- धरातल पर धाराशायी नगर निगम, निगम की कार्यप्रणाली से परेशान आम जनता
जनवाणी संवाददाता
मेरठ: लोकसभा चुनाव 2024 निकट हैं और नगर निगम हर कदम पर नाकामी कि उपाधि लिये दिखाई दे रहा है। जैसे नगर निगम ने ठानी हो कि योगी सरकार के कामों पर पानी फेरना ही है। पार्षद हो या आम जनता दोनों ही नगर निगम की कार्यप्रणाली से खासा परेशान नजर आते हैं। आज गड्ढे में सड़क है या सड़क में गड्ढा। इसका अंतर तय कर पाना मुश्किल है। अभिप्राय यह कि शहर की सड़कों का हाल बुरा है। सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद भी कुछ दिनों तक तो काम धरातल पर दिखाई देता है, लेकिन बाद में सड़कें गड्ढा मुक्त होने के बजाय गड्ढों में ही तब्दील होती दिखाई देती हैं।
इसी कारण ना जाने कितने लोग हादसों का शिकार होते हैं। लिसाड़ी गेट की रहने वाली ढाई साल की बच्ची आलिया की गड्ढे में गिरकर हुई मौत हो या ब्रह्मपुरी थाने के पास नाले में गिरकर हुई युवक की मौत हो, जिम्मेदारी आखिर में किसकी बनती है? जनपद में बीते तीन साल में सड़क क्षतिग्रस्त होने के कारण भी मौत हुई हैं। दिल्ली रोड पर भी एक महिला की सड़क खराब होने के कारण मौत हो गई थी।
नगर निगम कार्यालय के बाहर जो सड़क है, हाल उसके भी खस्ता ही हैं। एक तरफ पक्की सड़क और दूसरी तरफ कच्ची सड़क, नगर निगम कार्यालय तक पहुंचने तक में भी लोगों को खूब परेशानी उठानी पड़ती है। इसके बावजूद भी नगर निगम कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है। सदर निवासी श्रद्धा कपूर का कहना है कि ब्रह्मपुरी में उनका आॅफिस है। खराब सड़कों के कारण उनका आने-जाने में बहुत वक्त खराब हो जाता है।
अनुज का कहना है कि पांच साल से ये गारंटी वाली सड़क बन रही है, जिसके वजह से हर समय यहां जाम की स्थिति रहती है और आम जनता को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मेडिकल स्टोर संचालक दीपक का कहना है कि दुकानदारी पर भी खासा प्रभाव पड़ता है। ग्राहकों को पहुंचने और वहां वाहन खड़ा करने में परेशानी होती है, जिस कारण दुकानदारी टूटती है।
नहीं टूट रही निगम की कुंभकर्णी नींद
शुक्रवार को जनवाणी टीम नगर निगम के निर्माण विभाग में पहुंची, जहां कुछ पार्षद सड़कों की बेहाली की शिकायत को लेकर परेशान नजर आये तो दूसरी तरफ सिविल इंजीनियर देवेंद्र कुमार सवालों को टालते दिखे। जब उनसे सड़क कि गुणवत्ता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब न देना ही मुनासिब समझा…हालांकि उनके मुताबिक इस साल कुल 46 एयर क्वालिटी वाली सड़कों का काम उनके पास है,
जिसमें से 19 सड़कों का काम पूरा हो गया है, जिनमें दो से तीन नाले भी है और 24 सड़कों का काम अभी चल रहा है। आगे बताते है कि तीन और सड़कों का काम सीवर के वजह से रुका हुआ है, जो जल्द ही शुरू होगा। हालांकि ये सब कागजी तौर पर दिखाया गया है पर धरातल पर तस्वीरों ने कुछ और ही बयां किया। बड़ा सवाल ये है कि मौतों का जिम्मेदार नगर निगम क्या कभी नींद से जाग पाएगा?