Saturday, July 27, 2024
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बाढ़ से बर्बाद हुआ किसान, मुआवजे की दरकार

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  • गंगा के जलस्तर में चल रहा उतार-चढ़ाव का खेल
  • मैदानी इलाकों की बारिश से खादरवासियों में बेचैनी बढ़ी
  • फसल चौपट होने से भूखों मरने की नौबत

जनवाणी संवाददाता |

हस्तिनापुर: बाढ़ प्रभावित इलाकों से जनप्रतिनिधियों ने मुंह मोड लिया है। कई जनप्रतिनिधि हैं, लेकिन बाढ़ प्रभावितों के बीच नहीं जा रहे हैं। जिसको लेकर बाढ़ प्रभावित लोगों में जनप्रतिनिधियों के प्रति गुस्सा है। एक माह से गंगा ने हस्तिनापुर क्षेत्र में तबाही मचा रखी हैं। दो दर्जन से ज्यादा गांव बाढ़ से प्रभावित चल रहे हैं, जिसके बाद किसानों के सामने खाने का संकट भी पैदा हो गया हैं।

बिजनौर बैराज से गंगा के जलस्तर में गिरावट के बाद भी खादर क्षेत्र के लोगों को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। बाढ़ का पानी दर्जनों गांवों के सम्पर्क मार्ग पर दो से तीन फीट तक पानी भरा है। दो सप्ताह से रामराज-हस्तिनापुर मुख्य मार्ग पर पानी भरा होने से यातायात प्रभावित है। हालांकि बिजनौर बैराज से डिस्चार्ज में कमी के चलते लोग ने राहत की सांस ली है।

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पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात से वन आरक्षित्र क्षेत्र से होकर गुजरने वाली गंगा ने रौद्र धरण कर लिया था। गंगा के जलस्तर में चली लगातार वृद्धि के बाद बिजनौर बैराज से गंगा के जलस्तर में कमी हो रही है। अवर अभियंता पीयूष कुमार के अनुसार शनिवार दोपहर बिजनौर बैराज से 1 लाख 39 हजार क्यूसेक, हरिद्वार से 1 लाख 14 हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज चल रहा था। जिससे गंगा किनारे बसे दर्जनों गांव बाढ़ से रूबरू हो रहे हैं।

भीकुंड, खेड़ीकलां, मनोहरपुर, बधुवा, बधुवी, गांवड़ी, वीरनगर, हंसापुर, परसापुर, सिरर्जेपुर, किशनपुर गांवों के रास्तों में बाढ़ का पानी चल रहा है। गंगा के बहाव में तेजी आने से शेरपुर और फतेहपुर प्रेम के बीच टूटे तटबंध से अब भी पानी का बहाव तेजी से हो रहा है।

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वहीं, इस संबंध में एसडीएम मवाना अखिलेश यादव का कहना है कि जलस्तर में लगातार कमी हो रही है। गांव में साफ-सफाई की व्यवस्था के लिए टीमें लगाई गई है। स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच कर रही है। चार नावों के साथ एसडीआरएफ और पीएसी की फ्लर्ट यूनिट राहत और बचाव कार्य में लगी है।

फिर नजर आने लगा बीमारियों का प्रकोप

गंगा के जलस्तर में गिरावट के बाद खादर क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांवों में जलभराव होने से गांवों में बीमारियां पैर पसारने लगी है। ग्रामीणों में आईफ्लू, फोडे-फुंसी, खाज-खुजली आदि का प्रकोप बढ़ने लगा है। ग्रामीणों की माने तो लगभग 10 दिन पूर्व चिकित्सा विभाग की टीम ने खादर का दौरा किया था, लेकिन इसके बाद चिकित्सा विभाग की टीम कहीं नजर नहीं आ रही है।

नजर नहीं आ रही प्रशासन की व्यवस्था

गंगा नदी का जलस्तर बार-बार बढ़ने व खादर क्षेत्र में बाढ़ के हालात पैदा होने के बाद भी प्रशासन द्वारा अभी तक नावों की व्यवस्था नहीं की गई है। बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि पिछले प्रशासन द्वारा बनाई गई बाढ़ चौकियां कर्मचारियों के अभाव में सुनी पड़ी है। राहत और बचाव कार्य के लिए लगाई गई एसडीआरएफ की टीम सहायता देने से पूर्व ग्रामीणों से आधार कार्ड और फोटो मांग रही है। जिसके चलते उन्हे समय पर राहत भी नहीं मिल पा रही है।

