- गन्ने की कीमत कराएगी फजीहत, मूल्यवृद्धि को नाकाफी बता रहे किसान
- किसान मांग रहे 450 रुपये प्रति कुंतल गन्ना मूल्य
जनवाणी संवाददाता |
किठौर: सीएम आदित्यनाथ योगी की अध्यक्षता में गुरुवार को लखनऊ के लोकभवन में हुई कैबिनेट की बैठक में मामूली गन्ना मूल्यवृद्धि कर सरकार भले ही किसान हितैषी दिखने का प्रयास कर रही हो मगर किसान इसे नाकाफी बताते हुए अपनी भावनाओं से खिलवाड़ मान रहा है। गन्ना वेस्ट यूपी की मुख्य फसल है। इसलिए यहां काफी हद तक सियासी बिसात गन्ने की चाशनी से तैयार होती है। जो सियासतदां गन्ने को तरजीह देता है किसान उसको तरजीह देते हैं।
किसानों की यही नब्ज टटोल लोकसभा चुनाव से ऐन पहले प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में गन्ना मूल्य में 20 रुपये प्रति कुंतल की वृद्धि का फैसला लिया है। गन्ना मूल्यवृद्धि के जरिए हितैषी बन सरकार भले ही किसानों को साधने की जुगत में हो, लेकिन किसान बढ़ोत्तरी को ऊंट के मुंह में जीरा यानि नाकाफी बता रहा है। इतना ही नहीं आगामी लोकसभा चुनाव में किसान सरकार को मुंहतोड़ जवाब देने की बात कर रहा है।
शाहीपुर निवासी गन्ना किसान सरदार हरजीत सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा की गई गन्ना मूल्य वृद्धि नाकाफी है। फसल लागत के हिसाब से गन्ना मूल्य 400-450 होना चाहिए। क्योंकि 30 लाख की भूमि में लागत लगाकर एक लाख रुपये का गन्ना पैदा होता है। जबकि 30 लाख रुपये का सिर्फ ब्याज 30 हजार महीना होता है। सरकार किसान और उसकी भावना से खिलवाड़ कर रही है।
किठौर निवासी गन्ना किसान मौ. वसी का कहना है कि सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य वृद्धि ऊंट के मुंह में जीरा है। खाद उर्वरक, बीज, जुताई, खुदाई, निराई के साथ-साथ अन्य उत्पादों की बाजारू मंहगाई के मुकाबले 20 रुपये प्रति कुंतल वृद्धि सिर्फ लोलीपोप है। सरकार को लोकसभा चुनाव में इसका यकीनन नुकसान होगा।
नदल्लीपुर निवासी गन्ना किसान तेजपाल सिंह का कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान सरकार को किसान और गन्ने की याद आती है। पहले 2019 के लोस चुनाव में 20 रुपये बढ़ाने के बाद अब 2024 के लोस चुनाव में 20 रुपये यानि पांच वर्ष में 40 रुपये प्रति कुंतल बढ़ाए गए हैं। जो अन्य उत्पादों की महंगाई की तुलना में बहुत कम है। यदि गन्ना 450 रुपये प्रति कुंतल बिके तो किसान को कुछ राहत मिल सकती है।
असीलपुर निवासी गन्ना किसान नादिर अली का कहना है कि सरकार को किसान की फसली लागत का आंकलन कराने के बाद मूल्य घोषित और वृद्धि करनी चाहिए। गन्ना मूल्य 450 रुपये प्रति कुंतल से कम बिकना घाटे का सौदा है।
चुनावी वर्ष में मामूली गन्ना मूल्यवृद्धि प्रचार का जरिया है।
मूल्यवृद्धि का छोटे किसानों को कोई लाभ नहीं क्योंकि वे क्रेशर पर गन्ने बेच गेहूं बो चुके। कृषि उपकरणों, उर्वरकों के दामों में बेतहाशा वृद्धि और यूरिया के घटते भार ने किसान की कमर तोड़ रखी है। 356 रुपये लागत में तैयार गन्ना बेबस किसान 370 रुपये प्रति कुंतल में बेचना पड़ रहा है। ऐसे तो किसानों की आय दोगुनी नहीं होगी। -शाहिद मंजूर, सपा विधायक किठौर
ये मूल्यवृद्धि नहीं बल्कि अन्नदाता का अपमान है। आगामी किसान लोकसभा चुनाव में किसान सरकार को इसका जवाब देगा। -मतलूब अहमद गौड़, जिलाध्यक्ष रालोद
आमदनी दोगुनी का दावा, क्यों हो रहा छलावा?
