Tuesday, July 15, 2025
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खादर में भूमि पर कब्जे को लेकर मारपीट

  • 27 एकड़ भूमि पर स्वामित्व को लेकर रार
  • शिवसदन के सेवादार व मुन्नू पक्ष ठोक रहे मालिकाना हक के दावे
  • कोर्ट से स्टे का भी दावा कर रहे सेवादार

जनवाणी संवाददाता |

किठौर: भगवानपुर खादर में भूमि विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। पूर्व ब्लॉक प्रमुख केपी खुंटी के बाद रविवार को लोकेशवीर पावटी ने अपने स्वामित्व का दावा करते हुए मंडी के पास 27 एकड़ भूमि पर जुताई कर धान रौपाई शुरू कर दी है। इस बीच शिवसदन के सेवादारों और लोकेशवीर पक्ष में मारपीट भी हुई। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और मामले को शांत कराया। सेवादार विवादित भूमि पर अपना कब्जा, बैनामा और स्टे का दावा कर रहे हैं। हालांकि लोकेशवीर की धान रोपाई चालू है।

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खादर में फसल बुवाई और कटाई के समय अक्सर भूमि विवाद होते हैं। इस बार भी वही आलम है। आठ एकड़ भूमि पर कब्जे को लेकर केपी खुंटी और सेवादारों के बीच पखवाड़े भर पूर्व छिड़ा विवाद पूरी तरह शांत नहीं हुआ कि रविवार को लोकेशवीर उर्फ मुन्नू ने भगवानपुर खादर में ही लगभग 28 एकड़ भूमि पर स्वामित्व का दावा करते हुए जुताई कर धान लगानी शुरू कर दी।

शिवसदन के सेवादार इकबाल सिंह उर्फ काली द्वारा विरोध करने पर मारपीट की गई। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को शांत कर लौट गई। हालांकि मुन्नू की धान रोपाई चालू है। उधर, इंस्पेक्टर अरविंद मोहनशर्मा मामले से अनभिज्ञता जता रहे हैं। विवादित 27 एकड़ भूमि पर मुन्नू और शिवसदन के सेवादार अपने-अपने स्वामित्व का दावा ठोक रहे हैं।

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मुन्नू का कहना है कि वर्ष 2019 में उसने यह भूमि संतोष पुत्र नारायण उसकी पत्नी हरदीप कौर, भाई रणजीत और बेटों अवतार व गुरप्रीत से खरीदी थी। लेकिन शिवसदन के सेवादार टहल सिंह, कुलवंत उर्फ खारा, निर्मल उर्फ पन्नू, हरजीत, इकबाल सिंह उर्फ काली, रेशम सिंह आदि उन्हें भूमि पर कब्जा नहीं दे रहे थे। मुन्नू का आरोप है कि जब उसके कामगार खेत जोतने पहुंचते हैं।

सेवादार पक्ष उनको दौड़ा देता है, लेकिन इस बार उन्होंने अड़कर भूमि जोती और धान लगा रहे हैं। उधर, शिवसदन कमेटी के वाइस प्रेजीडेंट चर्चिल सिंह चड्ढा व सेवादारों टहल सिंह, कुलवंत सिंह, हरजीत सिंह का कहना है कि दूसरे भूमाफिया की तरह मुन्नू भी फर्जीवाड़ा कर शिवसदन ट्रस्ट की भूमि कब्जाना चाहता है, लेकिन इस भूमि के वास्तवकि दस्तावेज उनके पास हैं।

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शिवसदन उक्त भूमि का मालिक व काबिज है। सिविल कोर्ट मेरठ से इस भूमि पर स्टे है। चर्चिल सिंह ने बताया कि कुछ भूमाफिया ने सेवादारों को सदन से दूर रखने के लिए विवादों में नामजद कर रखा है। जिसका लाभ लेकर दूसरे भूमाफिया जमीनें जोत रहे हैं।

  • शुरू हो गए फर्जीवाड़े

चर्चिल सिंह ने बताया कि बाबा बिरसा सिंह 1978 में यहां आए और गंगा के आसपास गांवों सालौर रसूलपनाह, फिरोजपुर, शाहीपुर, सिंकंदरपुर, रायबानादल्लीपुर, असगरीपुर आदि गांवों में बेकार पड़ी हजारों एकड़ भूमि भूस्वामियों से खरीदकर शिवसदन ट्रस्ट के सेवादारों के नाम करा दी। फिर एक दशक मेहनत कर उसे कृषि योग्य बनाया गया। साथ में शिवसदन का निर्माण भी कराया गया।

लेकिन बिरसा सिंह के देहांत के बाद भूमाफिया ने यहां कई तरह से फजीर्वाड़ा शुरू कर दिया। बहुत से सेवादारों की मृत्यु के बाद फर्जी व्यक्ति खड़ा करके बैनामा करा लिया गया तो कई जिंदा सेवादारों को उनकी भूमि के फर्जी बैनामें की भनक तक नहीं लगने दी गई। कई सेवादारों को मामूली लालच देकर लाखों की भूमि लिखवा ली गई।

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