस्तों और शिक्षकों से साझा करें।
-थोड़ी देर के लिए ही सही किन्तु नियमित रूप से मेडिटेशन करें।
-एक स्वस्थ शरीर के लिए भरपूर नींद भी जरूरी होता है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में सोएं।
-अच्छा जीवन जीने के लिए अपने कार्यों को नियोजित ढंग से करें। इसके लिए योजना और रणनीति जरूर बनाएं।
श्रीप्रकाश शर्मा