राष्टÑीय लोकदल के राष्टÑीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि बहुत विलंब के बाद उत्तर प्रदेश की प्रदेश सरकार द्वारा चालू पेराई सत्र 2023-24 के लिए गन्ने के राज्य परामर्शित मूल्य (एसएपी) में 20 रुपये प्रति कुंतल की वृद्धि की घोषणा की गई है। कीटनाशक, उर्वरक, कृषि यंत्रों तथा डीजल की लगातार बढ़ती हुई कीमतों को देखते हुए गन्ना मूल्य में यह 20 रुपये की वृद्धि ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। प्रदेश के किसान गन्ना उत्पादन की लागत को देखते हुए राज्य सरकार से 450 रुपये प्रति कुंतल गन्ना मूल्य की मांग कर रहे थे।
गन्ना मूल्य में मामूली वृद्धि किसानों से छल
भारतीय किसान यूनियन अराजनीतिक के जिला अध्यक्ष युवा आकाश सिरोही ने यूपी सरकार की ओर से जीना मूल्य में की गई 20 रुपये की वृद्धि को किसानों के साथ छल बताया है। इससे ये प्रतीक होता है कि सरकार बनाने में जितना योगदान ये किसान काम करते हैं, उसका 10 प्रतिशत भी सरकार किसान हितों में काम नहीं करती है। गन्ना मूल्य लागत के हिसाब से कम से कम 400 रुपये घोषित होना चाहिए था।
आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष अंकुश चौधरी ने कहा कि भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा दो वर्षों में गन्ने पर मात्र 20 रुपये प्रति कुंतल की बढ़ोतरी करना प्रदेश के किसानों के साथ घोर अन्याय है। पीएम नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय दुगनी करने का वादा किया था, जो एक बार फिर जुमला साबित हुआ है। आने वाले 2024 लोकसभा चुनाव में धरती का सीना चीर कर फसल उगाने वाला किसान, मजदूर वोट की चोट से चन्द पूंजीपतियों की हितैषी भाजपा सरकार को सबक सिखाने का काम करेगा।
राष्ट्रीय लोकदल (अल्पसंख्यक) के महासचिव प्रतीक जैन और प्रदेश महासचिव आतिर रिजवी ने कहा कि तीन साल बाद 20 पैसे किलो गन्ने का भाव बढ़ाकर किसानों को धोखा देकर यह सरकार सिर्फ अंधविश्वास को बढ़ावा दे रही है। और किसान,गरीब,बेरोजगार मजदूर सबको ठगने का काम कर रही है। जब महंगाई चरम पर है और कीटनाशक महंगे हो गए हैं लेकिन गन्ने का मूल्य 20 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाना ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश संगठन मंत्री राजकुमार करनावल ने कहा कि यह गन्ना मूल्य घोषित हुआ है यह बहुत ही कम हुआ है। उन्होंने कहा कि जो पड़ोसी राज्य हरियाणा पंजाब में गन्ने का मूल्य यूपी से ज्यादा है बड़े शर्म की बात है उत्तर प्रदेश में गन्ना मूल्य कम है गन्ना उत्पादन सबसे ज्यादा उन्होंने कहा कि चुनाव घोषणा पत्र में किसनो की दो गुनी आय की बात कही गई थी लेकिन वह हवाई निकली। उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों के साथ एक बार फिर धोखा हुआ है अब की बार कम से कम 500 प्रति कुंतल गन्ने का मूल्य घोषित होना चाहिए था।
किसान नेता शेरा जाट ने कहा कि योगी सरकार का गन्ने पर मात्र 20 रुपये बढ़ाए जाने पर आगामी चुनाव को लेकर एक चुनावी स्टंट है। जबकि डीजल, बिजली, खाद, बीज की निरंतर मूल्य वृद्धि हो रही है, लेकिन किसान को उसकी लागत मूल्य भी सरकार नहीं दे रही है। योगी सरकार द्वारा एक बार फिर से किसान के साथ धोखा हुआ है। योगी सरकार किसानों की खुशहाली की बात करती है, मगर किसानों को उसकी लागत का भी मूल्य भी नहीं दे रही है। स्वामी नाथन रिपोर्ट को लागू करने का दावा करने वाली सरकार ने एक बार फिर जुमला साबित हुआ है।