- हदों में रहना आता है, हदों में रखना आता है, बहुत मगरूर दरियाओं के धारे मोड लाती हैं।
- हमारी बेटियों पर तो फलक भी नाज करता है, यह लहरा कर तिरंगा चांद-तारे तोड़ लाती है।।
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: खेलों की प्रतिस्पर्धा में मेरठ की बेटियों ने विश्व स्तर पर वह सब कुछ करके दिखाया है, जो किसी भी देश के लिए एक सपना सरीखा होता है। किसी भी जनपद के लिए इससे बड़े गौरव की बात और क्या होगी, कि मेरठ की चार बेटियों ने चार दिनों के भीतर पांच स्पधार्ओं में दो गोल्ड, एक सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। कैलाश प्रकाश स्टेडियम के लिए भी यह एक अविस्मरणीय और दूसरों के लिए प्रेरक उपलब्धि भरा दिन रहा है। स्टेडियम के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी एशियन गेम्स में पांच मेडल उसके हिस्से में आए हो।
मेरठ स्टेडियम के हिस्से में एशियन गेम्स की गोला फेंक प्रतिस्पर्धा में यहां की बिटिया किरण बालियान पहली बार देश के बाहर अपना प्रदर्शन करने के लिए पहुंची। और इसी में उसने शॉट पुट में ब्रॉन्ज पदक जीत कर 72 साल बाद इस स्पर्धा में भारत को कोई पदक दिलाया। 29 सितंबर को हुई इस प्रतिस्पर्धा में मेरठ जैन पद और कैलाश प्रकाश स्टेडियम के लिए किरण बालियान ने ब्रॉन्ज मेडल के साथ खाता खोला। इसके अगले दिन सीमा पूनिया ने डिस्कस थ्रो में किरण बालियान जैसा ही प्रदर्शन दोहराते हुए ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया।
अभी मेरठ का कैलाश प्रकाश स्टेडियम इन दो ब्रॉन्ज मेडल की खुशियों का सेलिब्रेशन कर ही रहा था, कि एक दिन पहले सोमवार को मेरठ की बेटी पारुल चौधरी ने 3000 मीटर स्टीपल चेज इवेंट में सिल्वर मेडल हासिल करते हुए जनपद की खुशियों को बुलंदियों पर पहुंचा दिया, लेकिन खुशियों का यह सिलसिला अभी बहुत आगे तक जाना था। पारुल चौधरी से 5000 मीटर दौड़ में परिवार जनों के साथ-साथ क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी वाईपी सिंह, कोच गौरव त्यागी और कैलाश प्रकाश स्टेडियम में उनके सभी साथियों को पदक की उम्मीद जरूर थी।
सोमवार को सिल्वर मेडल जीतने वाली पारुल ने मंगलवार को भी उनको निराश नहीं किया बाल के उनकी उम्मीद पर पूरी तरह खरा उतारते हुए और अपने बेहतर से बेहतर प्रदर्शन को दोहराते हुए इस स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल करके स्टेडियम में दीपावली की आतिशबाजी और होली के रंगों से भरे जश्न का माहौल उत्पन्न कर दिया। बात भला यहां कहां रुकने वाली थी। आज तो मानो प्रकृति मेरठ के हिस्से में दोनों हाथों से खुशियां लूटने पर आमादा थी।
अभी पारुल चौधरी की 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतने की खुशी बांटने का सिलसिला चल ही रहा था, कि जैवलिन थ्रो में बहादुरपुर की अन्नू रानी ने गोल्ड मेडल जीतकर देश की खुशियों को दोगुना किया। वही मेरठ और कैलाश प्रकाश स्टेडियम की खुशियों को अथाह सागर में गोते लगाने का निमंत्रण दे डाला। क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी वाईपी सिंह का कहना है कि पारुल ने स्टीपल चेंज में 3000 मी सिल्वर 5000 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल,
जैवलिन थ्रो में अन्नू रानी का गोल्ड, गोला बैंक में किरण बालियां का ब्रॉन्ज मेडल, सीमा पुनिया का डिसकस थ्रो में ब्रॉन्ज मेडल मेरठ स्टेडियम के इतिहास में ऐसा पहली बार उपलब्धि आई है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए पूरे देश प्रदेश मेरठ जनपद के साथ-साथ पारुल चौधरी और अन्नू रानी के कोच गौरव त्यागी, जिला एथलेटिक संघ और मेरठ की जनता को बधाई दी है।