- पूर्व सैन्य अधिकारियों की नजर में सरकार की स्कीम न सेना के हित में और न ही युवाओं के
- सेवानिवृत्त अधिकारी सेना की परम्परा के खिलाफ
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरकार की अग्निपथ योजना से पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। युवा सड़कों पर उतर कर आंदोलन कर रहे हैं। सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ट्रेनें व अन्य वाहन धू-धूकर जलाए जा रहे हैं। किसान भी पीछे नहीं हैं। उन्होंने भी शुक्रवार को इस योजना का विरोध करने का एलान कर रखा है।
वहीं, सेना के कई पूर्व अधिकारी भी इस योजना से खासे खफा हैं। हालांकि इस बीच सरकार ने भी अपना स्टैंड साफ कर दिया है और कह दिया है कि वो इस योजना को वापस नहीं लेगी। सरकार के इस ऐलान के बाद पूर्व सैन्य अधिकारियों और सरकार के बीच खाई गहरी होती दिख रही है। जहां पूरे शहर अग्निपथ योजना से झुलस चुके हैं।
योजना को सेना का अपमान बता पीएम को लिखा पत्र
रायपुर के सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने इस योजना से खफा होकर प्रधानमंत्री के नाम खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने सरकार से सीधे 20 सवाल किए हैं और इन सवालों के जवाब की भी अपेक्षा की है। उन्होंने इस पत्र में आरोप लगाया है कि अग्निपथ योजना लाकर सरकार ने सेना को होमगार्ड की तरह बना दिया है।
क्या है अग्निपथ योजना?
दरअसल, अग्निपथ योजना भारतीय सेना के तीनों अंगों (थल सेना, वायु सेना और नौ सेना) में क्रमश: जवान, एयरमैन व नाविक के पदों पर भर्ती के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा लाई गई एक नई योजना के तहत है। इस योजना के तहत भर्ती होने वाले युवकों को अग्निवीर के रूप में जाना जाएगा और उनका कार्यकाल चार सालों का ही होगा।
1971 युद्ध के योद्धा ने किए कई ट्वीट
इस योजना के खिलाफ सेवानिवृत्त हो चुके सेना के कई बड़े अधिकारियों ने आवाज बुलन्द की है। विभिन्न माध्यमों से उठाई गई आवाज के तहत 1971 युद्ध के योद्धा रहे कैप्टन प्रवीण डावर ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ अब तक कई ट्वीट भी किए हैं। इन ट्वीट में कैप्टन प्रवीण ने सरकार के फैसले से हैरानी जताई है।
जज्बा कहां से लाओंगे लड़ने का: कैप्टन प्रवीण डावर
1971 की जंग के युद्धवीर रहे कैप्टन प्रवीण डावर सरकार की इस योजना को खोखला बताते हुए कहते हैं कि यह योजना न तो सरकार के हित में है और न ही नौजवानों के। उन्होंने कहा कि सेना में शामिल होने के लिए युवा इतनी मेहनत सिर्फ इसलिए करता है कि जब वो सेना में लम्बी नौकरी करने के बाद रिटायर होगा तब उसे सरकार अपने परिवार के पालन पोषण के लिए विभिन्न सुविधाएं देगी, लेकिन चार साल की नौकरी और उसके बाद सुविधाओं के नाम पर सब कुछ शून्य, यह समझ से बिल्कुल परे है।
इससे तो सेना का अनुशासन ही बिगड़ जाएगा: कर्नल प्रमोद शर्मा
पूर्व सैन्य अधिकारी कर्नल प्रमोद शर्मा सरकार की इस योजना को बेमानी मानते हैं। वो कहते हैं कि जिस प्रकार नवयुवकों की भर्तियां की जाएंगी उससे तो सेना का अनुशासन ही बिगड़ जाएगा। वो कहते हैं कि सबसे बड़ा मुद्दा तो सुरक्षा का है। कर्नल शर्मा सवाल करते हैं कि सेना के लोग अपनी यूनिट के नाम पर लड़ते हैं ऐसे में यह युवा किस स्तर पर लड़ेगें। बकौल कर्नल शर्मा सरकार बगैर सोची समझी रणनीति के इस योजना को लागू करने पर तुली है।
इतना समय तो एडजस्ट होने में ही लग जाता है: कर्नल आकाश सचान
कर्नल आकाश सचान कहते हैं कि जब कोई युवा सिर्फ चार साल के लिए सेना में भर्ती होगा तो इतना समय तो उसे यहां एडजस्ट होने में ही लग जाएगा और जब तक वो यहां एडजस्ट हो पाएगा इतने में उसके रिटायरमेंट का समय आ जाएगा। उन्होंने कहा कि मिलिट्री एक परम्परा है और यह परम्परा अंग्रेजों के समय से चली आ रही है। कर्नल सचान आगे कहते हैं कि इस योजना में शामिल होने वाले युवा जब रिटायर होंगे तब उनके सामने यह समस्या भी आएगी कि अब वो किस फील्ड में अपना भविष्य बनाएं।
इतने कम समय मे सेना को समझ पाना भी कठिन: अरविंद सिंह
सेवानिवृत्त जेओसी अरविन्द कुमार सिंह अग्निपथ योजना के दोनों पहलुओं पर चर्चा करते हैं। वो कहते हैं कि यदि इस योजना को आप पॉजिटव एंगल से देखेंगे तो इसमें कई बातें आपको अच्छी भी लग सकती हैं, लेकिन साथ ही साथ वो इस योजना के निगेटिव एंगल पर ज्यादा चर्चा करते हैं। अरविन्द कुमार सिंह कहते हैं कि जितने समय के लिए आप एक नौजवान को सेना में भर्ती कर रहे हैं।
बिना सोचे समझे बनाई गई योजना: मेजर वेद प्रकाश
सेवानिवृत्त मेजर वेद प्रकाश भी सरकार की इस अग्निपथ योजना से नाराज हैं। वो कहते हैं कि सरकार बिना सोचे समझे इस योजना को लागू करने पर तुली है। मेजर वेद प्रकाश कहते हैं कि यह देश की सुरक्षा का मुद्दा है और इस मुद्दे पर सरकार को फूंक-फंूक कर कदम रखना चाहिए। मेजर वेद प्रकाश आगे कहते हैं कि जो उम्र सरकार ने तय की है, इस उम्र में वो सेना के प्रति समर्पण का भाव कहां से ला पाएंगे। जिससे आगे चलकर काफी परेशानियों का सामना करना पडेÞगा।
नौकरी के प्रति वफादारी भी मुश्किल: सूबेदार दिनेश
रिटायर्ड सूबेदार दिनेश कहते हैं कि इस उम्र में कोई भी व्यक्ति अपनी नौकरी के प्रति वफादार हो पाएगा इसमें संशय है। जबकि सेना में शामिल होना वफादारों का ही काम है। वो आगे कहते हैं कि जब इस योजना के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को यह पता है कि आपको सिर्फ चार साल ही नौकरी करनी है तो ऐसे में वो अपने पद और पद की गरिमा के साथ शायद ही न्याय कर पाए। जोकि बहुत ही कम समय है। ऐसे में युवाओं को आर्मी में मौके ही कम मिलेगा।