Friday, December 13, 2024
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गांधारी पक्का तालाब: मिली प्राचीन सुरंग

  • हस्तिनापुर से गांधारी का नाता रहा अद्भुत, महाभारतकालीन है मवाना का तालाब
  • मुख्य द्वार पर लगे लोहे के गेट को देख आश्चर्य में पड़े नगरवासी
  • नगर पालिका करा रही तालाब पर सौंदर्यीकरण के लिए साफ-सफाई

जनवाणी संवाददाता |

मवाना: हस्तिनापुर महाभारतकालीन से जुड़े रहस्य का पुरातत्व विभाग अभी तक कोई रहस्य उजागर नहीं कर पाया है। भले ही पांडव टीले से लेकर हस्तिनापुर वनस्थली जगह-जगह पर खुदाई चलवाई जा रही है, लेकिन वर्तमान में नगर पालिका के अंतर्गत आने वाले गांधारी पक्का तालाब की खुदाई में निकली सुरंग से एक नया मोड़ सामने आ गया है।

खुदाई के दौरान सुरंग के द्वार पर लोहे के गेट पर तालाबंदी देख आसपास के लोग आश्चर्य चकित हो गये हैं। हालांकि पुरातत्व विभाग से लेकर स्थानीय पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों एवं नगरपालिका प्रशासन ने ऐसी कोई जानकारी होने से इंकार किया है।

मवाना-हस्तिनापुर रोड स्थित रोडवेज बस डिपो के समीप हस्तिनापुर महाभारतकालीन से जुड़े रहस्यमय गांधारी पक्का तालाब है। नगरपालिका प्रशासन महाभारतकालीन गांधारी पक्का तालाब का सौंदर्यीकरण कराने के लिए सफाई के साथ हाईमास्ट लाइट एवं यात्रियों के बैठने की व्यवस्था को सुचारू रखने के वर्तमान में निर्माण कार्य करा रही है। बुधवार देर रात तालाब की पगडंडी पर किक्रेट खेल रहे युवाओं को एक अचानक सुरंग का मुख्य द्वार नजर आ गया।

युवकों द्वारा जानकारी देने के बाद कालोनी में निवास करने वाले लोगों आवागमन शुरू हो गया और एकाएक लोगों की भीड़ सुरंग को देखने के लिए जिज्ञासा बढ़ने लगी। लोगों ने मुख्य द्वार को जैसे ही छूने का प्रयास किया तो द्वार के अंदर से पायल बजने की झंकार जैसी आवाज शुरू हो गई। लोगों ने रहस्यमय गांधारी पक्का तालाब से दूर होने के बाद पुलिस एवं नगरपालिका प्रशासन को जानकारी दी।

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लोगों का कहना है कि यह सुरंग महाभारतकाल में हस्तिनापुर के स्रोत को जोड़ती है। बता दें कि नगर के बाहरी हिस्से में हाइवे किनारे महाभारतकालीन तालाब है, जोकि काफी समय से गंदगी से लबालब था। विभिन्न संगठन एवं नागरिकों द्वारा ऐतिहासिक गांधारी पक्का तालाब की सफाई की मांग उठाई गई थी। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत नगर पालिका द्वारा तालाब की सफाई कराकर खुदाई का कार्य शुरू कराया गया है।

जिसे निखारने कार्य चल रहा है। बुधवार को खेल रहे युवाओं की टोली को तालाब में सुरंग नजर आयी। देखते ही देखते सुरंग को देखने के लिए देर शाम से लेकर रात तक लोगों का तांता लगने लगा। माना जा रहा है कि महाभारतकालीन है और यह हस्तिनापुर को जोड़ने वाला स्रोत है। एसडीएम अखिलेश यादव का कहना है कि ऐसा कोई मामला संज्ञान में नहीं आया है। आज पक्का तालाब पर दिखवाया जाएगा।

इतिहास का साक्षी है महाभारतकालीन

मेरठ मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर स्थित हस्तिनापुर महाभारतकालीन धरती से जुड़े रहस्यमय गांधारी पक्का तालाब से जुड़ी मान्यता के आधार पर लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि मेरठ एवं महाभारतकाल का नाता अद्भुत है। हस्तिनापुर एवं परीक्षितगढ़ के साथ मवाना ऐसे क्षेत्र है, जहां जर्रा-जर्रा महाभारतकालीन इतिहास का साक्षी है। जिनमें से जुडे गांधारी पक्का तालाब भी है।

मान्यता है कि हस्तिनापुर से धृतराष्ट्र की महारानी गांधारी स्नान करने के लिए आया करती थी। इसी तालाब में स्नान करने के बाद जीवन भर आखों पर पट्टी बांधने का संकल्प रखने वाली गांधारी कई किमी की सुरंग के रास्ते हस्तिनापुर लौट जाती थी। महाभारतकालीन के इतिहास की जानकारी देने वाले बुजुर्गों ने बताया कि धृतराष्ट्र जन्म से नेत्रहीन, गांधारी ने जीवनभर आंखों में पट्टी बांधे रखी।

बताते हैं कि गांधारी के स्नान के दौरान सोने के आभूषण भी इसी पक्का तालाब में खो गए थे। जिसके बाद गांधारी ने तालाब बनवाने का विचार किया था, लेकिन विचार-विमर्श हुआ ओर परीक्षितगढ़ के तपोवन में तालाब बनवाने का निश्चय किया तभी गांधारी पूरे परिवार के साथ यहां स्नान के लिए आती थी। इतिहासकारों की माने तो हस्तिनापुर महाभारत कालीन धरती पर उत्खनन हो तो कई रहस्यों से पर्दा उठाया जा सकता है।

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