बाढ़ में बर्बाद हो गई धान और गन्ने की फसलें

महीने से चली आ रही बाढ़ ने खादर के लोगों को तबाही के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। बाढ़ से फसलें पहले ही खत्म हो गई है। जलभराव से अब आशियाने भी गिरने शुरू हो गये हैं। जिससे परेशान लतीफपुुर सिरर्जेपुर, भीकुंड के ग्रामीण त्रिलोक सिंह का कहना है कि हाल ही उन्होंने 70 बीघे धान की फसल की बुवाई की थी, जो बाढ़ की भेंट चढ़ गई। जसंवत सिंह का कहना है कि साहूकारों से कर्ज लेकर उन्होंने 100 बीघे गन्ने की फसल ठेके पर बोई थी।

बाढ़ के चलते सारी फसल बर्बाद हो गई। खेड़ीकलां के अमर सिंह, गंगादास, दया एवं गांवड़ी के तेजभान, ब्रजपाल नागर का कहना है कि उनकी फसल पुरी तरह चौपट हो गई है। किसानों ने खेती के लिए बैकों से ऋण भी लिया था। अब उनकी फसल बर्बाद हो गई है। वे किस तरह ऋण वापस करेंगे। सरकार को उनका ऋण माफ करना चाहिए। जिसके लिए वे जल्द ही उच्चाधिकारियों से मिलेंगे।

साहब! खाना तो छोड़ो, पीने को पानी भी नहीं

बाढ़ प्रभावित खादर क्षेत्र के लोगों का दर्द बाढ़ की विभीषिका के चलते इतना बढ़ गया है। कोई सुने तो आंखों से आंसू आ जाए। शनिवार को ‘जनवाणी’ टीम बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने के लिए खादर क्षेत्र में पहुंची तो बाढ़ पीड़ितों का दर्द छलक आया।

बात खाने तक होती तो ठीक थी, लेकिन बाढ़ के चलते हैंडपंपों का पानी भी खराब है। जिसके चलते पीने के पानी के लिए भी मोहताज होना पड़ रहा है। ग्रामीण कई किलोमीटर की दूरी तय कर पीने का पानी ले जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन का इस ओर ध्यान ही नहीं है।

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गंगा के जलस्तर में वृद्धि के चलते खादर क्षेत्र के कई गांव के लोग बाढ़ से जूझ रहे हैं। प्रशासन की सहायता उनके लिए ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। बाढ़ की विभीषिका झेल रहे बाढ़ पीड़ितों की समस्या से रूबरू होने के लिए शनिवार को जनवाणी टीम ने खादर क्षेत्र के कई गांव का दौरा किया। इस दौरान बाढ़ पीड़ितों का जो दर्द छलक कर आया वह चौंकाने वाला था।

टीम के सदस्य बमरोली राठौरा चौपले पर पहुंचे तो तो फिर से शेरपुर के ग्रामीण प्राइवेट नाव में सवार होने को तैयार थे। टीम के सदस्यों को ग्रामीणों ने बताया उनके लिए तो बाढ़ और प्रशासन दोनों ही बेवफा है। बाढ़ उन्हें बरबाद कर देती है और प्रशासन मदद के लिए आगे नहीं आता। गांव में दर्जनों लोग बीमारी से पीड़ित है। न तो आवागमन के लिए कोई साधन है और न ही डॉक्टर उपचार के लिए गांव में पहुंच रहे हैं। ऐसे में वह करें भी तो क्या समझ कुछ नहीं आता।

आफत: खराब हो गया हैंडपंप का पानी

नाव में सवार दो युवकों ने बताया कि बाढ़ प्रभावित अधिकांश गांवों का पानी पीने के लायक नहीं है, लेकिन कुछ लोग उन्हीं हैंडपंप का पानी पी रहे हैं तो कुछ कई किलोमीटर दूर हस्तिनापुर या आसपास के गांवों से पीने का पानी ला रहे हैं। अधिकांश घरों में राशन भी उपलब्ध नहीं है। एक-दूसरे से मांग कर गुजारा करना पड़ रहा है। प्रशासन की सहायता की बात करें तो किससे कोई उन तक पहुंच ही नहीं रहा। 10 दिन पहले एसडीएम अखिलेश यादव ने गांव का दौरा भी किया, लेकिन कोई सहायता तब भी नहीं मिली।

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