Tuesday, December 3, 2024
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एक मिनट में हो जाता है फिटनेस सर्टिफिकेट

  • फिटनेस प्रमाण पत्र ऐसे कर दिया जाता है जारी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: फिटनेस के नाम पर आरटीओ में बड़ा खेल हो रहा हैं। आरआई एक मिनट में वाहन की बिना जांच पड़ताल किये फिटनेस कर देते हैं, जिसके बाद फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता हैं। सड़कों पर दौड़ रहे खटारा थ्री व्हीलर, ई-रिक्शा और रोडवेज की बसों को कैसे फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जा रहा हैं। बस की खिड़की टूटी हुई है, सीट भी खराब हैं। फिर भी इन्हें फिटनेस दिया जा रहा हैं।

यही नहीं, एनसीआर में ये बसें नहीं दौड़ सकती, लेकिन सिटी ट्रांसपोर्ट की बसों का पंजीकरण कानपुर में, जिसके चलते उनका फिटनेस भी कानपुर आरटीओ के आॅफिस से हो रहा हैं। एनजीटी के नियमों के अनुसार रोडवेज की सिटी ट्रांसपोर्ट वाली बसें शहर की सड़कों पर नहीं दौड़ सकती, लेकिन ये सरकारी बसें हैं। इसलिए दौड़ रही हैं। इनको फिटनेस प्रमाण पत्र लेने के लिए कानपुर नहीं ले जाया जाता, बल्कि यहीं पर प्रमाण पत्र जारी कर दिया जा रहा हैं।

इसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। फिर थ्री व्हीलर आरटीओ आॅफिस में फिटनेस चेक कराने के लिए जाते हैं। किसी की नंबर प्लेट टूटी हुई है तो किसी ने लाइट और इडीकेटर की लाइट क्षतिग्रस्त हैं। इसके बावजूद कैसे फिटनेस किया जा रहा हैं, ये भी सवालों के घेरे में हैं। फिटनेस का बिन्दु बेहद महत्वपूर्ण हैं, फिर भी आरआई के स्तर से इसमें चूक क्यों की जा रही हैं। जिस दिन कोई हादसा हो गया, तब आरआई व अन्य आरटीओ आॅफिस से अफसरों पर गाज गिर सकती हैं।

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जो वाहन फिटनेस की कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे हैं, उन्हें कैसे फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जा रहा हैं। इसके लिए आरआई की पूरी तरह से जवाबदेही बनती हैं। आरआई इसमें अवश्य ही कुछ घालमेल कर रहे हैं। यही वजह है कि फिटनेस के जो मानक पूरी नहीं कर रहे हैं, उनको फिटनेस प्रमाण पत्र कैसे दिया जा रहा हैं? इसकी भी जांच होनी चाहिए। जांच होती है तो आरटीओ आॅफिस के अफसर निशाने पर आ सकते हैं।

महत्वपूर्ण बात ये है कि आरटीओ आॅफिस में दलाल राज चल रहा हैं। दलाल से सीधे आॅन लाइन आप फार्म भरवाते हैं तो तमाम कार्य दलाल ही कराकर देंगे। फार्म पर दलाल का नाम लिख दिया जाता हैं। उसका हिसाब शाम को आॅफिर क्लोज होने के बाद लिया जाता हैं। ये खेल आरटीओ आॅफिस में चल रहा हैं। आरटीओ आॅफिस का क्लर्क मुंशी लाल भी रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार हो चुका हैं, फिर भी आरटीओ में भ्रष्टाचार बंद नहीं हो रहा हैं। आखिर इस भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदारी किसकी हैं? आरटीओ आॅफिस में भ्रष्टाचार पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही हैं।

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