Wednesday, June 18, 2025
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भारत के पहले आरआरटीएस के सपने को साकार करने की ओर एक और कदम

  • दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर के लिए लोन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर
  • 180 किमी प्रति घंटा की डिजाइन स्पीड के साथ दिल्ली से मेरठ की दूरी एक घंटे से भी कम में तय होगी
  • 82 किमी लंबे कॉरिडोर के 50 किमी से अधिक हिस्से पर जोरों से चल रहा है निर्माण कार्य

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के फंडिंग के लिए भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के बीच मंगलवार को 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 3750 करोड़) के एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

500 मिलियन डॉलर का यह फंड एडीबी बोर्ड द्वारा हाल ही में स्वीकृत एक बिलियन डॉलर के ऋण का पहला भाग है। भारत सरकार की तरफ से ऋण समझौते पर वित्त मंत्रालय में आर्थिक कार्य विभाग के अतिरिक्त सचिव समीर कुमार खरे और एडीबी के इंडिया रेसिडेंट मिशन के कंट्री डायरेक्टर केनिची योकोयामा ने हस्ताक्षर किए। इस मौके पर आवास एवं शहरी विकास मामलों के मंत्रालय, एडीबी और एनसीआरटीसी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थिति थे।

ये जानकारी एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने दी। उन्होंने कहा निर्बाध मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी भविष्य में लोगों के यात्रा करने के तरीके को परिभाषित करेगा।

एनसीआर दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है और इस क्षेत्र के वर्तमान और भविष्य के परिवहन मांग को पूरा करने के लिए उच्च-गति, उच्च-आवृत्ति वाले एक विश्वसनीय क्षेत्रीय परिवहन सुविधा की जरूरत है।

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एडीबी के साथ यह समझौता आरआरटीएस परियोजना को साकार करने की दिशा मे एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जो क्षेत्रीय परिवहन मे अभूतपूर्व बदलाव तो लाएगा ही साथ ही भीड़भाड़ और वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण कमी लाते हुये स्थाई पॉलीसेंट्रिक आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा।

इस धनराशि का उपयोग शहर के स्टेशनों पर होगा

इस 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण का उपयोग दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के इलेक्ट्रिफाइड ट्रैक, मल्टीमॉडल हब और स्टेशन के निर्माण के लिया किया जाएगा जिसका डिजाइन वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगजनों के अनुकूल होगा।

ईटीसीएस लेवल-दो

आरआरटीएस परियोजना में 180 किमी प्रति घंटे की डिजाइन गति के लिए उपयुक्त कई अत्याधुनिक तकनीकें होंगी जैसे ईटीसीएस लेवल-दो सिग्नलिंग सिस्टम, ब्लास्टलेस ट्रैक, ट्रैक फासेनिंग सिस्टम और रोलिंग स्टॉक। कई तकनीकों का देश में पहली बार उपयोग किया जाएगा।

आरआरटीएस रोलिंग स्टॉक का निर्माण गुजरात के सावली में भारत सरकार के मेक-इन-इंडिया पहल के तहत किया जा रहा है। यही नहीं, फेज-क के तीनों आरआरटीएस कॉरिडोर-दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ, दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी-अलवर और दिल्ली-पानीपत, दिल्ली के सराय काले खां में मिलेंगे और अंत:-संचालित होंगे।

आरआरटीएस स्टेशनों को परिवहन के अन्य माध्यम जैसे मेट्रो स्टेशन, आईएसबीटी, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे आदि के साथ निर्बाध रूप से एकीकृत किया जाएगा। यह स्वच्छ और हरित रेल-आधारित प्रणाली भविष्य की ऐसी परियोजनाओं के लिए एक बेंचमार्क निर्धारित करेगी।

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