Wednesday, April 16, 2025
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बदलते दौर में और पास आए गुरु और शिष्य

  • पहले गुरु के सामने अपनी बात रखने में डरते थे शिष्य, अब खुलकर करते हैं दिल की बात

जनवाणी संवाददाता|

मेरठ: किसी भी क्षेत्र में योग्य बनने के लिए गुरु का होना अति आवश्यक है। फिर वह चाहे रणभूमि का रण हो या शिक्षा का मंदिर हर जगह गुरु का होना जरूरी है।

बदलते दौर में गुरु शिक्षा का यह रिश्ता भी अब बदले स्वरूप में आ चुका है। अब पहले की तरह शिष्य गुरु से अपने दिल की बात कहने से डरते नहीं है, बल्कि खुलकर अपने विचार उनके समक्ष रखते हैं।

शिक्षक भी इसे सकारात्मक बदलाव के तौर पर देखते हैं। वहीं, इसमें कुछ प्रधानाचार्यों का कहना है कि बदलते दौर के साथ आए परिवर्तन में जहां शिक्षक छात्रों के साथ दोस्ताना व्यवहार कर रहे हैं।

 

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डा. रजनी रानी शंखधार, प्रधानाचार्या, आरजी इंटर कॉलेज

देखा जाए तो बदलाव पॉजिटिव है। क्योंकि पहले जो शिक्षक होते थे छात्रों के समक्ष अपनी समस्याओं को रखने से कतराते थे, लेकिन अब छात्र-छात्राएं अपनी समस्याओं को खुलकर शिक्षको के समक्ष रखते हैं। ये सब आधुनिकता के चलते हुआ है।
– डा. रजनी रानी शंखधार, प्रधानाचार्या, आरजी इंटर कॉलेज

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डा. मनु भारद्वाज, प्रधानाचार्या, खालसा गर्ल्स इंटर कॉलेज

पहले के दौर में शिक्षक अधिक सख्त होते थे, लेकिन बदले दौर के साथ जहां शिक्षकों में सकारात्मकता आई है। वहीं, छात्र-छात्राओं में भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। शिक्षक बच्चों को डराने की बजाय, अब दोस्ताना व्यवहार करते हैं। जिससे शिक्षा के स्तर में भी काफी सुधार आया है।
-डा. मनु भारद्वाज, प्रधानाचार्या, खालसा गर्ल्स इंटर कॉलेज

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-डा. मृदुला शर्मा, प्रधानाचार्या, इस्माईल इंटर कॉलेज

एडवांस टेक्नोलॉजी का काफी फर्क पड़ा है। इसी के साथ शिक्षकों को छात्रों की सोच में भी बदलाव आया है। पहले शिक्षक विद्यार्थियों को अनुशासन में रखना पसंद करते थे, लेकिन आप दोस्ताना व्यवहार करना पसंद करते हैं। जैसे जैसे समय तेजी से बदल रहा है वैसे वैसे विद्यार्थियों की सोच भी बदल रही है।
-डा. मृदुला शर्मा, प्रधानाचार्या, इस्माईल इंटर कॉलेज

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डा. नीलम, प्रधानाचार्या, चावला देवी आर्य कन्या इंटर कॉलेज

बदलते दौर के साथ विद्यार्थी एग्रेसिव अधिक होने लगे हैं। वही हर चीज पर वह अपनी प्रतिक्रिया भी देने लगे हैं। ऐसे में शिक्षकों ने अपने अंदर काफी बदलाव किए हैं, ताकि शिक्षा के स्तर में सुधार आ सके।
-डा. नीलम, प्रधानाचार्या, चावला देवी आर्य कन्या इंटर कॉलेज

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